भारत में अलग-अलग जज्बे और जुनून के लोग रहते हैं। उनमें से कुछ ऐसे हैं, जिन्होंने अगर ठान लिया तो पूरा करके ही दम लेते हैं। आज हम ऐसी शख्सियत के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो पेशे से पत्रकार हैं लेकिन इन दिनों सब कुछ छोड़कर 21000 किमी. की यात्रा साइकिल से पूरा कर रहे हैं। नाम है प्रशांत रामेश्वर.
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मध्य प्रदेश के करैरा तहसील के रहने वाले प्रशांत ने मीडिया में 12 साल तक काम किया. लेकिन उनके दिल में देश के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा, देश को जागरूक करने की इच्छा केवल नौकरी से पूरी नहीं हो पा रही थीं। जिसके चलते प्रशांत ने अच्छी खासी नौकरी छोड़ी दी और भारत की नींव यानी छोटे छोटे बच्चों के लिए उनके बचपन को संजोने और उनके भविष्य को मजबूत बनाने के लिए ‘राइट टू एजुकेशन’ मतलब ‘शिक्षा का अधिकार’ मुहिम को लेकर देश की यात्रा करने के लिए निकल पड़े हैं।
अपनी इस यात्रा के तहत प्रशांत ने पूरे देश के सभी राज्यों में साइकिल से यात्रा करने की ठानी और 8 मार्च को लगभग 21000 किमी. की यात्रा पूरी करने के लिए राजधानी दिल्ली से साइकिल से निकल पड़े हैं। दिल्ली से हरियाणा होते हुए राजस्थान पहुंचे। यहां जयपुर और सीकर होते हुए 10वें दिन बीकानेर पहुंच गए हैं।
इस यात्रा के दौरान वह कई ग्रामीण इलाकों में लोगों से मिले और कई सरकारी स्कूल गए, ग्रामीणों को शिक्षा की महत्ता बताई और शिक्षा के प्रति जागरूक किया, साथ ही बच्चों को अच्छी शिक्षा देने की गुजारिश की। वहीं शिक्षकों से मिलकर अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा देने और पढ़ने की लालसा बनाए रखने पर चर्चा की और छात्रों से शिक्षित होने के फायदे और अच्छा इंसान बनने पर बात की।
इस दौरान बच्चों को ये भी शपथ दिलाई कि अगर कोई आसपास का बच्चा शिक्षा से वंचित हो, तो उसको स्कूल तक पहुंचने और शिक्षित होने में सहयोग करें। इससे संबंधित वीडियो और तस्वीरें प्रशांत अपने सोशल मीडिया अकाउंट @journoprashant पर भी डालते हैं। प्रशांत अपने इस नेक संदेश को पूरे देश में फैलाने के उद्देश्य से निकले हैं। ऐसे युवा देश को और मजबूत बनाने के लिए बहुत अहम भूमिका काम करते हैं, जिनसे हर नागरिक का गर्व से सिर ऊंचा होता हैं।
प्रशांत रामेश्वर को उनके नेक दिल काम के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।
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