Haryana News: हरियाणा की सियासत को लेकर एक बार फिर से फिर शुरू हो गई है। आपको बता दें कि नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) सरकार के तीन निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है, जिसके बाद राज्य सरकार अल्पमत में आ गई है। इन तीनों विधायकों ने कांग्रेस (Congress) को अपना समर्थन दिया है। निर्दलीयों के समर्थन वापस लेने के बाद राजनीतिक समीकरण भी बदल गए हैं। लेकिन सरकार गिरने का खतरा नहीं है। बीजेपी ने 47 विधायकों का समर्थन होने का भी दावा किया है। अब विधानसभा चुनाव तक हरियाणा (Haryana) में अल्पमत की सरकार ही सत्ता में रहेगी। यानी 4 महीने तक सैनी सरकार पर खतरा नहीं है।
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हरियाणा में निर्दलीय के हाथ के समर्थन वापस लेने के बाद सियासत भी गरमा गई है। मंगलवार सुबह से अटकलें थीं कि पूंडरी से निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, चरखी दादरी से निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान और नीलोखेड़ी से निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदल हरियाणा की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस लेने जा रहे हैं। इसी दौरान शाम को तीनों निर्दलीय विधायक रोहतक पहुंचे और पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा से मिले। उसके बाद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया। निर्दलीय विधायकों ने राज्यपाल को भी चिट्ठी लिखकर बीजेपी से समर्थन वापसी के बारे में जानकारी दे दी है। कांग्रेस ने सीएम नायब सैनी के इस्तीफे और हरियाणा में राष्ट्रपति शासन तक की मांग कर दी है।
हरियाणा में बहुमत के के लिए यह है आंकड़ा
आपको बता दें कि हरियाणा की मौजूदा विधानसभा में कुल 88 सदस्य हैं। बहुमत का आंकड़ा 45 है। सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन है। इनमें एक HLP और दो निर्दलीय विधायक शामिल हैं। इसका मतलब हुआ कि नायब सरकार के पास बहुमत के लिए दो विधायकों की कमी है। लेकिन बीजेपी का दावा है कि सरकार पर कोई संकट नहीं है। उसके साथ अपने 40 विधायक हैं और दो निर्दलियों और गोपाल कांडा के साथ ही JJP के 4 विधायकों का समर्थन है। यानी 47 विधायक हैं और इसलिए सरकार को कई खतरा नहीं है।
6 महीने तक सरकार पर कोई संकट नहीं
प्रश्न यह उठता है कि क्या हरियाणा सरकार (Haryana Government) पर तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापसी से बड़ा संकट आ गया है या क्या सरकार अल्पमत में आ गई है? तो इसक जवाब तो हां ही आता है, क्योंकि अभी बीजेपी के पास 43 विधायकों का समर्थन है, जिसमें 40 विधायक अपने और तीन दूसरे विधायक हैं। बीजेपी ने जेजेपी के भी 4 विधायकों का समर्थन होने की बात कही है।
दूसरा सवाल उठता है कि क्या तीन निर्दलीयों के समर्थन वापसी से कांग्रेस के पास सरकार बनाने का मौका है? इसका जवाब है नहीं, इसके पीछे कारण यह है कि कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। तीन और जुड़े तो ये संख्या 33 हो जाती है। जेजेपी के 10 विधायक कांग्रेस के साथ तो नहीं जाने वाले हैं। अगर चले भी जाते हैं तो ये संख्या 43 ही होती है। अब तीसरा प्रश्न उठता है कि क्या कांग्रेस अभी बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए सदन में कह सकती है। तो इसका जवाब है नहीं। क्योंकि 13 मार्च को ही नायब सिंह सैनी की सरकार ने बहुमत साबित किया है और नियम है कि इसके छह महीने तक कोई विश्वास मत परीक्षण नहीं हो सकता है। यानी 13 सितंबर तक विश्वास मत परीक्षण का प्रस्ताव कोई नहीं ला सकता है।
13 मार्च को सीएम बने थे सैनी
हरियाणा में बीजेपी सरकार ने 13 मार्च को मनोहर लाल खट्टर की जगह नए मुख्यमंत्री के नायब सिंह सैनी को शपथ दिलाई थी और अगले दिन सदन में ध्वनि मत से विश्वास मत हासिल किया था। हाल ही में जेजेपी के कई विधायक सत्तारूढ़ बीजेपी के समर्थन में आ गए हैं। करनाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने करनाल से विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। वहां से विधानसभा उपचुनाव में सीएम सैनी उम्मीदवार हैं। हरियाणा के पूर्व मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने भी मार्च में विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। वे रानिया क्षेत्र से निर्दलीय विधायक थे. 24 मार्च को बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। बता दें कि वे बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
जानिए हरियाणा विधानसभा की वर्तमान स्थिति
विधानसभा में कुल सीटें- 90
दो इस्तीफे के बाद सीटें- 88
अब बहुमत के लिए आंकड़ा- 45
जानिए किसके पास कितने विधायक
बीजेपी- 40
कांग्रेस- 30
जेजेपी- 10
हरियाणा लोकहित पार्टी- 1
इंडियन नेशनल लोकदल- 1
निर्दलीय विधायक- 6
बीजेपी का दावा- हमारे पास 47 विधायक
पार्टी विधायक- 40
निर्दलीय- 2
एचएलपी- 1
जेजेपी- 4
पूर्व सीएम ने ये कहा
आपको बता दें कि इस पूरे मामले को लेकर हरियाणा के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता मनोहर लाल खट्टर ने कहा, चुनावी माहौल है। कौन किधर जाता है, किधर नहीं जाता- उससे असर नहीं पड़ता है। कई अन्य विधायक हमारे संपर्क में हैं, इसलिए किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। कब, कौन क्या करेगा, चुनाव अभी लंबा चलेगा।
कांग्रेस-जेजेपी और आप भी इस्तीफे की मांग
इस मामले को लेकर हुड्डा ने कहा, सरकार को अब इस्तीफा दे देना चाहिए। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए और चुनाव होना चाहिए। यह जनविरोधी सरकार है। हुड्डा ने समर्थन के लिए तीनों विधायकों का आभार जताया और कहा, उन्होंने जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया है।
इस बीच, जेजेपी नेता दिग्विजय सिंह चौटाला ने इस मामले में अपना बयान दिया है उन्होंने कहा कि हुड्डा कहते हैं कि सरकार अल्पमत में है। वो विपक्ष के नेता हैं और उन्हें तुरंत राज्यपाल से मिलना चाहिए और उन्हें घटनाक्रम के बारे में बताना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या जेजेपी कांग्रेस को समर्थन देगी? चौटाला ने कहा, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि जेजेपी कांग्रेस को समर्थन देने और उसके साथ सरकार बनाने को तैयार है। लेकिन कम से कम जो सरकार लोगों का विश्वास खो चुकी है, उसे हटाने के लिए हुड्डा को प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
कांग्रेस के समर्थन से कुरूक्षेत्र सीट से उम्मीदवार और हरियाणा में AAP के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा, बीजेपी सरकार अल्पमत में आ गई है। उन्होंने कहा, मैं राज्यपाल से अनुरोध करता हूं कि इस सरकार को तुरंत बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।