1947 हुतात्माओं की सद्गति, तर्पण और मोक्ष का अक्टूबर में ‘महाकुंभ’

पंजाब
Spread the love

पंजाबी समुदाय से आगे आने की अपील – सुरेश मनचन्दा

Jyoti Shinde, Editor

देश में बिखरे हुए पंजाबी समाज विशेष तौर पर 1947 भारत विभाजन के समय अविभाजित भारत के पश्चिमी पंजाब से आए उन भारतीय पंजाबियों को एकत्रित करने और उन्हें देश की मुख्यधारा में अपनी अग्रिम भूमिका निभाने के लिए सुरेश मनचन्दा ने सभी पंजाबी बिरादरियों उनकी 900 से ज्यादा जातियों और उपजातियों को इकट्ठा होने का आवहन किया है।

सुरेश मनचन्दा ने कहा कि जहां देश 75 साल के आजादी का अमृतोत्सव मना रहा है वहीं देश ये भूल गया है कि 75 साल पहले मिली आजादी की सबसे बड़ी कीमत पंजाबी समुदाय ने अपने और अपनों के रक्त से अदा की थी। देश भूल गया है कि जहां देश आजादी का जश्न मना रहा था वहीं दूसरी तरफ विभाजन के चलते इन पंजाबियों ने अपने देश, धर्म और इज्जत के लिए अपनी कुर्बानी दी थी। जहां देश उन 20 लाख से ज्यादा की कुर्बानियों को भूल गया है वहीं हमारी पंजाबी कोम भी उस दर्द को भूलाकर आगे बढ़ गई।

हमारी तीसरी पीढ़ी को तो पता ही नहीं कि उनके पूर्वजों के साथ हुआ क्या था ? आज जिस आजादी में वो सांस ले रहे हैं उसकी कितनी बढ़ी कीमत उनके पूर्वजों ने अदा की है। उन्हें ये पता ही नहीं कि उनके पूर्वजों से ना सिर्फ उनका रुतबा छिन लिया गया, उनकी जमीन, उनके घर छिन लिए गए बल्कि उनकी माताओं और बेटियों और बहनों पर जो अत्याचार हुए, को सुनकर ही रुह कांप जाए।

सुरेश मनचन्दा ने कहा कि पंजाबी कोम 1947 में भी राजनीति की शिकार हुई और आज भी राजनीति की शिकार है। उन्हें उनके अधिकारों से वंचित रखा गया है। क्योंकि कभी इस कोम ने आगे बढ़कर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ी ही नहीं। ये कोम अभी तक अपने अस्तित्व को बचाने में लगी थी। कोम का हर व्यक्ति अपनी अपनी लड़ाई खुद लड़ रहा था। लेकिन अब समय आ गया है, नासिर्फ उन अपनों को याद करने का बल्कि उन अपनों को जिन्होने 1947 में अपनी जान देकर, अपने वारिसों को जिन्दा आजाद भारत भेजा। अपने खानदान की इज्जत को दागदार नहीं होने दिया। भारत का सिर झुकने नहीं दिया। अपनों गुरुओं से धर्म की शिक्षा लेते हुए, गुरु तेगबहादुर जी और गुरु गोंबिंद सिंह जी से अपना मार्ग दर्शन लेते हुए,  अपना धर्म नहीं बदला बल्कि अपनी जान दे दी।

सुरेश मनचन्दा ने बताया कि 1947 में मारे गए उन हुतात्माओं को श्रृद्धांजलि देने के साथ साथ उनकी आत्माओं की सद्गति और मोक्ष के लिए हरियाणा में उनके तर्पण का महाकुभ लगने जा रहा है। जिसमें ज्योर्तिमठ शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द जी सरस्वती पितृ-पक्ष में 7 दिन की श्रीमद्भागवात कथा उन हुतात्माओं को समर्पित करेंगे और साथ ही शास्त्रों में वर्णित विधियों से उनका तपृण भी होगा।

सुरेश मनचन्दा ने ये भी बताया कि इस के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी बसे पंजाबियों और अन्य संस्थानों से सम्पर्क कर टीम गठित की जा रही है। और तेजी के साथ 900 से ज्यादा जो जातियां और उपजातियों से संबंधित संस्थाऐं देश और विदेश में हैं उन से सम्पर्क कर उन्हें टीम का हिस्सा बनाया जा रहा है।

सुरेश मनचन्दा ने कहा कि इस समय पूरा पंजाबी समाज जिसमें उस अविभाजित पंजाब के पंडित, सैन समाज, कम्बोज समाज, अरोड़ा, खत्री, मैहता, नाई, राजपूत, सिंख, दलित इत्यादि 36 बिरादरी शामिल हैं, सभी को इसमें साथ जोड़ने का संकल्प और आवाहन है। हालांकि अभी तक केवल अरोड़ा, खत्री और सिख समुदाय से जुड़े लोगों को ही पंजाबी के तौर पर देखा जाता है। लेकिन देश भूल गया कि उस समय पंडित, वैश्य और समाज के अन्य वर्ग भी इस क्षेत्र से आए और वे भी पंजाबी ही थे। 

