AajTak Guna News: मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की राजनीति की उन धुरियों मे से एक हैं जहां से पूरे प्रदेश की राजनीति निर्धारित होती रही है। ग्वालियर राजघराने (Gwalior Royal Family) से संबंध रखने वाली ये लोकसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण है।
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गुना लोकसभा सीट (Guna Lok Sabha Seat) सिंधिया परिवार (Scindia Family) का गढ़ है। इस सीट से सिंधिया परिवार की तीन पीढ़िया चुनाव लड़ते आ रही हैं। यहां से राजमाता विजय राजे सिंधिया चुनाव लड़ी हैं फिर इस सत्ता को माधवराज सिंधिया ने संभाला इसके बाद अब राजघराने की तीसरी पीढ़ी यानी ज्योतिरादित्या सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) का इस सीट पर दबदबा है। लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी (BJP) ने सिंधिया परिवार की इस सीट को अपने नाम किया है इस सीट पर मिली ज्योतिरादित्य सिंधिया को हार। लेकिन इस बार का चुनाव काफी अलग होने जा रहा है। इस बार इस सीट से बीजेपी के टिकट पर उतर रहे हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया। तो वहीं कांग्रेस ने यादवेंद्र सिंह यादव को मैदान में उतारा है।
आजतक की टीम जब गुना पहुंची तो यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक सभा चल रही थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया सामने थे तो सवाल बनता था, शुरू हुआ सवाल जवाब का सिलसिला। आजतक की टीम सीनियर एंकर अंजना ओम कश्यप के साथ गुना में बीजेपी प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया से पहला सवाल की तो जवाब मिला कि परिवार की परंपरा में विचारधारा में किसी सीट को हासिल करना या वापस लेना यह हमारे जीवन का लक्ष्य नहीं यह सारी चीज अगर कुछ है तो केवल एक जनसेवा का एक माध्यम है। मेरे लिए लक्ष्य कु्र्सी नहीं है। दूसरा सवाल अंजना ने कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर किया इस पर उन्होंने जवाब दिया कि विपक्षी दल जो विचारधारा लेकर आ रहे हैं वो हर इंसान को गैर करने वाली विचारधारा ला रहे हैं। प्रधानमंत्री जी इस देश को आगे बढ़ा रहे हैं और ये शक्तियां भारत को पिंजरे में डालने की कोशिश कर रही हैं। कहां चांद पर भारत का झंडा फहरा रहा है भगवान राम का मंदिर बन गया है। विश्व भारत की तरफ देख रहा है और ये लोग भारत में गड्ढा बनाने का काम कर रहे हैं।
इसके बाद आजतक की टीम पहुंची जनता के बीच जहां तैयार था मंच और उसपर दोनों पार्टी के नेता और जनता। सवालों का सिलसिला बिना थमे चलता रहा। कांग्रेस नेता ने कहा कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज दिग्विजय सिंह जी के ही समय में बने हैं। तो इसी जवाब पर जनता पलटवार करते हुए बोली कि दिग्विजय सिंह अपने शासन काल में रोजगार पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिए, जिसका नतीजा रहा कि हम बेरोजगार रह गए। कांग्रेस सरकार में भर्ती नहीं निकाली गई। मोदी राज में अच्छी बाते हुई है राम मंदिर बन गया है।
इस कार्यक्रम में आए फर्स्ट टाइम वोटर ने कहा कि चुनाव में जो सबसे बड़ा मुद्दा है राष्ट्रवाद का है। कांग्रेस भारत माता को अपमानित करने का काम करती है। क्षेत्रवाद से तोड़ने का इरादा कांग्रेस (Congress) के घोषणापत्र में दिखा है यह बहुत गलत कार्य है। तो वहीं दूसरे युवा ने कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि कांग्रेस बीजेपी का विरोध करते करते देश का विरोध करने लगती है।कांग्रेस आर्मी के भी विरोध में भी आ जाती है, बीजेपी (BJP) का विरोध करते करते।
इस कार्यक्रम में बीजेपी नेता ने कहा कि कांग्रेस मुसलमान को बांटने का काम करती है। हमने 370 समाप्त की उसमें लाभ सबको मिला हम हिन्दू मुसलमान नहीं देखते हैं हम सभी के विकास के लिए काम करते हैं।
समझिए गुना और इसके सियासी समीकरण को
मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जारी रही है। इस सीट पर सिंधिया राजघराने का काफी समय तक राज रहा है। ग्वालियर के बाद गुना ही वो लोकसभा सीट है जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लड़ना पसंद करता है। ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर ज्यादातर जीतते आए हैं।
गुना लोकसभा सीट पर पहला लोकसभा चुनाव 1957 में हुआ था। इस चुनाव में विजयाराजे सिंधिया ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को हराया था। इसके अगले चुनाव में यहां से कांग्रेस के रामसहाय पांडे मैदान में उतरे। उन्होंने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को हराया।
1967 के उपचुनाव में यहां पर कांग्रेस को हार मिली और स्वतंत्रता पार्टी के जे बी कृपलानी ने जीत दर्ज की। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में स्वतंत्रता पार्टी की तरफ से कांग्रेस की पूर्व नेता विजयाराजे सिंधिया लड़ीं। उन्होंने कांग्रेस के डीके जाधव को यहां पर हरा दिया। शुरुआती दो चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस को लगातार 3 चुनावों में हार मिली। 1971 में विजयाराजे के बेटे माधवराव सिंधिया मैदान में उतरे। वह यहां से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े। यहां पर लड़े पहले ही चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की।
1977 के चुनाव में वह यहां से निर्दलीय लड़े और 80 हजार वोटों से बीएलडी के गुरुबख्स सिंह को हराया. इसके बाद वह 1980 में कांग्रेस के टिकट पर यहां से लड़ते हुए जीत हासिल किए. वह लगातार 3 चुनावों में यहां विजयी रहे. 1984 के चुनाव में माधवराव ग्वालियर से लड़े और वहां पर भी उन्होंने जीत हासिल की. तब कांग्रेस ने यहां से महेंद्र सिंह को टिकट दिया था और उन्होंने बीजेपी के उद्धव सिंह को हराया था. 1989 के चुनाव में यहां से विजयाराजे सिंधिया एक बार फिर यहां से लड़ीं और तब के कांग्रेस के सांसद महेंद्र सिंह को शिकस्त दी.
इसके बाद से विजयाराजे सिंधिया ने यहां पर हुए लगातार 4 चुनावों में जीत दर्ज की। कांग्रेस को यहां पर 9 बार जीत मिली है तो वहीं बीजेपी को 4 बार और 1 बार जनसंघ को जीत मिली है। ऐसे में देखा जाए को इस सीट पर एक ही परिवार के तीन पीढ़ियों का राज रहा है।
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को हराया था। इस चुनाव में सिंधिया को 517036(52.94 फीसदी) वोट मिले थे और पवैया को 396244(40.57 फीसदी) वोट मिले थे। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 120792 वोटों का था।