Parliament Security: संसद की सुरक्षा में हुई चूक को लेकर काफी हंगामा मचा हुआ है। इस मुद्दे पर संसद (Parliament) के शीतकालीन सत्र में काफी हंगामा भी मचा है। संसद की सुरक्षा (Parliament Security) की जिम्मेदारी अब केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सौंप दी गई है। पढ़िए पूरी खबर…
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संसद में हुई सुरक्षा चूक के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने बड़ा फैसला किया है। संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को सौंप दी गई है। अब तक दिल्ली पुलिस के जवान संसद की सुरक्षा संभाल रहे थे। गृह मंत्रालय ने फैसला किया है कि संसद भवन परिसर की व्यापक सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ संभालने वाली है।
संसद की सुरक्षा में सीआईएसएफ के जवान होगें तैनात
सीआईएसएफ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) का एक हिस्सा है। जो न्यूक्लियर और एयरोस्पेस डोमेन के अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठानों, सिविलियन एयरपोर्ट और दिल्ली मेट्रो की सुरक्षा का काम करती है। इसके साथ ही राजधानी दिल्ली में कई केंद्रीय मंत्रालयों के भवनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सीआईएसएफ के पास ही है। इस तरह सरकार के फैसले के बाद अब सीआईएसएफ के पास देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली इमारत की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी आ गई है।
सीआईएसएफ की नियुक्ति से पहले होगा संसद भवन का सर्वे
सीआईएसएफ ने उप महानिरीक्षक अजय कुमार (Ajay Kumar) की अध्यक्षता में एक बोर्ड गठित किया है। जो संसद भवन परिसर का व्यापक एवं सघन सर्वेक्षण करेगा। जिससे सीआईएसएफ की सुरक्षा एवं अग्निशमन विंग की नियमित तैनाती की जा सके। सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने सीआईएसएफ के महानिदेशालय को संसद भवन परिसर के व्यापक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। जिस पर सीआईएसएफ महानिदेशालय ने तुरंत ही यह बोर्ड गठित करने का निर्णय लिया।
सूत्रों के मुताबिक संसद के बजट सत्र (Budget Session) के पहले सीआईएसएफ के संसद की सुरक्षा व्यवस्था की कमान संभालने की संभावना है। लेकिन विजिटर्स के लिए पास बनाने का काम संसद का स्टॉफ ही करेगा। 13 दिसंबर को लोकसभा के सदन में दो युवा दर्शक दीर्घा से अंदर कूद गए थे। जिससे संसद भवन परिसर की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्न चिह्न लग गया था। इसके बाद सरकार ने संसद की सुरक्षा व्यवस्था की व्यापक समीक्षा करने के बाद यह फैसला किया है।
जानिए संसद का सुरक्षा प्रोटोकॉल क्या है?
संसद की सुरक्षा की जिम्मेदारी लोकसभा (Lok Sabha) के पास होती है। लोकसभा सुरक्षा की आंतरिक व्यवस्था को संभालती है। दोनों सदनों यानी राज्यसभा और लोकसभा के अपने सुरक्षाकर्मी होते हैं, जिन्हें पार्लियामेंट सिक्योरिटी सर्विस (PSS) के तौर पर जाना जाता है। इस सर्विस का काम कुल मिलाकर पूरी सुरक्षा व्यवस्था करना होगा। ये सर्विस तब ज्यादा एक्टिव होती है, जब संसद का सत्र नहीं चल रहा होता है और सदन में आवाजाही बंद होती है।
लेकिन जब सत्र का आयोजन होता है और सांसदों का आगमन शुरू होता है, तो सिक्योरिटी को और भी ज्यादा बढ़ा दिया जाता है। दिल्ली पुलिस के कर्मी, सेंट्रल रिजर्व पुलिस बल (CRPF), इंडो-तिब्बत पुलिस फोर्स (ITBP) के जवानों को सत्र के दौरान सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है। इसके साथ ही किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए इंटेलिजेंस ब्यूरो, एसपीजी, एनएसजी के जवान भी संसद भवन में मौजूद रहते है। लेकिन सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस के हाथ में होती थी। जिसे अब सीआईएसएफ को सौंप दिया गया है।
साल 2001 संसद (Parliament) पर हमले के बाद काफी चीजें बदल भी गई है। अब संसद की सुरक्षा हाईटेक तरीके से की जाती है। हर रास्ते पर सीसीटीवी कैमरे इंस्टॉल किए गए है। कुछ रास्तों और गेट्स को बंद कर दिया गया है। संसद के स्टाफ के पास अगर वैलिड आईडी नहीं होती है, तो उन्हें तुरंत लौटाने की व्यवस्था है।
संसद में आने के लिए उन्हें भी पास की जरूरत पड़ती है। सुरक्षा के लिए मेटल डिटेक्टर जैसे उपकरण भी इस्तेमाल किए जाते है। संसद भवन परिसर के आस-पास तो इस तरह की सुरक्षा होती ही है, मगर संसद भवन के बाहर और उससे सटी सड़कों पर भी पुलिस हमेशा तैनात रहती है।
अब जानिए 13 दिसंबर को क्या हुआ था?
बता दें कि संसद पर हमले की बरसी के दिन 2 लोग सदन में घुस आए थे। उन्होंने नारेबाजी की और फिर अपने जूते में छिपाकर लाए गए स्मोक बॉम्ब (Smoke Bomb) का इस्तेमाल सदन के भीतर ही कर दिया। इस वजह से सदन में पीले रंग का धुआं फैल गया। जिस वक्त इन लोगों ने ऐसा किया, उसी वक्त इनके 2 साथियों ने भी बाहर स्मोक कैंडल जलाए और नारेबाजी भी की थी। संसद में घुसपैठ करने वाले इन सभी आरोपियों को मौके से ही गिरफ्तार कर लिया था।