नीलम सिंह चौहान, ख़बरीमीडिया
Bhai Dooj 2023: रक्षाबंधन की तरह भाईदूज भी ( Bhaidooj) भाई-बहन के प्रेम का त्यौहार है। भाई दूज को यम दितिया भी कहा जाता है। इस पर्व के पीछे का श्रेय यमुना जी को जाता है। इसी को देखकर ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यमुना जी की पूजा करें। माना जाता है कि ऐसा करने से भाई और बहन को विशेष फल मिलते हैं। भाईदूज कार्तिक महीने में दीपावली के बाद शुल्क पक्ष की द्वितीय तिथि को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ में मनाया जाता है। भाइदूज के दिन यम द्वितीया और भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है। ऐसे में जानते हैं कि भाईदूज कब है और इसे कैसे मनाया जाता है और भाईदूज के दिन क्या क्या करना शुभ माना जाता है।
कब है भाईदूज ( Bhaidooj 2023 Date)
इस साल कार्तिक महीने में दीपावली के त्यौहार के बाद शुल्क पक्ष की द्वितीया तिथि यानी 14 नवंबर को दिन के 2 बजकर 36 मिनट से लेकर 15 नवंबर को 1 बजकर 47 मिनट तक है। उदया तिथि के अनुसार भाईदूज 14 नवंबर को मनाया जाएगा।
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भाईदूज को कैसे किया जाता है सेलिब्रेट ( How To Celebrate Bhai Dooj)
भाई दूज के शुभ अवसर पर सभी बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं। एक चीज का ध्यान अवश्य देना चाहिए कि तिलक को लगाते समय भाई का मुख उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। इस दिन बहनों को शाम को दक्षिण मुखी दीप जलाना चाहिए। इसे भाई के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह सुबह जल्दी उठकर भगवान को याद जरूर करना चाहिए और भाई के लिए मंगल कामना करना चाहिए।
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क्या होता है भाईदूज का महत्व
सनातन धर्म में भाई दूज के पर्व को बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है। ये भी कहा जाता है कि भाइयों और बहनों के बीच ये प्रेम का प्रतीक होता है। भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई के माथे पर हल्दी और रोली के तिलक को लगाती हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि भाई बहन यमुना नदी के किनारे बैठकर एक साथ भोजन करते हैं तो उससे जीवन में समृद्धि आती है।
कब हुई थी भाईदूज की शुरुआत ?
यम जब अपनी बहन यमुना से मिलकर विदा ले रहे थे, तो उनकी बहन ने उनसे एक चीज मांगी थी। यमुना ने कहा था कि आप हर वर्ष इस दिन मेरे घर आएं। यहीं से भाई दूज की शुरुआत हुई और हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर टीका लगवाने लगे।
भैया दूज की कहानी (Bhai Dooj Story)
यम और यमुना सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा के बच्चे हैं। कहा जाता है कि यम जब यमुना के घर गए तो उनकी बहन ने तिलक लगाया और भाई को भोजन करवाया। यमुना ने भाई यम का इतने अच्छे से स्वागत किया कि भाई यम ने उसे खुश होकर वरदान मांगने के लिए कहा। वरदान में यमुना ने अपने भाई से कहा कि हर साल आप इस दिन मेरे घर आना। इसी को देख हर भाई-बहन ने भाई दूज को मनाना शुरू किया।