सुरेश मनचन्दा ने आवाहन किया सभी पंजाबी समुदायों का कि वे आए और अपने पूर्वजों की अखंड जोत जलाऐं, उनका तर्पण करें और उनका आर्शिवाद प्राप्त करें। समय आ गया है कि देश में जिस समुदाय ने उजड़ने और अपना सबकुछ खोने के बाद भी ना आरक्षण मांगा, ना भीख मांगी और ना ही किसी के आगे हाथ फैलाए, उस कोम के बारे में दुनिया जाने और देश में उसे वो अधिकार मिलें जिसके वो अधिकारी हैं।

सुरेश मनचन्दा ने बताया कि ऐसा नहीं कि देश में पंजाबियत के लिए संस्थाऐं काम नहीं कर रहीं हैं लेकिन वे बंटी होने के कारण उस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रहीं जिस लक्ष्य से उन्होंने संस्थाऐं खड़ी की। बंटे होने की वजहों को गिनवाते हुए सुरेश मनचन्दा ने बताया कि राजनीतिक पार्टियों का इन संस्थानों में हस्तक्षेप होने के चलते ये संस्थान अपनी दिशा भटक रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों ने इन्हें बांट रखा है और इन पंजाबियों का कोई एक प्रेरणा स्त्रोत नहीं है। जैसे कि राजपूतों की बात आने पर वीर महाराणा प्रताप की छवी सामने आती है। मराठों की बात करने पर शिवाजी महाराज की छवी सामने आती है और उस कढ़ी को आगे बढ़ाने का काम बालासाहेब ठाकरे ने किया। लेकिन इस कोम में ऐसा प्रेरणा सूत्र जो सभी को साथ बांधे नहीं दिखता। जिसके चलते सभी राजनीतिक पार्टियों ने इनका फायदा उठाया और ये उनके प्रयोग की सामग्री बन गए। यही कारण है कि बहुत से राज्यों में ये बहुल होने के कारण भी राजनीति में अपनी कोई पहचान नहीं रखते। सुरेश मनचन्दा ने कहा कि फिलहाल हम राजनीति से परे सबसे पहले अपने उन सभी 1947 में अविभाजित भारत से विभाजित भारत में आने वाले सभी परिवारों का आवाहन करते हैं कि अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए ‘1947 के हुतात्माओं के सद्गति, तर्पण और मो़क्ष का महाकुंभ’ का हिस्सा बनें और उनके दिए बलिदान को अपनी श्रृद्धांजलि दे कर अ्रखड़ जोत की ज्वाला प्रजवलित करें।

सुरेश मनचन्दा ने आवाहन करते हुए कहा कि श्राद्ध पक्ष में सभी लोग मिल कर सांझी श्रद्धांजलि अर्पित करें। हर पंजाबी चाहे वह किसी भी राजनितिक पार्टी, राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रिय दल से, किसी भी जाति समुदाय से सम्बंध रखता हो या किसी भी मत को मानता हो – इस दिन अपने पुरखों के निमित्त एक साथ एकत्रित होकर, उन्हें नमन करते हुए सांझा श्रृद्धांजलि देकर उनके बलिदान के प्रति अपना फर्ज पूरा करें और उन अपने पित्रों से आर्शिवाद प्राप्त करें।

शंकराचार्य स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी के द्वारा होने वाली इस 7 दिवसीय कथा में दिए गए हमारे पर्वजों के बलिदान को याद किया जाएगा। उनके बलिदान, संस्कार और शौर्य की गाथाओं को विडियो डाक्यूमेंट्रीज़ के जरिए दिखाया जाएगा। साथ ही इन 7 दिनों में हर पंजाबी एक दूसरे का साथ देने अपनी कोम के लिए सदा खड़े रहने का संकल्प भी लेगा। विश्वभर में करीब 10 करोड़ पंजाबी कोम के वारिस एक जगह पर एकत्रित होकर जब अपने पूर्वजों को मोक्ष के लिए आवाहन करेंगे तो विश्व में हर पंजाबी अपने को एक सूत्र में बंधा अनुभव करेगा।

*चल रहीं जो हमारी सांसे, हैं ये उनका अहसान।

उन्हीं के कारण मिली हुई है, जो भी है पहचान ।।*

READ: khabrimedia, Latest Greater Noida News,Greater noida news, Noida Extension news, greater noida Society News – Top news-Latest Noida news-latest Noida extension news-latest Delhi Ncr news- Big news of today-Daily News-Greater Noida Society news-Greater Noida News in Hindi