Lok Sabha Chunav 2024: आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) की शुरुआत 19 अप्रैल से होने जो कुल 7 चरणों मे होगी। और सभी उम्मीदवारों (Candidates) के भाग्य का फैसला 4 जून को होगा। लेकिन जैसे ही चुनाव (Election) नजदीक आ रहा है वैसे ही प्रत्याशियों के बीच नजदीक लड़ाई बढ़ती हुई दिखाई दे रही है।
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बिहार में लोकसभा (Lok Sabha) की कुल 40 सीटें है लेकिन जो सबसे अधिक चर्चा का विषय वो है पूर्व केंद्रीय मंत्री और LJP के मुखिया रहे दिवंगत रामविलास की सीट हाजीपुर। हाजीपुर सीट पर अभी जहां एक तरफ एनडीए के तरफ से चिराग पासवान उम्मीदवार है तो वहीं उनके खिलाफ 2019 में एनडीए (NDA) में शामिल रहे रामविलास पासवान ने एलजेपी के टिकट पर अपने भाई पशुपति पारस को चुनाव लड़ाकर सांसद बनाया था।
अब चिराग के चाचा ने अपने भतीजे के खिलाफ ही चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गया है। जिन्हें एनडीए के तरफ से एक भी सीट नहीं मिली है और वो महागठबंधन में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
पशुपति पारस अगर महागठबंधन (Grand Alliance) में चले जाते है तो ऐसे में हाजीपुर सीट पर चाचा और भतीजे के बीच पांचवें चरण में होने वाले 20 मई का चुनाव बिहार के लिए सबसे बड़ी लड़ाई हो सकती है।
दरअसल जब बिहार में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सीटों का बंटवारा हुआ तो BJP को 17 और JDU को 16 सीट मिली। वहीं, चिराग पासवान (Chirag Paswan) की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP-R) को 5 सीटें दी गई है। जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 1-1 सीट मिली है। लेकिन चिराग के चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) की पार्टी को एक भी सीट नहीं दी गई है। जिसके बाद नाराजगी जताते हुए पशुपति पारस ने मंगलवार को मोदी कैबिनेट (Modi Cabinet) से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देते हुए चाचा काफी भावुक नजर आये और कहा कि उनके लिए कई और रास्ते खुल हुए है।
सीट ऐलान के बाद चिराग पासवान ने कहा कि वो हाजीपुर सीट (Pashupati Paras) से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। चिराग ने कहा, “मैं NDA उम्मीदवार के तौर पर हाजीपुर से चुनाव लड़ रहा हूं। चाचा पशुपति पारस चुनाव लड़ते हैं, तो उनका स्वागत हैं। मैं किसी चुनौती से घबराता नहीं हूं। उनके साथ जो कुछ हुआ, उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं। मैं न तो 3 में हूं और न ही 13 में हूं।”
चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) के मौजूदा हालत के बारे में पूछने पर चिराग पासवान ने कहा, “पार्टी और परिवार से अलग होने का फैसला उन्हीं का था। मेरी मां और भाई-बहन हैं। सबको मिल बैठकर फैसला लेना है। मैं अकेले कुछ नहीं कर सकता हूं। चाचा ने कई व्यक्तिगत आरोप भी लगाए। मैंने उनके बारे में कभी कुछ नहीं कहा।”
गौरतलब है कि दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) 3 साल पहले टूट गई थी। पार्टी के पांच सांसदों-पशुपति कुमार पारस (चिराग के चाचा), चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज (चिराग के चचेरे भाई) ने मिलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया था। इन सांसदों ने पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया था। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का जिम्मा भी सौंपा गया था।
वहीं, LJP में चिराग पासवान समेत कुल छह ही सांसद रह गए थे। चिराग पासवान के गुट को नाम लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (LJP-R) मिला। बाद में पशुपति पारस गुट NDA के साथ गठबंधन में आ गई। पारस केंद्रीय मंत्री भी बने थे।
पासवान परिवार का गढ़ रहा है हाजीपुर
हाजीपुर सीट (Hajipur Seat) से पहली बार 1952 में राजेश्वर पटेल सांसद बने थे। 1957 औट 1962 का चुनाव भी उन्होंने कांग्रेस का टिकट जीता था। 1967 में वाल्मीकि चौधरी जीते। 1971 में रामशेखर प्रसाद सिंह भी कांग्रेस से सांसद बने। 1977 के चुनाव में यहां जनता पार्टी के टिकट पर राम विलास पासवान ने जीते। 1980 में राम विलास फिर से सांसद बने। 1984 में यहां फिर से कांग्रेस जीती, राम रतन राम सांसद बने।
लेकिन 1989 में राम विलास पासवान (Ram Vilas Paswan) ने फिर से जनता दल के टिकट पर वापसी की, चुनाव जीते। 1991 में जनता दल के रामसुंदर दास जीते। 1996 से 2004 तक फिर रामविलास पासवान ही यहां के सांसद रहे। 2009 में रामसुंदर दास ने जनता दल (यूनाइटेड) के टिकट पर चुनाव लड़ा और सांसद बने। 2014 और 2019 का चुनाव भी पासवान परिवार ने ही जीता।