Elephant feast in Lakhimpur Kheri

Lakhimpur Kheri: यूपी के लखीमपुर खीरी में जबरदस्त दावत, देखिए वीडियो

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सुरजीत सिंह चानी, लखीमपुर खीरी

Lakhimpur Kheri: यूपी का लखीमपुर खीरी जिला दुधवा टाइगर रिजर्व के लिए प्रसिद्ध है। बाघ, तेंदुआ, अजगर, मगरमच्छ समेत तमाम जानवर इस टाइगर रिजर्व की शोभा बढ़ाते हैं। लेकिन टाइगर रिजर्व में मौजूद हाथी भी दूसरे जानवरों से कम नहीं हैं, ये दर्शकों का खूब मनोरंजन करते हैं। यही वजह है कि हर साल की तरह इस बार भी विश्व हाथी दिवस बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया गया जिसमें दुधवा के 25 राजकीय हाथियों ने जमकर दावत भी उड़ाई, जिसमें दुधवा के अधिकारी इसके मेजबान बने।

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अंतर्राष्ट्रीय हाथी दिवस के मौके पर हाथियों को सजाया संवारा भी गया और इसके बाद उनके मनपसंद भोजन गुड़,चना, गन्ना,लौकी,कद्दू,कटहल की थालियां सजाकर परोसी गईं ,महावतों के साथ ही अधिकारियों ने भी पहुंचकर हाथियों को भोजन अपने हाथों से खिलाया।

दुधवा टाइगर रिजर्व की डिप्टी डायरेक्टर जगदीश आर ने अधिकारियों की मौजूदगी में हाथियों की जमकर दावत करवाई और हाथियों ने मौज भी काटी तो वहीं पशु चिकित्सकों की टीम ने राजकीय हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया। इसके बाद उनके महावतों को उनकी स्थिति के बारे में बताया गया।

जानकारी देते हुए डिप्टी डायरेक्टर जगदीश आर ने बताया कि दुधवा टाइगर रिजर्व में मानसून पेट्रोलिंग, पर्यटन, गैंडा मॉनीटरिंग व मानव-वन्यजीव संघर्ष के दौरान रेस्क्यू ऑपेरशन में दुधवा के राजकीय हाथियों की अहम भूमिका रहती है।इससे पूर्व राजकीय हाथियों का स्वास्थ्य परीक्षण दक्षिण सोनारीपुर रेंज में आयोजित किया गया। हाथियों के बारे में जागरूकता कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया।

बता दें 1942 में प्रोजेक्ट एलिफेंट की योजना बनाई गई थी जिसके बाद हर वर्ष 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है। हाथी अपने घुमक्कड़ी के लिए जाने जाते हैं लेकिन इनके बंद होते कॉरिडोर को लेकर पर्यावरणविदों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आईं हैं । दरअसल यह हाथी झुंड में रहने वाले जीव हैं यह अपने जीवन काल में काफी लंबी दूरी का सफर तय करते हैं । वही दुधवा टाइगर रिजर्व के हाथी कभी पड़ोसी देश नेपाल के टाइगर रिजर्व में पहुंच जाते हैं तो कभी यह आबादी की ओर रूख करते हैं। लेकिन मनुष्य के द्वारा विकास के नाम पर किए गए निर्माण ने इन हाथियों के परंपरागत कॉरिडोर बंद कर दिए हैं जो कई बार टकराव का कारण भी बनते हैं ।

देखा जाए तो इन हाथियों के मार्ग अवरूद्ध होते नज़र आए क्योंकि जंगलों को काटकर कहीं गांव के गांव बना दिए गए या फिर जंगलों ने खेतों का रूप ले लिया है इसे हाथियों के निकलने वाले मार्ग पर आए दिन हाथियों और मनुष्य का टकराव देखा जा रहा है । जिसको देखते हुए पार्क प्रशासन लगातार उनके कॉरिडोर को व्यवस्थित करने और उनके नए कॉरिडोर की तलाश और उनको बनाने का काम किया जा रहा है ।