Health Tips: अगर आप भी अपने डेली रूटीन से हो गए हैं बोर, तो जरूर पढ़िए यह जरूरी खबर
Health Tips: आजकल की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में हम अक्सर अपनी डेली रूटीन (Daily Routine) में इतना बिजी हो जाते हैं कि हम अपनी सेहत को नजरअंदाज करने लगते हैं। एक जैसे काम, एक जैसी रूटीन, का असर हमारी मानसिक और शारीरिक सेहत (Physical Fitness) पर पड़ने लगता है। और फिर धीरे धीरे जिंदगी उबाऊ लगने लगी है। क्या आपके भी साथ ऐसा हो रहा है, किसी काम में मन नहीं लग रहा है, मानसिक तौर पर थकान (Mental Fatigue) महसूस कर रहे हैं, हर समय स्ट्रेस रहता है, अगर हां तो आपको सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि ये बर्नआउट सिंड्रोम (Burnout Syndrome) के लक्षण हैं। इसमें एक जैसा रुटीन फॉलो करने से कई बार लाइफ बोरिंग सी लगने लगती है।
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जिस काम को करने से हमें खुशी मिलती थी, अब वही सिरदर्द लगने लगता है। लंबी छुट्टी के बाद भी स्ट्रेस खत्म होने का नाम ही नहीं लेता है। इसको लेकर WHO का कहना है कि बर्नआउट सिंड्रोम (Burnout Syndrome) ‘क्रोनिक वर्कप्लेस स्ट्रेस’ की वजह से हो सकता है। जिसमें काम को लेकर बहुत ज्यादा तनाव होना शुरुआती लक्षण है। ऐसे में आइए आज के इस खबर के माध्यम से जानते हैं कि बर्नआउट क्यों हो जाते हैं, इससे बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए….
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बर्नआउट सिंड्रोम में क्या समस्या होती है, जानिए
जॉब (Job) को लेकर मन में बुरे-बुरे विचार आना।
काम में मन नहीं लगता, काम को लेकर एनर्जी महसूस न करना।
काम में बोरियत महसूस होना।
अपना काम डेडलाइन तक पूरा न कर पाना या टारगेट से दूर रहना।
बर्नआउट सिंड्रोम होने का कारण
हेल्थ एक्सपर्ट्स (Health Experts) का मानना है कि जब लंबे समय तक वर्कप्लेस पर काम का दबाव रहता है या किसी साथी के साथ अनबन हो जाती है या फिर काम को लेकर चुनौतियां ज्यादा आने लगती हैं तो खुद को हम कमजोर मानने लगते हैं। इसके कारण से बर्नआउट होने लगता है। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथर्न कैलिफोर्निया के मुताबिक, काफी समय तक स्ट्रेस में रहना और दिन-रात सोचते रहने से बर्नआउट का खतरा रहता है। इसका सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
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बर्नआउट सिंड्रोम का दिमाग पर असर
न्यूरोसाइंस के मुताबिक, हर समय काम में डूबे रहने से दिमाग पर बहुत ज्यादा बुरा असर पड़ने लगता है। एक स्टडी के मुताबिक, हमारे दिमाग में लॉकस कोर्यूलियस (locus Coeruleus) नाम का एक छोटा सा हिस्सा होता है, जो दिमाग के काम करने की स्पीड को कंट्रोल करता है। बर्नआउट में यह सही तरह से काम नहीं कर पाता और मेंटल स्ट्रेस बढ़ जाता है।
बर्नआउट सिंड्रोम का प्रभाव भी जान लीजिए
क्रिएटिविटी की कमी होना।
दिनभर तनाव और चिंता का बढ़ना।
काम की क्वालिटी बिगड़ना।
गहराई से सोचने की क्षमता कमजोर होती है।
लॉन्ग टर्म प्रोडक्टिविटी कम होना।
कैसे बचें इस बर्नआउट सिंड्रोम से
काम में ज्यादा न उलझें, खुद को महत्व दें।
मनपसंद एक्टिविटी को कुछ समय दें।
ऑफिस के काम को घर पर न लाएं वरना रिश्ते प्रभावित हो सकते हैं।
भरपूर नींद लें।
फैमिली और फ्रेंड्स के साथ टाइम बिताएं।
ज्यादा चिंता होने पर डॉक्टर से मिलें।
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसकी विषय सामग्री का ख़बरी मीडिया हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता है।