Noida News: नोएडा-ग्रेटर नोएडा के प्राइवेट स्कूलों से हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही है। बता दें कि निजी स्कूलों की मनमानी और अभिभावकों की सुविधाओं के लिए यूपी सरकार (UP Government) ने साल 2018 में फीस ऐक्ट बनाया था, ताकि पेरेंट्स को किसी भी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े। लेकिन ये सब किताबी बातें साबित हो रही है।
अप्रैल से प्राइवेट स्कूलों (Private Schools) में नया शैक्षिक सत्र (Academic Session) शुरू होने जा रहा है। जिले के प्राइवेट स्कूलों में स्टेशनरी और ड्रेस के लिए पेरेंट्स की आवाजाही शुरू हो गई है। कई स्कूलों में स्कूल प्रबंधन निजी प्रकाशकों (Private Publishers) की महंगी किताबों को खरीदने के लिए पेरेंट्स को मजबूर कर रहे हैं। एनसीईआरटी (NCERT) की जगह पर प्राइवेट प्रकाशन की किताबों को स्कूलों में चलाया आ रहा है।
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नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट (Greater Noida West) में सीबीएसई और आईसीएसई (CBSE and ICSE) के 400 से ज्यादा स्कूल चल रहे हैं। सरकार की ओर से साल 2018 में फीस एक्ट लाकर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान (National Educational Research) और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबों को यूज करने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद भी प्राइवेट स्कूल प्रबंधन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। अभिभावकों को फिक्स रेट पर प्राइवेट प्रकाशनों की किताबें खरीदने के लिए बाध्य किया जा रहा है। स्कूल परिसर में किताबें, ड्रेस सहित अन्य चीजें मनमाने रेट से बेची जा रही हैं।
पैरेंट्स को भेजे जा रहे मेसेज
स्कूलों में नए सत्र के लिए बच्चों को प्राइवेट प्रकाशन की किताब दी जा रही है। स्कूल परिसर में ही दुकान तैयार की गई हैं और पैरेंट्स को मेसेज भी भेजे जा रहे हैं। नाम न बताने की शर्त पर एक अभिभावक ने बताया कि बाहर से कोई भी किताब लेने की मनाही है। एनसीईआरटी की किताबें नहीं शुरू की जा रही हैं।
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80 फीसद तक महंगी हैं किताबें
ऑल नोएडा पेरेंट्स एसोसिएशन ANSPA के महासिचव के अरुणाचलम का मानना है कि निजी प्रकाशक की किताबें एनसीईआरटी से 60 से 80 फीसद तक महंगी हैं। एनसीईआरटी की जो किताब 40 से 60 रुपये में मिलती हैं, वहीं प्राइवेट प्रकाशक की किताब 300 से 495 रुपये में दी जा रही हैं। एनसीईआरटी की किताबें सस्ती होने के बाद भी प्रिंट रेट से दस फीसद तक कम में मिलती हैं। कई स्कूलों में तो एनसीईआरटी और निजी प्रकाशन की किताबों के रेट का अंतर दस गुना से भी ज्यादा है।
NCR पैरेंट्स एसोसिएशन के फाउंडर सुखपाल सिंह तुर का मानना है कि जिले के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की ओर से लापरवाही के कारण स्कूल परिसर में दुकानें लगाई जा रही हैं और खुले आम बुक व स्टेशनरी का व्यापार किया जा रहा है।
पूरे मामले पर जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. धर्मवीर सिंह ने कहा कि स्कूल परिसर में दुकान लगाकर किताबें और ड्रेस बेचने का कोई नियम नहीं है। कोई भी स्कूल प्रबंधन स्कूल में दुकान नहीं लगा सकता है। एनसीईआरटी की किताबें ही कोर्स में चलाई जाएं।