राज्यभर में शोक की लहर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जताया दुख
Jharkhand News: झारखंड सरकार के स्कूली शिक्षा, साक्षरता एवं निबंधन विभाग के मंत्री रामदास सोरेन (Minister Ramdas Soren) का शुक्रवार की रात दिल्ली के अपोलो अस्पताल (Apollo Hospitals) में इलाज के दौरान निधन हो गया। बता दें कि 62 वर्षीय रामदास सोरेन के निधन की खबर से पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके बड़े बेटे सोमेश सोरेन ने अपने पिता के आधिकारिक X हैंडल पर इस दुखद सूचना को साझा करते हुए लिखा, ‘अत्यंत दुख के साथ यह बता रहा हूं कि मेरे पिता रामदास सोरेन अब हमारे बीच नहीं रहे।’
सीएम हेमंत सोरेन ने जताया शोक
रामदास सोरेन (Ramdas Soren) के निधन पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, ‘ऐसे छोड़कर नहीं जाना था रामदास दा… अंतिम जोहार दादा।’ मुख्यमंत्री के इस भावुक संदेश ने उनके व्यक्तिगत जुड़ाव को भी जाहिर किया।
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ब्रेन हेमरेज के कारण बिगड़ी थी तबीयत
रामदास सोरेन (Ramdas Soren) 2 अगस्त 2025 को अपने घोड़ाबांधा स्थित पैतृक आवास में बाथरूम में फिसलकर गिर गए थे, जिसके कारण उन्हें गंभीर चोटें आईं और ब्रेन हेमरेज का सामना करना पड़ा। प्रारंभिक इलाज के लिए उन्हें जमशेदपुर के टाटा मोटर्स अस्पताल ले जाया गया, लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें एयर एंबुलेंस के जरिए दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां उनकी हालत नाजुक बनी रही और चिकित्सकों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
झारखंड मुक्ति मोर्चा और घाटशिला में शोक की लहर
रामदास सोरेन (Ramdas Soren) के निधन से न केवल उनके विधानसभा क्षेत्र घाटशिला, बल्कि पूरे झारखंड में शोक का माहौल है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता और घाटशिला विधानसभा सीट से विधायक रहे सोरेन अपनी सादगी और जनसेवा के लिए जाने जाते थे। उनके निधन से झामुमो को गहरा आघात पहुंचा है। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच उनकी विशेष पहचान थी। यह झामुमो के लिए एक महीने में दूसरा बड़ा झटका है, क्योंकि इससे पहले 4 अगस्त 2025 को पार्टी के संस्थापक शिबू सोरेन का भी निधन हो गया था।
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रामदास सोरेन का राजनीतिक सफर
रामदास सोरेन (Ramdas Soren) का जन्म 1 जनवरी 1963 को पूर्वी सिंहभूम जिले के घोड़ाबांदा गांव में हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत घोड़ाबांदा पंचायत के ग्राम प्रधान के रूप में की और धीरे-धीरे झारखंड की राजनीति में एक प्रभावशाली नाम बन गए। वे 2009, 2019 और 2024 के विधानसभा चुनावों में घाटशिला से विधायक चुने गए। 30 अगस्त 2024 को उन्हें हेमंत सोरेन सरकार में स्कूली शिक्षा, साक्षरता एवं निबंधन विभाग का मंत्री बनाया गया था। झारखंड आंदोलन में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।

