देश में पेट्रोल-डीजल, खाने-पीने के सामान के अलावा जल्द महंगाई की एक और मार पड़ने वाली है। केंद्र सरकार 1 अप्रैल से बुखार उतारने की जानी-मानी दवा पैरासिटामोल समेत करीब 800 से अधिक जरूरी दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी करने जा रही है।
रिपोर्ट्स की मानें तो इन दवाओं की कीमतों में कम से कम 10 फीसदी से ज्यादा का इजाफा किया जाएगा। सरकार की ओर से पैरासिटामोल समेत जिन 800 से अधिक आवश्यक दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी की जाएगी, उनमें बुखार, हृदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, त्वचा रोग और एनीमिया के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी शामिल हैं. अगले महीने से से पेनकिलर और एंटी बायोटिक जैसे फिनाइटोइन सोडियम, मेट्रोनिडाजोल जैसी जरूरी दवाएं महंगी मिलने लगेंगी।
ये है कीमत बढ़ने की वजह ?
फार्मा इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का दावा है कि देश में आवश्यक दवाओं के दामों में बढ़ोतरी किए जाने के पीछे अहम वजह पिछले दो साल के दौरान कुछ प्रमुख एपीआई की कीमतें 15 से 130 फीसदी तक इजाफा होना है. पैरासिटामोल की एपीआई (कच्चा माल) की कीमतों में 130 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. वहीं, सिरप और ओरल ड्रॉप के साथ कई अन्य दवाओं और मेडिकल एप्लीकेशन में यूज होने वाले ग्लिसरीन के दाम 263 प्रतिशत और पॉपीलन ग्लाइकोल की कीमत 83 प्रतिशत तक बढ़ गई है. इंटरमीडिएट्स के दाम 11 प्रतिशत से 175 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। नेशनल फार्मा प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) के मुताबिक 1 अप्रैल 2022 से दवाओं की कीमतों में इजाफा देखने को मिलने लगेगा.
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के बाद से फार्मा इंडस्ट्री दवाओं की कीमत बढ़ाए जाने की लगातार मांग कर रही थी। इसके बाद शेड्यूल ड्रग्स के लिए कीमतों में 10.7 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की मंजूरी दी गई है. शेड्यूल ड्रग्स में आवश्यक दवाएं शामिल होती हैं और इनकी कीमतों पर नियंत्रण होता है. इनके दाम बगैर अनुमति नहीं बढ़ाए जा सकते।
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