Delhi Airport: अगर आप भी फ्लाइट से सफर करते हैं यह खबर आपके ही लिए है। बता दें कि राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ऑपरेटर कंपनी दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) ने एयरलाइंस कंपनियों से ज्यादा वसूली करने की योजना बनाई है। दरअसल कई एयरलाइंस अपने विमानों को दिल्ली हवाई अड्डे की प्लेन पार्किंग स्पेस में खड़ा करके रखती हैं। इन्हीं विमानों की पार्किंग फीस डायल ने बढ़ाने की योजना बनाई है।
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डायल के अनुसार एयरलाइंस कंपनियों के ये विमान काफी समय से उड़ान नहीं भर रहे हैं और एक तरह से सेवा से बाहर हैं। इसलिए उसने इसी तरह के लंबे समय से खड़े विमानों के लिए एयरलाइंस कंपनियों से ज्यादा शुल्क वसूलने की योजना है, क्योंकि ये विमान एयरपोर्ट के पार्किंग स्पेस पर कब्जा कर लेते हैं और इससे हवाई अड्डे पर फ्लाइट्स के ऑपरेशन में दिक्कत आती है।
पार्किंग में खड़े हैं कई विमान
हाल में कई एयरलाइंस कंपनियों के विमानों में इंजन में कमी पाई गई। इसमें प्रैट एंड व्हिटनी के इंजन वाले एयरबस के विमान शामिल हैं। जिसके कारण गो फर्स्ट जैसी एयरलाइंस तक बंद होने के कगार पर पहुंच चुकी है। वहीं इंडिगो और एअर इंडिया के भी कई विमानों में तकनीकी खराबी पाई गई है और ऐसे मामलों की संख्या बढ़ रही है। ये विमान एयरपोर्ट के पार्किंग स्पेस पर कब्जा कर लेते हैं।
डायल के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि इस समय दिल्ली हवाईअड्डे पर इंडिगो, स्पाइसजेट (IndiGo, SpiceJet) और एयर इंडिया (Air India) समेत अलग-अलग एयरलाइंस के करीब 64 विमान खड़े हैं। इनमें इंडिगो के 24 विमान, स्पाइसजेट के 6, एअर इंडिया के 2 और अलायंस एयर का एक विमान शामिल हैं। वहीं ऑपरेशन बंद कर चुकी एयरलाइंस गो फर्स्ट के 23, जूम एयर के 5 और जेट एयरवेज के 3 विमान भी हवाई अड्डे पर ही मौजूद हैं। जबकि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीएआई) पर विमानों के लिए 295 पार्किंग स्पेस हैं।
वसूली जाएगी ज्यादा पार्किंग फीस
डायल के सीईओ विदेह कुमार जयपुरियार ने कहा कि आने वाले दिनों में हम जब एयरपोर्ट पर विमानों के ट्रैफिक की समीक्षा करेंगे, तब जो एयरलाइंस कंपनियां एक निश्चित टाइम लिमिट से अधिक समय तक यहां विमान खड़ा करके रखेंगी उनसे कुछ अधिक शुल्क वसूलने पर विचार किया जा सकता है। दिल्ली हवाईअड्डे पर ट्रैफिक की समीक्षा अब अगले साल की शुरुआत में होगी।
अगर एयरलाइंस के लिए पार्किंग की फीस बढ़ाई जाती है। तब संभव है कि लोगों को हवाई यात्रा पर थोड़ा ज्यादा किराया देना पड़े, क्योंकि कंपनी इस एक्स्ट्रा खर्च की भरपाई ग्राहकों से कर सकती हैं। वैसे भी हवाई यात्रा टिकट में एयरपोर्ट चार्जेस एक जरूरी हिस्सा होते हैं।