Noida: लर्निंग लाइसेंस बनवाने से पहले ये ज़रूरी ख़बर पढ़ लीजिए

दिल्ली NCR नोएडा
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Noida News: नोएडा में लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वालों के लिए बड़ी और जरूरी खबर है। बता दें कि लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस (Learning Driving License) के लिए अप्लाई करने वाले लगभग 25 प्रतिशत लोग लर्निंग टेस्ट को पास नहीं कर पा रहे हैं। पिछले 6 महीने से इस इसकी संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। इससे पहले फेल होने वाले केवल 18 प्रतिशत ही लोग थे। वहीं, स्थायी लाइसेंस के लिए टेस्ट देने वाले लगभग 20 प्रतिशत तक लोग फेल हो रहे हैं। पहले यह आंकड़ा 30 प्रतिशत तक था।
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लर्निंग लाइसेंस (Learning License) में फेल होने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी की वजह है ऑनलाइन प्रक्रिया। जिसे लोग ठीक से समझ नहीं पाते हैं। ज्यादातर लोग टेस्ट देते समय ऑन कैमरे के सामने से अपना चेहरा दाई या फिर बाई तरफ घुमा लेते हैं। जिससे सॉफ्टवेयर टेस्ट देने वाले को फेल मान लेता है। इसके अलावा इसमें पूछे जाने वाले सवालों में दिए गए टाइम का भी लोगों को ध्यान नही होता। वहीं, स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट में पास होने वाले लोगों की संख्या का बढ़ना मोटर ट्रेनिंग स्कूलों की व्यवस्था में सुधार को दिखाता है।
विभागीय अधिकारियों का इसको लेकर कहना है कि लोग ट्रेनिंग लेकर टेस्ट दे रहे हैं, जिससे उनकी संख्या में इजाफा हुआ है। जिले में एक दिन में लगभग 340 स्थायी लाइसेंस बनते हैं। वहीं, लर्निंग लाइसेंस बनवाने के लिए कोई संख्या तय नहीं है। लेकिन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक लगभग 400 लोग लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन करते हैं, जिनमें से 100 इस प्रक्रिया में फेल हो जाते हैं। एआरटीओ सियाराम वर्मा ने कहा कि सख्त नियम होने के कारण से ऐसा हो रहा है। विभाग हर तरह से प्रशिक्षित अच्छे चालकों को लाइसेंस प्रदान करता है।

आठ मोटर ट्रेनिंग स्कूल हुए उच्च तकनीक से लैस

उप संभागीय परिवहन अधिकारी डॉ सियाराम वर्मा (Dr Siyaram Verma) ने जानकारी दी कि सभी मोटर ट्रेनिंग स्कूलों को मोडिफाई करने का निर्देश दिया गया था। आधुनिक तकनीकों (Modern technologies) से लैस उपकरणों को इनमें शामिल करने के भी निर्देश जारी किए गए थे। जिसके बाद 12 में से आठ स्कूलों ने नियमों का पालन करते हुए खुद में बदलाव किए। वहीं, नियम न मानने पर चार स्कूलों के खिलाफ विभाग ने कार्रवाई कर लाइसेंस रद्द कर दिया।

टेस्ट में फेल होने के कारण

टेस्ट के दौरान दिए गए निर्देशों को ठीक न समझ पाना।

इंडिकेटर का प्रयोग जब करना चाहिए तब नहीं कर पाना।

हॉर्न बजाना भूल जाना।

वाहन चलाते समय वाहन का अचानक से बंद हो जाना।

टेस्ट के दौरान सीट बेल्ट ना लगाना।