Greater Noida West: पिछले दो वर्षों की सफलता के बाद, ग्रेटर नोएडा वेस्ट की निराला ग्रीनशायर सोसाइटी इस वर्ष अपनी तीसरी दुर्गा पूजा मना रही है, जिसका आयोजन बोंगो साथी NGPESS (निराला ग्रीनशायर पूजा एवं संस्कृति समिति) द्वारा किया जा रहा है। यह पर्व अब समाज का एक बहुप्रतीक्षित सामुदायिक आयोजन बन गया है, जिसमें सभी निवासी और आगंतुक, बिना किसी भेदभाव के शामिल होते हैं।


इस वर्ष दुर्गा पूजा के अवसर पर दो विशेष आकर्षण रहेंगे।
महासप्तमी के दिन भरतनाट्यम नृत्य नाटिका “शक्ति रूपिणी” प्रस्तुत की जाएगी, जिसका नृत्य निर्देशन प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना, शिक्षिका और गुरु सुधीप्ता चक्रवर्ती ने किया है।
वहीं महाष्टमी के अवसर पर तनमया नंदा और पायल नंदा (सारेगामापा लिटिल चैंप्स फाइनलिस्ट) लाइव परफॉर्म करेंगे

निराला ग्रीनशायर में दुर्गा पूजा – 2025
यहां दुर्गा पूजा केवल अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है बल्कि सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, मनोरंजन और पारंपरिक भोजन के माध्यम से उत्सव की शोभा को और बढ़ाती है। उत्सव की शुरुआत महालय पर खुटी पूजा से हुई, जिसमें पूजा स्थल पर बांस का खंभा स्थापित कर औपचारिक तैयारी की जाती है। यह भव्य आयोजन 2 अक्टूबर 2025 को माँ दुर्गा के विसर्जन के साथ संपन्न होगा।
दुर्गा पूजा 2025 की मुख्य आकर्षण:
• पाँच दिनों तक प्रतिदिन सुबह पूजा और पुष्पांजलि
• प्रतिदिन भोग वितरण और 1 अक्टूबर 2025 को भंडारा
• सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएँ, सभी की सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु
• सायंकालीन आकर्षण – धुनुची नृत्य, म्यूजिकल चेयर, मैजिक शो और अन्य
• चार रातों तक सांस्कृतिक संध्या जिसमें संगीत, नृत्य और नाटक शामिल
• अनेक फूड एवं नॉन-फूड स्टॉल, जो मेले जैसा वातावरण बनाएँगे
• प्रायोजकों और साझेदारों के लिए पर्याप्त ब्रांडिंग अवसर
दुर्गा पूजा एक भव्य हिन्दू उत्सव है जो माता दुर्गा और उनके द्वारा महिषासुर राक्षस पर विजय का उत्सव मनाता है। यह अच्छाई पर बुराई की जीत और स्त्री शक्ति – शक्ति – का प्रतीक है। धार्मिक महत्व से परे, दुर्गा पूजा एक आनंदमय अवसर है जो परिवारों, मित्रों और समुदायों को एक साथ लाकर सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं को सहेजता है।

दुर्गा पूजा का महत्व
यह उत्सव दस दिनों की भक्ति और उल्लास का पर्व है, जिसमें अंतिम चार दिन – सप्तमी, अष्टमी, नवमी और विजयादशमी – विशेष रूप से बंगाल और पूरी दुनिया में बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं। पूजा की अवधि अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न हो सकती है, लेकिन इसकी आत्मा एक ही रहती है – षष्ठी से शुरू होकर विजयादशमी के भावनात्मक विदाई तक।

साझेदारी और अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
श्री रामानुज माथुरी – +91 88004 29946