Income Tax: इनकम टैक्स ऐसा अनिवार्य टैक्स है, जिससे बचना किसी भी नौकरीपेशा के लिए संभव ही नहीं है। एम्प्लाइज के हाथ में जब तक सैलरी आती है तब तक इनकम टैक्स कट चुका होता है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स कैलकुलेट करने के लिए नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) का ऐलान किया। साथ ही पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) को भी बरकरार रखा था।
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Income Tax: आपको बता दें कि साल 2023 में नई टैक्स व्यवस्था में बदलाव भी किए गए और अब ₹7,00,000 रुपये या उससे कम सालाना आमदनी होने पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87a के तहत रिबेट हासिल हो जाता है। साथ ही कोई टैक्स नहीं चुकाना पड़ता, लेकिन पुरानी टैक्स व्यवस्था में धारा 87a के तहत मिलने वाली छूट सिर्फ़ उन्हें हासिल होती है, जिनकी करयोग्य आय (Taxable Income) ₹5,00,000 से कम होती है।
न्यू टैक्स रिजीम में ₹62,501 कमाने वालों को भी देना पड़ेगा टैक्स
Income Tax: अब स्थिति यह है कि अगर आप हर महीने ₹62,500 कमाते हैं, तो आपकी सालाना आमदनी ₹7,50,000 हो जाएगी, और नई टैक्स व्यवस्था के तहत ₹50,000 की मानक कटौती (Standard Deduction) घटाने के बाद आपकी करयोग्य आय, यानी टैक्सेबल इनकम ₹7,00,000 रह जाएगी, और इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत मिलने वाली रिबेट के जरिये आपका टैक्स शून्य हो जाएगा, लेकिन अगर आपकी आय एक रुपया भी ज़्यादा हो जाती है, यानी आप ₹62,501 भी हर माह कमाते हैं, तो आपको टैक्स स्लैब के मुताबिक ही टैक्स चुकाना होगा, जो हज़ारों में बनेगा।
ओल्ड टैक्स रिजीम में बचा सकते हैं इनकम टैक्स
Income Tax: लेकिन अब आपको बताते हैं पुरानी टैक्स व्यवस्था के बारे में, जहां किराये के मकानों में रहने वाले करदाता कुछ खास मदों में बचत कर ₹70,000 मासिक, यानी ₹8,40,000 सालाना तक की आय के बावजूद शून्य टैक्स अदा करेंगे। आइए करते हैं हिसाब-किताब।
HRA Exemption करें हासिल
Income Tax: जिनकी मासिक आय ₹70,000 होती है, तो आमतौर पर उनका मूल वेतन (Basic Salary) ₹24,500 और मकान किराया भत्ता (House Rent Allowance) ₹12,250 होता है। इस लिहाज़ से अगर करदाता हर महीने मकान मालिक को ₹15,000 किराया देता है, तो सालाना ₹1,47,000 पर टैक्स से छूट (HRA Exemption) हासिल कर सकता है।
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80C के तहत करें बचत
Income Tax: इसके अलावा इस वेतन में से उसका प्रॉविडेंट फंड भी कटता होगा, जो आमतौर पर मूल वेतन का 12 फीसदी होता है, सो, इस केस में यह रकम ₹2,940 प्रतिमाह या ₹35,280 वार्षिक होगी, जो इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80सी के तहत करमुक्त हो सकती है। अब इस करदाता को धारा 80सी के तहत ही पूरे साल में ₹1,14,720 की बचत और करनी होगी, जो पीपीएफ (PPF), सुकन्या समृद्धि खाता (SSA), बच्चों की ट्यूशन फीस, जीवन बीमा पॉलिसी का प्रीमियम आदि जमा कर की जा सकती है। इस तरह धारा 80सी के अंतर्गत मिलने वाली अधिकतम, यानी ₹1,50,000 पर छूट हासिल की जा सकती है।
₹5,00,000 से कम हो जाएगी टैक्सेबल इनकम
Income Tax: अब इस शख्स ने ₹1,47,000 की HRA Exemption हासिल कर ली है, और ₹1,50,000 की छूट धारा 80सी के तहत, सो, अब अगर यह पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स रिटर्न फ़ाइल करता है, तो इसकी कुल आय में से इन दोनों छूट की रकम के अलावा ₹50,000 की मानक कटौती (Standard Deduction) भी घटाई जाएगी, यानी कुल आय में से कुल कटौती ₹3,47,000 हो जाएगी, जिसके बाद टैक्सेबल इनकम ₹4,93,000 रह जाएगी, जिस पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 87ए के तहत मिलने वाली छूट के बाद शून्य टैक्स अदा करना होगा।
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