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France Violence: नेपाल के बाद फ्रांस में भड़की हिंसा, 200 से ज्यादा गिरफ्तार, क्या है वजह?

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France Violence: नेपाल के बाद अब फ्रांस की सड़कों पर भीषण विरोध प्रदर्शन छिड़ गया है।

France Violence: नेपाल के बाद अब फ्रांस (France) की सड़कों पर भीषण विरोध प्रदर्शन छिड़ गया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) के खिलाफ लाखों लोग सड़कों पर उतर आए। गुस्साई भीड़ ने कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की। यह हिंसा तब भड़की जब मैक्रों ने देश में नए प्रधानमंत्री (New Prime Minister) के नाम का ऐलान किया। पढ़िए पूरी खबर…

आपको बता दें कि फ्रांस में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नए प्रधानमंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू की नियुक्ति के बाद देशभर में हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बेयरू के संसद में विश्वास मत हारने के बाद उनकी जगह लेकोर्नू को नियुक्त किया गया था। इस फैसले के खिलाफ सैकड़ों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए, जिन्होंने पेरिस और अन्य शहरों में आगजनी, तोड़फोड़ और सड़क जाम कर भारी अव्यवस्था पैदा की।

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200 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

फ्रांस के आंतरिक मंत्री ने कहा कि विरोध प्रदर्शन शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर ही लगभग 200 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। प्रदर्शनकारियों ने पेरिस और अन्य हिस्सों में सड़कों को जाम किया और आगजनी की। पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।

80,000 पुलिस बल की तैनाती

हालात को काबू में रखने के लिए सरकार ने देशभर में 80 हजार पुलिसकर्मी तैनात किए हैं। इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर बैरिकेड हटा दिए और उपद्रव मचाया। आंदोलन ‘सब कुछ बंद करो’ के नारे के साथ शुरू हुआ, जिसने पूरे फ्रांस में भारी अव्यवस्था फैला दी।

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फ्रांस में प्रदर्शन की 4 बड़ी वजहें

1. राष्ट्रपति मैक्रों की नीतियों पर जनता की नाराज़गी

फ्रांस की जनता के एक बड़े वर्ग का मानना है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की आर्थिक और सामाजिक नीतियां आम लोगों के हितों के खिलाफ हैं। उनका आरोप है कि ये नीतियां अमीर वर्ग को फायदा पहुंचाती हैं, जबकि मध्यम और निम्न वर्ग को पीछे छोड़ दिया गया है।

2. बजट में कटौती और कल्याणकारी योजनाओं में कमी

सरकार द्वारा खर्चों में कटौती और कई सामाजिक योजनाओं को सीमित करने के फैसले ने आम जनता पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया है। विशेषकर मध्यम वर्ग और श्रमिक तबका इस फैसले से सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है। आर्थिक सुधारों के नाम पर की गई यह सख्ती जनता को रास नहीं आई।

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3. दो साल में पांच प्रधानमंत्री, बढ़ी अस्थिरता

हाल ही में सेबास्टियन लेकोर्नू को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। यह पिछले दो साल में फ्रांस के पांचवें प्रधानमंत्री हैं। लगातार हो रहे नेतृत्व परिवर्तन ने राजनीतिक अस्थिरता और असंतोष को बढ़ा दिया है। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि लेकोर्नू की नियुक्ति के साथ ही सरकार पर दबाव बनाया जाए।

4. ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ आंदोलन ने पकड़ा जोर

वामपंथी गठबंधन और कई जमीनी संगठनों ने ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ (Block Everything) के नारे के साथ बड़ा जनांदोलन शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य देशभर में कामकाज को ठप कर सरकार को मजबूर करना है कि वह जनता की मांगों पर गंभीरता से विचार करे।

वाहनों और पावर लाइन को बनाया निशाना

आंतरिक मंत्री ब्रूनो रेटैलो ने कहा कि पश्चिमी शहर रेन (Rennes) में एक बस को जला दिया गया। वहीं, दक्षिण-पश्चिम में एक पावर लाइन को नुकसान पहुंचाया गया, जिसकी वजह से ट्रेनें ठप हो गईं। उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर ‘विद्रोह का माहौल’ बनाने का आरोप लगाया।

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पेरिस में झड़पें और आगजनी

बुधवार सुबह पेरिस में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। इस दौरान कई कचरे के डिब्बों में आग लगा दी गई। पुलिस ने बताया कि सुबह 9 बजे तक 75 लोगों को हिरासत में लिया गया था। पूरे दिन विरोध प्रदर्शन और रोड ब्लॉक जारी रहने की आशंका है।

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पीएम की नियुक्ति बनी विवाद की जड़

फ्रांस के पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बेयरू संसद में विश्वास मत हारने के बाद पद से हट गए थे। उनकी जगह मंगलवार को सेबास्टियन लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। इसी फैसले के बाद देशभर में प्रदर्शन भड़क उठा।

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क्यों भड़की हिंसा?

प्रदर्शनकारियों का गुस्सा बेयरू द्वारा पेश किए गए 44 अरब यूरो (करीब 4 लाख करोड़ रुपये) के सख्त बजट प्रस्तावों को लेकर है। सोशल मीडिया पर ‘ब्लॉक एव्रीथिंग’ मूवमेंट चलाया गया, जिसके बाद पेरिस में 30 से ज्यादा जगहों पर आगजनी और हिंसा हुई।

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येलो वेस्ट आंदोलन की याद

यह विरोध 2018 के ‘येलो वेस्ट’ आंदोलन की याद दिला रहा है, जब ईंधन कर बढ़ोतरी के खिलाफ लोगों ने सड़कों पर जमकर प्रदर्शन किया था। उस वक्त आंदोलन आर्थिक असमानता और सरकार की नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय आक्रोश में बदल गया था।

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पहले भी भड़क चुकी है हिंसा

पेरिस में इस तरह की हिंसा कोई नई बात नहीं है। 2022 में पेंशन सुधारों को लेकर और 2023 में एक युवक की पुलिस गोलीबारी में मौत के बाद भी राजधानी में भीषण प्रदर्शन और आगजनी देखी गई थी।