Noida : कॉमर्शियल स्पेस बेचने के नाम पर नोएडा में चार बिल्डर सहित दो ब्रोकर कंपनी के ठिकानों पर इनकम टैक्स की रेड से बड़े खुलासे सामने आए हैं। आपको बता दें कि इनकम टैक्स (Income Tax) की रेड में लगभग 2 करोड़ 70 लाख रुपए कैश मिले हैं। भूटानी इंफ्रा (Bhutanese Infra), ग्रुप 108, एडवंट, लाजिक्स समेत दो ब्रोकर कंपनियों (Broker Companies) में करीब करोड़ रुपए के टैक्स चोरी करने का दस्तावेज भी आयकर विभाग (Income Tax) को मिले हैं। इसके साथ ही बहुत सी पर्चियां और कच्चे बिल भी मिले हैं।
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नोएडा, दिल्ली और फरीदाबाद में 37 ठिकानों में सर्च किया
इनकम टैक्स (Income Tax) ने चार बिल्डर और दो ब्रोकरेज कंपनी के नोएडा, दिल्ली, फरीदाबाद में 37 ठिकानों पर गुरुवार से ही रेड डाली। हालांकि इसमें नोएडा (Noida) की तीन लोकेशन पर सर्च पूरी कर ली गई है। बिल्डरों के एग्रीमेंट और सेल-परचेज के मिले दस्तावेजों के आधार पर पूछताछ हो रही है। दस्तावेजों से साफ होता जा रहा है कि लाजिक्स ग्रुप कॉमर्शियल स्पेस को बड़े पैमाने पर बेचने का ठेका भूटानी ग्रुप की तरफ से लिया गया है। जिसमें सभी की हिस्सेदारी रखगी गई है। इस सर्च में आयकर विभाग के 400 से ज्यादा कर्मी और अधिकारी लगे हैं।
यह पूरा खेल लाजिक्स ग्रुप के कई कॉमर्शियल प्लॉट को बनाकर कॉमर्शियल स्पेस के लिए बहुत ही प्लानिंग के जरिए की गई। जिसमें भूटानी ग्रुप के पुराने हिस्सेदार आइथम एवं कोरंथम के मालिक भी हिस्सेदार हैं। जिसका भूटानी ग्रुप से आंतरिक एग्रीमेंट किया, इसके तहत भूटानी ने इस स्पेस को बेचने का काम शुरु कर दिया। यहां अधिकांश पैसा ब्लैक में खपाया गया है। करीब एक प्लॉट को बेचने में 40 प्रतिशत तक का पैसा कैश में लिया जाता था। जिसका न कोई पक्के दस्तावेज होते है और न ही कोई लीगल डाक्यूमेंट।
ब्रोकर के जरिए खेला गया कमीशन का खेल
चारों बिल्डरों ने कई सौ करोड़ रुपए के टैक्स में हेराफेरी की। बता दें कि भूटानी इंफ्रा किसी भी ब्रोकर के जरिए कोई भी कॉमर्शियल स्पेस बेचता है तो ब्रोकर को काफी बड़ा हिस्सा कमीशन के रूप देता था। ये पूरा कमीशन कैश में दिया जाता था। जिसका कोई भी पक्का दस्तावेज नहीं होता। ऐसी कई पर्चियां और कच्चे दस्तावेज मिले हैं, जिनमें ब्रोकर को दिए गए पैसों की विवरण लिखा गया है। इनमें से दो ब्रोकर के यहां इनकम टैक्स की रेड जारी है।
दो साल पहले आयकर विभाग ने की थी कार्रवाई की तैयारी
फरवरी 2022 में आयकर विभाग को पहली बार टैक्स चोरी की जानकारी मिली। डेढ़ साल पहले आयकर विभाग ने बिल्डरों पर सर्च की योजना तैयार की थी, लेकिन अनुमति न मिलने के कारण सर्च को एक साल तक रोके रखा गया। टैक्स चोरी के पुख्ता सबूत हाथ लगने के बाद दस्तावेजों को खंगालना काम शुरू किया। इसी दौरान पता चला कि भूटानी ग्रुप दो भागों में बंट गया। पहली भूटानी इंफ्रा और दूसरा ग्रुप 108 रहा। अब दोनों कंपनी के जरिए कॉमर्शियल स्पेस को बेचा जा रहा है।