vastu: वास्तु शास्त्र में कई सारी चीजों के बारे में डिटेल में बताया गया है कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं? वहीं, वास्तु शास्त्र ( Vastu Shastra) में जमीन या भूमि को परचेस यानी कि खरीदने से पहले उसकी वातावरण और सम्बंधित समीक्षा करना अत्यंत बेहतरीन माना जाता है. ऐसा करने से घर बनाने के बाद उसमें रहने वाले लोग कई तरह के वास्तु दोषों एवम समस्यायों से निजात पा सकते हैं.
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ये तो आप भी जानते ही हैं कि घर या मकान व्यक्ति की मूलभूत जरूरतों में से एक हैं. अपना खुद का घर बनाना प्रत्येक व्यक्ति का ही सपना होता है. ऐसे में वास्तु शास्त्र के अनुसार घर तैयार करने से पहले बेहद जरूरी है ये देखना कि जिस भूमि में घर बनवाना चाहते हैं वे कितना शुभ है और कितना नहीं. यदि जमीन की खुदाई करते समय हड्डी, कोयला, कपाल या लोहा मिले तो ऐसी जमीनों को शुभ नहीं माना जाता है. इसके इसके विपरीत खुदाई के दौरान यदि ईंट-पत्थर या ताम्बे के सिक्के निकलें तो भूमि सुख-समृद्ध और सम्पन्नता वाई होती हैं.
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वास्तु शास्त्र के अनुसार प्लाट के आस-पास न ही किसी तरह का पुराना कुआँ होना चाहिए और न ही कोई टूटा-फूटा या खंडहर घर होना चाहिए.
बताते चलें कि यदि मिटटी का रंग लाल हो तो ये व्यापार के नजरिये से बेहद अच्छी होती है. इसके आलावा काली मिटटी में घर बनवाना बेहद शुभ माना जाता है.
घर बनाने के लिए भूमि लेते समय इस बात का खास ख्याल रखें कि मकान का मुँह दक्षिण दिशा की ओर न हो.
वास्तु के अनुसार उत्तर या पूर्व मुखी दिशा की ओर घर का द्वार होना बेहद शुभ माना जाता है.
वास्तु के अनुसार जिस जगह पर कांटेदार पेड़ हों तो उस जगह मकान का निर्माण नहीं करना चाहिए.
प्लाट के दक्षिणी भाग में किसी भी तरह का जलश्रोत्र, जैसे कि नदी, तालाब,हैंडपंप वगैरह नहीं होना चाहिए.
गड्ढों वाली भूमि पर रहने से जीवन में आर्थिक एवम मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ता है.