UP: देवरिया में क्या है जनता का मूड..देखिए आजतक का हेलिकॉप्टर शॉट

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AajTak Deoria News: महान संत देवरहा बाबा की धरती देवरिया लोकसभा क्षेत्र उत्तरप्रदेश के 80 संसदीय सीटों में से एक है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के देवरिया (Deoria) जिले में भी लोकसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज है। बिहार से सटा हुआ यह जिला प्रदेश के हाई प्रोफाइल जिलों में गिना जाता है। इस सीट से राज्य के कई कद्दावर नेता अपनी किस्मत आजमां चुके हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में देवरिया संसदीय सीट से रमापति राम त्रिपाठी (Ramapati Ram Tripathi) ने जीत हासिल की थी। बीजेपी का यहां पर पिछले 10 साल से कब्जा बना हुआ है।

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क्या इस बार के चुनाव में बीजेपी यहां से हैट्रिक लगा पाएगी या नहीं इसे जानने के लिए आजतक की सीनियर एंकर अंजना ओम कश्यप पहुंची UP के देवरिया। आपको बता दें कि देवरिया से शशांक मणि त्रिपाठी (Shashank Mani Tripathi) को बीजेपी ने तो कांग्रेस (Congress) ने अखिलेश प्रताप सिंह (Akhilesh Pratap Singh) को मैदान में उतारा है।

इस कार्यक्रम की शुरुआत लोकगीत के साथ हुई। और फिर शुरू हुआ सवालों का सिलसिला। सीनियर एंकर अंजना ओम कश्यप ने बिना रुके सवाल की और जनता से जवाब मिलता गया।

पहला सवाल हुआ तो जवाब आया कि राम राज्य आने को है। हमारे राम महलों में आ गए हैं। दूसरा सवाल जब महिला से किया गया तो उन्होंने जवाब दिया कि चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम बड़ा मुद्दा है। देवरिया की चीनी मील चलनी चाहिए, इससे लोगों को रोजगार मिलेगा।

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सवाल जब पत्रकारों से किया गया तो जवाब आया कि इस बार माहौल बदला हुआ है लेकिन बीजेपी फिर भी सीट निकालने में कामयाब होगी। इस बार बीजेपी ने प्रत्याशी बदल दी है। यहां कोई भी प्रत्याशी लगातार नहीं जीतता है, शायद एक वजह यह भी रही हो बीजेपी का प्रत्याशी बदलने का।

एक दूसरे पत्रकार ने कहा कि यहां की जनता लोकल प्रत्याशी की मांग कर रही थी, पूर्व के दोनों प्रत्याशी बाहर के थे और बाहर के प्रत्याशी रहते हैं तो लोकल की बात उतना नहीं सुन पाते हैं इसलिए यहां की जनता की मांग थी कि लोकल प्रत्याशी लाया जाए।

एक व्यक्ति ने कहा कि प्रत्याशी बदलने से बात अच्छी हो गयी है। लोकल प्रत्याशी का अपना प्रभाव होता है। बाहर के प्रत्याशी आते हैं कुछ भी कर नहीं पाते हैं।

एक दूसरे व्यक्ति ने कहा कि इस चुनाव में बीजेपी एकतरफा चुनाव जीत रही है क्योंकि विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है। सीधे अपमान करके वो लोग चुनाव लड़ रहे हैं।

जानिए देवरिया का सियासी समीकरण

देवरिया जिला उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। देवरिया का निर्माण 16 मार्च 1946 को गोरखपुर के पूर्व-दक्षिण के कुछ हिस्से को अलग कर हुआ था। इसके बाद 13 मई 1994 को देवरिया से अलग कर एक नया जिला कुशीनगर (पूर्व में नाम पडरौना जिला) बनाया गया और उसके बाद इसे 1997 में कुशीनगर का नाम दिया गया।

देवरिया का इतिहास काफी पुराना माना जाता है। देवरिया नाम की उत्पत्ति ‘देवारण्य’ या ‘देवपुरिया’ से हुई थी। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक ‘देवरिया’ नाम इसके मुख्यालय के नाम से लिया गया है और इसका मतलब होता है एक ऐसा स्थान, जहां कई मंदिर होते हैं।

देवरिया संसदीय सीट का इतिहास देश के पहले लोकसभा चुनाव (1952) के साथ ही पुराना है। यहां पर काफी समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा। लेकिन 1991 के बाद उसका असर यहां से कम होने लगा और मुकाबला बीजेपी, सपा और बसपा के बीच ही होने लगा।

2019 का जनादेश

लोकसभा चुनानव 2019 में बीजेपी के रमापति राम त्रिपाठी ने जीत दर्ज की, उन्हें 5,80,644 मिले। तो वहीं बसपा के बिनोद कुमार जयसवाल को 3,30,713 वोट मिले और कांग्रेस के नियाज अहमद खान को महज 51,056 वोट मिले थे।

2014 का जनादेश

लोकसभा चुनाव 2014 में इस संसदीय सीट से बीजेपी के कलराज मिश्रा ने जीत हासिल की थी। उन्होंने चुनाव में 496,500 वोट हासिल किया था। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के नियाज अहमद को हराया। तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी के बलेश्वर यादव रहे जिनको 150,852 वोट मिले।