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CM Dhami का अफसरों को निर्देश..राज्य की दो नदियों को चिन्हित कर पुनर्जीवित करने का करें काम

उत्तराखंड राजनीति
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CM Dhami का अधिकारियों को निर्देश, प्रदेश की दो नदियों को किया जाए पुनर्जीवित

Uttarakhand News: उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी (CM Pushkar Singh Dhami) ने प्रदेश के अफसरों को बड़ा आदेश दिए हैं। आपको बता दें कि सीएम धामी (CM Dhami) ने जलागम प्रबन्ध निदेशालय इन्द्रानगर में जलागम विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि शुरुआती चरण में प्रदेश की दो नदियों को चिन्हित कर उनके पुनर्जीवीकरण की दिशा में काम किया जाए। इन दो नदिया में पहली नदी गढ़वाल मण्डल (Garhwal Division) से और एक नदी कुंमाऊ मण्डल से चुनी जाय। वनाग्नि को देखते हुए संवेदनशील क्षेत्रों में छोटी-छोटी तलैया बनाई जाए, इसमें आम लोगों से भी मदद ली जाए। सीएम ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के साथ ही लोगों की आजीविका को बढ़ाने की दिशा में जलागम विभाग द्वारा विशेष ध्यान दिया जाए।

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सीएम धामी ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि विभिन्न परियोजनाओं के निर्माण में इसका भी आंकलन हो जिससे जल स्रोतों पर कोई प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है। योजनाओं के निर्माण से प्रभावित होने वाले जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में भी काम हो। जलागम द्वारा संचालित योजनाओं के तहत वाइब्रेंट विलेज को भी प्राथमिकता में रखा जाए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने आगे निर्देश दिए कि बाह्य सहायतित परियोजनाओं को निर्धारित समयावधि में पूरा किया जाए। केन्द्र सरकार से सहायतित योजनाओं को पहली प्राथमिकता में रखा जाए। 90 प्रतिशत केन्द्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश वाली योजनाओं में और तेजी लाने के लिए भी सीएम ने निर्देश दिये। स्प्रिंग एण्ड रिवर रिजुविनेशन प्राधिकरण द्वारा प्राकृतिक जल स्रोतों औपर वर्षा आधारित नदियों के पुनरोद्धार के लिए लघु और दीर्घकालिक उपचार की योजनाएं बनाकर उनका मूल्यांकन और अनुश्रवण किये जाने के भी निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिये हैं।

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उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना को मिली मंजूरी

सीएम धामी (CM Dhami) ने आगे कहा कि जलागम विकास परियोजनाओं के नियोजन और क्रियान्वयन के लिए सतत जल संसाधन प्रबन्धन, सतत भूमि और पारिस्थतिकी प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण और जैव विविधता संरक्षण को ध्यान में रखते हुए काम किये जाएं। मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग के साथ मिलकर प्रभावी कदम उठाये जाएं।

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पारंपरिक उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ साथ कृषि योग्य बंजर जमीन में भी औद्यानिकी और कृषि-वानिकी गतिविधियों द्वारा कृषकों की आय में वृद्धि करने के लिए काम हों। जलागम की योजनाओं में महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जाए।

इस बैठक में जानकारी दी गई कि जलागम विभाग द्वारा उत्तराखण्ड में चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में पर्वतीय कृषि को लाभदायतक और ग्रीन हाऊस गैस न्यूनीकरण के लिए विश्व बैक द्वारा पोषित उत्तराखण्ड जलवायु अनुकूल बारानी कृषि परियोजना को मंजूरी मिली है।

1148 करोड़ की धनराशि की यह योजना 2024 से 2030 तक चलेगी। इस योजना के अनुसार स्प्रिंग शेड मैनजमेंट के जरिए से जल निकासी और मृदा अपरदन में कमी लाने, कृषि क्षेत्र में ग्रीन हाऊस गैस को कम करने, बारानी और परती भूमि पर वृक्षारोपण के द्वारा कार्बन की मात्रा में सुधार कर कार्बन फैंसिंग से कृषकों की आय में वृद्धि करने बारानी एवं सिंचित फसलों की उत्पादकता में वृद्धि, उच्च मूल्य फसल उत्पादन के कृषि कलस्टरों की स्थापना और एग्री बिजनेस ग्रोथ सेंटर की स्थापना होगी।
बैठक में कहा गया कि प्रदेश के तीन जिलों पौड़ी, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलागम विकास घटक 2.0 के तहत कार्य हो रहे हैं।

बैठक में जलागम प्रबंधन मंत्री सतपाल महाराज, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् विश्वास डाबर, जलागम परिषद के उपाध्यक्ष रमेश गढ़िया, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, प्रमुख सचिव आर. के सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम, अपर सचिव नमामि बंसल, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, परियोजना निदेशक जलागम नीना ग्रेवाल एवं जलागम विभाग के अन्य अधिकारी शामिल थे।