NPS: अगर आप भी नौकरी करते हैं और रिटायरमेंट के बाद को लेकर टेंशन में हैं तो यह खास खबर आपके लिए है। आपको बता दें कि रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) करना अब बहुत जरूरी हो गया है। बहुत से सैलरीड लोग अपनी नौकरी का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ अपनी जरूरतों या शौक को पूरा करने पर खर्च कर देते हैं, और जब उनसे उनकी रिटायरमेंट प्लानिंग (Retirement Planning) के बारे में पूंछा जाता है तो सोंच में पड़ जाते हैं।
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आज हम आपको इससे बचने के एक बेहतर उपाय के बारे में बताने जा रहे हैं। रिटायरमेंट प्लानिंग करते समय बहुत सारी बातों का ध्यान रखा जाता है लेकिन खास तौर पर तेजी से बढ़ रही महंगाई का ध्यान रखना चाहिए।
NPS यानी नेशनल पेंशन सिस्टम
ज्यादातर लोग रिटायरमेंट पास में आने पर समझ नहीं पाते कि निवेश कहां करें। फाइनेंशियल प्लानिंग (Financial Planning) की जानकारी रखने वाले इसके लिए सरकारी पेंशन स्कीम नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS को अच्चा आप्शन मानते हैं। यह सरकार की रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है। केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2004 को इसे लॉन्च किया था। इस डेट के बाद नौकरी ज्वॉइन करने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए ये योजना अनिवार्य है। बता दें कि 2009 के बाद से इसे प्राइवेट कर्मचारियों के लिए भी खोल दिया गया।
क्या है नेशनल पेंशन स्कीम
नेशनल पेंशन स्कीम (NPS), पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) और केंद्र सरकार की देखरेख में रिटायरमेंट के लिए एक वॉलंटरी यानी स्वैच्छिक और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्लान है। NPS केंद्र सरकार की एक सोशल सिक्योरिटी योजना है। यह पेंशन कार्यक्रम सशस्त्र बलों को छोड़कर सार्वजनिक, निजी और यहां तक कि असंगठित क्षेत्रों के कर्मचारियों के लिए भी बेहतर विकल्प है।
नेशनल पेंशन स्कीम के अनुसार निवेश 18 साल से 70 साल के बीच का कोई भी भारतीय नागरिक, फिर वो सरकारी कर्मचारी हो या निजी सेक्टर का कर्मचारी, इसमें निवेश कर सकता है। NRI भी इसमें निवेश कर सकते हैं। NPS में अकाउंट खुलने के बाद 60 साल की उम्र तक या 20 साल के मैच्योरिटी पीरियड तक इसमें कंट्रीब्यूट करना होता है।
इस स्कीम के तहत 30 साल तक हर महीने 10 हजार रुपये निवेश करने पर मंथली पेंशन 1 लाख रुपये होगी, तो वहीं रिटायरमेंट पर करीब 1 करोड़ रुपये की एकमुश्त रकम भी आपको मिलेगी।
क्या है रिटर्न और ब्याज
NPS का एक हिस्सा इक्विटी में चला जाता है। इसलिए इस स्कीम में गारंटीड रिटर्न नहीं मिलता है। लेकिन, फिर भी यह स्कीम PPF जैसे अन्य ट्रेडिशनल लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट की अपेक्षा में अधिक रिटर्न देती है। NPS की रिटर्न हिस्ट्री देखें तो अब तक इसने 9% से 12% सालाना रिटर्न दिया है।
जानिए कितना है रिस्क
NPS के लिए इक्विटी एक्सपोजर पर 75% से 50% की लिमिट है। सरकारी कर्मचारियों के लिए ये लिमिट 50% तय की गई है। निर्धारित लिमिट में, जिस साल निवेशक की उम्र 50 साल हो जाएगी, उस साल से शुरू करके हर साल इक्विटी का हिस्सा 2.5% कम कर दिया जाएगा। लेकिन, 60 साल और उससे अधिक उम्र के निवेशक के लिए लिमिट 50% तय की गई है। ये निवेशकों के हित में रिस्क-रिटर्न इक्वेशन को स्थिर करता है, जिसका मतलब है कि कॉर्पस इक्विटी बाजार की अस्थिरता से कुछ हद तक सुरक्षित है।
अब जानिए टैक्स के नियम
U/S 80CCD (1): टियर 1 निवेश के लिए ग्राहक का योगदान 1.5 लाख रुपये की कुल लिमिट तक सेक्शन 80C के तहत टैक्स डिडक्शन के योग्य है।
U/S 80CCD 1(B): सेक्शन 80सीसीडी (1) के अनुसार डिडक्शन के साथ, ग्राहकों को टियर 1 योगदान के लिए 50,000 रुपये तक डिडक्शन के योग्य है।
U/S 80CCD (2): टियर 1 निवेश के लिए एम्प्लॉयर का योगदान केंद्र सरकार के लिए 14 फीसदी तक और अन्य के लिए 10 फीसदी तक डिडक्शन के लिए योग्य है। यह डिडक्शन धारा 80C के तहत लागू डिडक्शन लिमिट से अधिक है. यह डिडक्शन धारा 80C के तहत लागू डिडक्शन लिमिट से अधिक है।
अन्य टैक्स बेनिफिट
टियर 1 कंट्रीब्यूशन से निकाली गई 25% तक की रकम पर टैक्स से छूट दी जाती है।
NPS फंड से एन्यूइटी परचेज टैक्स फ्री है। हालांकि बाद में ऐसी एन्यूइटी से होने वाली आय टैक्सेबल होती है।
ग्राहक के 60 साल के हो जाने के बाद कॉर्पस की 40% तक एकमुश्त निकासी टैक्स के दायरे में नहीं आती है।
अगर 60 साल की उम्र के बाद, अगर NPS की कुल फंड वैल्यू 20 लाख है तो, 40% यानी 8 लाख रुपये की एकमुश्त निकासी पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
इसके साथ ही, अगर आप बाकी 60% कॉर्पस से एन्युटी खरीदते हैं, तो पूरी रकम टैक्स फ्री होगी।
NPS: रिटायरमेंट के बाद निकासी के नियम
कोई निवेशक कुल कॉर्पस का 60% तक एकमुश्त राशि के रूप में निकाल सकता है। लेकिन 40% शेष रकम एन्युटी में चली जाती है। नई NPS गाइडलाइन के अनुसार अगर कुल कॉर्पस 5 लाख रुपये या उससे कम है, तो सब्सक्राइबर एन्युटी प्लान खरीदे बिना पूरी रकम निकाल सकते हैं। यह निकासी भी टैक्स के दायरे में नहीं आती है।