Greater Noida West: Gaur City की यह खबर जरूर पढ़ लीजिए
Greater Noida West: ग्रेटर नोएडा वेस्ट की गौर सिटी (Gaur City) से हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि गौर सिटी में अगल आप फ्लैट लेने जाएंगे तो आपको 75-80 लाख रुपये खर्च करने होंगे। वहीं अगर आप किराए पर भी रहते हैं तो आपको कम से कम 20-25 हजार रुपये महीने देने होंगे। इसके साथ ही आपको हर महीने 3 से 6 हजार रुपये तक मेंटेनेंस चार्ज (Maintenance Charge) भी देने होंगे। लोगों की गाढ़ी कमाई के इन्ही पैसों को सोसायटी की सुरक्षा और मेंटेनेंस (Maintenance) पर खर्च करने की दावा करते हैं। सही मायने में गौर सिटी वाले सुरक्षा के नाम पर हजारों लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
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बड़ी लापरवाही आई सामने
आपको बता दें कि गौर सिटी के GC-5 से एक हैरान कर देने वाली खबर आ रही है। जहां सोसायटी की सिक्योरिटी की लापरवाही के कारण एक 5 साल के मासूम की जान जाते-जाते बची। घटना दिन में लगभग 12 बजे की है। टाइम्स ऑफ इंडिया (Times of India) ग्रुप के पत्रकार सुनीत सिंह का 5 साल का बेटा पार्क में साइकिल चलाते हुए अचानक सोसाइटी के मेन गेट तक पहुंच गया। बच्चे ने देखा कि उसे कोई रोक नहीं रहा है तो वह सोसायटी के बाहर निकल गया लेकिन मेन गेट पर तैनात आधा दर्जन सिक्योरिटी गार्ड (Security Guard) को इसकी हवा भी नहीं लगी।
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सीसीटीवी फुटेज से मिली जानकारी
सोसायटी के सामने मार्केट में लगे सीसीटीवी फुटेज (CCTV footage) को जब चेक किया गया तो जो दिखा वो हैरान कर देने वाला था। करीब 4-5 बार वह बच्चा तेज रफ्तार गाड़ियों की चपेट में आने से बाल बाल बचा। इधर सोसायटी के सुरक्षाकर्मियों की लापरवाही से बेपरवाह परिवार वाले अंदर के लगभग 1200 घरों की खाक छान रहे थे। ढूंढ़ते हुए मेन गेट पर पहुंचे तो सिक्योरिटी गार्ड ने जवाब दिया कि हम लोग पूरी तरह मुस्तैद रहते हैं। यहां से कोई बच्चा बाहर ना तो निकला है और ना ही निकल सकता है।
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ढाई घंटे बाद मिला बच्चा
लेकिन सीसीटीवी फुटेज (CCTV footage) से इनसब के पोल ही खुलगई। दो घंटे तक बच्चा सोसायटी के बाहर तेज रफ्तार गाड़ियों और अराजक तत्वों के बीच फंसा रहा। बच्चे की जितनी समझ थी उसके हिसाब से वह गौर सिटी से मिलती जुलती दूसरी सोसाइटी में घुस गया। वहां के मेन गेट पर भी किसी गार्ड ने ये तक नहीं सोचा कि इतना छोटा बच्चा अकेले कहां से आ रहा है और कहां जा रहा है। बच्चा अंदर चला जाता है। सोसायटी के चक्कर लगाए। थक हारकर बेसमेंट में खड़ी कूड़ा उठाने वाले ट्रैक्टर पर जाकर बच्चा बैठ गया। बच्चा जैसे तैसे लगभग ढाई घंटे बाद परिवार वालों को मिला।
मोबाइल में रील देखने में बिजी रहतें है सुरक्षाकर्मी
जरा सोचिए इन ढाई घंटों में बच्चे के मां-बाप की क्या हालत हुई होगी। यह पहली बार नहीं हुआ है जब गौर सिटी की सोसायटियों में ऐसी लापरवाही की घटना हुई हो। ये लोग किसी भी गलती से सीख लेने को तैयार नहीं है। निवासियों को कहना है कि जिन लोगों के कंधों पर हजारों लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है वो तो ड्यूटी के नाम पर अपना पूरी ध्यान मोबाइल में रील देखने में लगा रहे हैं।