अमेरिका में 12 साल में बनकर तैयार हुआ हिंदू मंदिर..देखिए तस्वीर

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उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
BAPS Swaminarayan Akshardham Temple: अमेरिका के न्यूजर्सी में सबसे बड़े हिंदू मंदिर अक्षरधाम (Akshardham) बनकर तैयार हो गया है। जिसका उद्घाटन भी 8 अक्टूबर को हो गया है। ये मंदिर 185 एकड़ में फैला हुआ है। मंदिर को तैयार होने में 12 साल का लंबा समय लग गया है और 12,500 लोगों ने मंदिर निर्माण में श्रमदान किया है। स्वयंसेवकों ने दिन-रात काम किया। मंदिर में जो पत्थर लग हैं, वो 29 देशों से लाए गए हैं। इसे भारतीय संस्कृति (Indian culture), कला और अध्यात्म का संगम माना जा रहा है।

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यह मंदिर अमेरिका (America) और दुनियाभर में रहने वाले लोगों के लिए एकता, शांति और सद्भाव का संदेश देता है। भगवान स्वामीनारायण को समर्पित मंदिर का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था और इस साल बनकर तैयार हुआ है। इसे दुनियाभर के 12,500 वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया है। मंदिर की कई प्रमुख अनूठी विशेषताएं हैं। इनमें से एक पत्थर से निर्मित अब तक का सबसे बड़ा गुंबद है।

आपको बता दें कि विश्व स्तर पर बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम (BAPS Swaminarayan Akshardham) हिंदू कला, वास्तुकला और संस्कृति के मील के पत्थर हैं और यह आध्यात्मिक और कम्युनिटी हब के रूप में माने जाते हैं, जो सभी धर्मों और पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों को आकर्षित करते हैं। अमेरिका के न्यूजर्सी में अक्षरधाम विश्व स्तर पर तीसरा ऐसा सांस्कृतिक परिसर है। पहला अक्षरधाम 1992 में गुजरात की राजधानी गांधीनगर में बनाया गया था। उसके बाद 2005 नई दिल्ली में अक्षरधाम बनाया गया था।
9 दिवसीय कार्यक्रम के बाद टेंपल का उद्घाटन
न्यूजर्सी के रॉबिन्सविले में 30 सितंबर को शुरू हुए 9 दिवसीय उत्सव के बाद रविवार को अक्षरधाम टेंपल का भव्य कार्यक्रम में उद्घाटन हुआ। उसके बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। स्वामी महाराज ने अनुष्ठानों और पारंपरिक समारोहों के बीच मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह आयोजित किया।
मंदिर में परंपराओं को संरक्षित करने की कोशिश
वॉलंटियर्स लेनिन जोशी ने कहा, स्वामीनारायण अक्षरधाम भारत की विरासत और संस्कृति को आधुनिक अमेरिका के सामने प्रस्तुत करता है। उन्होंने बताया कि इसे दुनियाभर के वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया है। इसमें परंपराओं को संरक्षित करने की कोशिश की है। शांति, आशा और सद्भाव का संदेश दिया गया है। जोशी ने आगे बताया कि हम पिछले कई वर्षों से इस पल का इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा, आखिरकार वो दिन आ गया, जब देशभर से लोग मंदिर में आ सकेंगे और भारतीय हिंदू परंपरा, शांति, भक्ति और वास्तुशिल्प चमत्कार के प्रतीक मंदिर में भव्य दर्शन कर सकेंगे।

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दुनिया के 29 देशों से मंगाए गए पत्थर
वॉलंटियर्स लेनिन जोशी ने आगे कहा कि मंदिर का निर्माण लगभग 12,500 वॉलंटियर्स ने किया है। इसमें सभी वर्गों के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों योगदान दिया है। इन लोगों ने अपनी नौकरी और पढ़ाई से छुट्टी ली और मंदिर के निर्माण के लिए खुद को दिनों और महीनों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा, इसके निर्माण में 1.9 मिलियन क्यूबिक फीट पत्थर का उपयोग किया गया है। पत्थर को दुनियाभर के 29 से ज्यादा विभिन्न स्थलों से मंगाया गया है, जिसमें भारत से ग्रेनाइट, राजस्थान से बलुआ पत्थर, म्यांमार से सागौन की लकड़ी, ग्रीस, तुर्की और इटली से संगमरमर और बुल्गारिया और तुर्की से चूना पत्थर आया है।

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मंदिर में 10 हजार मूर्तियां, खास डिजायनिंग
उन्होंने कहा, मंदिर को प्राचीन भारतीय कला, वास्तुकला और संस्कृति को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है, जिसमें 10,000 मूर्तियां, प्राचीन भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों और नृत्य रूपों की नक्काशी के साथ-साथ भारत की पवित्र नदियों का पानी भी शामिल है।

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सभी समुदायों को एक साथ लाएगा यह मंदिर
न्यूयॉर्क शहर के मेयर कार्यालय के उपायुक्त दिलीप चौहान ने बताया कि अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन और समर्पण पूरे अमेरिका में भक्तों, स्वयंसेवकों और अनुयायियों के लिए एक सपने के सच होने जैसा है। उन्होंने कहा, रॉबिन्सविले में अक्षरधाम सिर्फ किसी एक समुदाय के लिए एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक परिसर सभी समुदायों को एक साथ लाने वाला है।

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मंदिर में श्रीकृष्ण से लेकर उपनिषदों के संदेश’
उन्होंने आगे कहा कि अक्षरधाम महामंदिर परंपरा में अंतर्निहित है और साथ ही नवीनता को अपनाता है। जब कोई मंदिर के आधार स्तंभ के चारों ओर घूमेगा तो उसे श्रीकृष्ण और भगवान राम के जीवन, वेदों और उपनिषदों के संदेश भी दिखाई देंगे। अमेरिकी समाज और पश्चिमी दुनिया के प्रतिष्ठित नेताओं के लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समानता और स्वतंत्रता के संदेशों के रूप में जो आगंतुकों के बीच गूंजेंगे। इनमें सुकरात, आइंस्टीन, रूमी, पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन और मार्टिन लूथर किंग शामिल हैं।
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