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Greater Noida: ग्रेटर नोएडा में तैयार हुआ एनेस्थीसिया का विकल्प, सर्जरी में मरीज बता सकेंगे अपनी परेशानी

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रियल टाइम मॉनिटरिंग की सुविधा

Greater Noida: सर्जरी के दौरान इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक एनेस्थीसिया (Anesthesia) के ओवरडोज और साइड इफेक्ट्स से बचाने के लिए ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में एक अनोखी डिजिटल डिवाइस विकसित की गई है। मेडिक्सा ग्लोबल नामक कंपनी ने इस डिवाइस को तैयार किया है, जिसे ‘वेलसेड डिजिटल सिडेशन डिवाइस’ (WellSed Digital Sedation Device) नाम दिया गया है। यह डिवाइस बिना इंजेक्शन के सर्जरी के दौरान दर्द को खत्म करने में सक्षम है और मरीज होश में रहकर अपनी परेशानी भी बता सकता है। पढ़िए पूरी खबर…

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सर्जरी में मरीज बता सकेगा अपनी परेशानी

आपको बता दें कि इस डिवाइस की खासियत यह है कि सर्जरी के दौरान मरीज की पूरी स्थिति स्क्रीन पर दिखाई देती रहेगी। यानी एनेस्थीसिया के दौरान मैनुअल प्रक्रियाएं अब डिजिटल रूप में हो सकेंगी। यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में यूपी इन स्टार्टअप के तहत इस डिवाइस को राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (Gyms) की ओर से पेश किया गया। डिवाइस तैयार करने वाले डॉ. जितेंद्र सिंह परिहार के अनुसार, यह डिवाइस सर्जरी के दौरान दर्द का एहसास नहीं होने देती और अगर मरीज को किसी तरह की परेशानी होगी तो वह आसानी से बता सकेगा।

नाइट्रोआक्साइड से होगा असर

आमतौर पर एनेस्थीसिया में लिडोकेन, मेपिवाकाइन, बुपिवाकाइन और रोपिवाकेन जैसी दवाएं दी जाती हैं जो तंत्रिकाओं को सुन्न कर देती हैं। लेकिन इस नई डिवाइस में मास्क के जरिए नाइट्रोआक्साइड का उपयोग होगा, जो खून के संचार के साथ शरीर में फैलकर दर्द और घबराहट को रोकता है। इसके साथ ही मरीज को लगातार ऑक्सीजन भी मिलती रहेगी।

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विभिन्न सर्जरी में होगा उपयोग

डॉ. जितेंद्र के मुताबिक, यह दुनिया की पहली पूरी तरह से डिजिटल डिवाइस है जिसका इस्तेमाल कई तरह की सर्जरी में किया जा सकता है। इसमें हृदयघात की सर्जरी, जले हुए मरीज की ड्रेसिंग, लिवर बायोप्सी, आंख और न्यूरो सर्जरी, ऑन्कोलॉजी, बोन मैरो, गायनेकोलॉजी, डर्मेटोलॉजी, रेडियोलॉजी, दांतों और बालों के प्रत्यारोपण के साथ कैंसर सर्जरी शामिल हैं। लेकिन रूट कैनाल ट्रीटमेंट और टूथ एक्सपेंशन के दौरान अभी भी एनेस्थीसिया की जरूरत पड़ सकती है।

रियल टाइम मॉनिटरिंग की सुविधा

डिवाइस की डिस्प्ले (Display) पर मरीज की पूरी स्थिति लाइव दिखाई देती है। साथ ही इसमें उपयोग होने वाले नाइट्रोआक्साइड और ऑक्सीजन सिलिंडर की क्षमता की भी जानकारी मिलती रहती है। वर्तमान में इस डिवाइस का उपयोग गौतमबुद्ध नगर के चार निजी डेंटल क्लीनिक में किया जा रहा है।

लाइसेंस और ट्रायल को मिली मंजूरी

डिवाइस के निर्माता और बीएचयू से एमटेक स्वर्ण पदक विजेता डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि इस डिवाइस को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से लाइसेंस मिल गया है। लाइसेंस मिलने के बाद इसे निर्यात भी किया जा सकेगा। बीएचयू के प्रो. नीरज शर्मा इस परियोजना में डॉ. जितेंद्र के मेंटर रहे।

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क्लीनिकल ट्रायल जारी

जिम्स के सीईओ डॉ. राहुल सिंह (Dr. Rahul Singh) के मुताबिक, वेलसेड डिजिटल डिवाइस को यूपी इन स्टार्टअप के तहत क्लीनिकल ट्रायल के लिए लाया गया है। ट्रायल कुछ महीनों तक चलेगा। इसके लिए पहले ही सीडीएससीओ लाइसेंस मिल चुका है।