नोएडा के सेक्टर 93A में स्थित जिस सुपरटेक ट्विन टावर्स को 28 अगस्त (रविवार) को तोड़ दिया गया। 32 और 29 मंजिला ट्विन टावर को जब मलबे में तब्दील किया गया तो हर किसी के मन एक सवाल था कि ऐसा क्या हुआ और टावर को गिराए जाने की जरूरत क्यों पड़ी? इन टावर्स का मालिक कौन है? और अगर ये गैरकानूनी है तो इतनी बड़ी इमारत कैसे खड़ी कर दी गई?
वैसे तो ज्यादातर लोगों को पता है कि सुपरटेक के मालिक आरके अरोड़ा हैं। आरके अरोड़ा 34 अन्य कंपनियों के भी मालिक हैं। जिसमें सिविल एविएशन, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग, प्रिंटिंग, फिल्म्स, हाउसिंग फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन तक के काम करती हैं। यही नहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आरके अरोड़ा ने तो कब्रगाह बनाने तक की कंपनी भी खोली है।
अरोड़ा ने साथियों के साथ मिलकर 7 दिसंबर 1995 को इस कंपनी की शुरुआत की थी। कंपनी ने 12 शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। इनमें मेरठ, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण क्षेत्र और दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के कई शहर शामिल हैं।
सुपरटेक लिमिटेड के अस्तित्व में आने के 4 साल बाद 1999 में उनकी पत्नी संगीता अरोड़ा ने सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली. दूसरी तरफ आर के अरोड़ा ने भी बेटे के साथ मिलकर अलग-अलग सेक्टरों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश जारी रखी. उन्होंने अपने बेटे मोहित अरोड़ा के साथ मिलकर पॉवर जेनरेशन, डिस्ट्री ब्यूशन और बिलिंग सेक्टर में काम शुरू किया, जिसके लिए सुपरटेक एनर्जी एंड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई गई. 2004 में नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-93ए स्थित प्लॉट नंबर-4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया। आवंटन के साथ ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल तक मकान बनाने की अनुमति मिली।. लेकिन दो साल बाद यानी 29 नवंबर 2006 को इसमें संशोधन किया गया और सुपरटेक को नौ की जगह 11 मंजिल तक फ्लैट बनाने की अनुमति मिली।
फिर टावर बनाने की संख्या में भी बदलाव हुआ और 14 टावर की जगह 15 और फिर 16 टावर की अनमति मिली. इसके बाद भी इसमें कई बदलाव हुए और बाद में दोनों टावरों को 40 मंजिल तक बनाने की इजाजत मिल गई। दोनों टावरों के बीच की दूरी मात्र 9 मीटर रखी गई जबकि इसे 16 मीटर होना चाहिए.
वहीं दूसरी तरफ सुपरटेक तेजी से निर्माण करने में लगा हुआ था. समूह ने एक टावर में 32 मंजिल और दूसरे टावर में 29 मंजिल तक का निर्माण काम पूरा कर लिया. इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा और टावर बनाने में भ्रष्टाचार हुआ है इसका खुलासा हुआ।
दिवालिया हुई कंपनी सुपरटेक कंपनी को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने साल 2022 के मार्च महीने में दिवालिया घोषित कर दिया था। खबरों के मुताबिक सुपरटेक ट्विन टावर गिरने से सुपरटेक को 500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है।