Jyoti Shinde,Editor
बात बिहार के सियासत की..जो इन दिनों काफी उलझी-उलझी सी नज़र आ रही है। क्योंकि यहां अलग-अलग पावर सेंटर बनने लगे हैं। बिहार की सियासत की बात करें तो सीएम नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, बीजेपी के साथ एलजेपी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भी एक अहम किरदार हैं माने जाते हैं। अभी चिराग पासवान ने किसी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है हालांकि बीजेपी से उनका प्रेम किसी से छिपा नहीं है।
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साल 2022 में नीतीश कुमार जब एनडीए से अलग होकर फिर से महागठबंधन से मिलकर सरकार बनाए उसके बाद तीन उपचुनाव में एनडीए का हिस्सा न रहते हुए भी चिराग ने बीजेपी की ओर से स्टार प्रचारक के रूप में प्रचार किया। चुनाव प्रचार में फायदा भी मिला। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान मात्र एक सीट जीत पाए लेकिन बिहार में अपनी ताकत का एहसास जरूर करा दिया। नीतीश कुमार 43 सीट पर सिमट कर रह गे। बीजेपी भी चिराग पासवान की ताकत को जानती है इसलिए चिराग को कभी अनदेखा नहीं कर सकती है।
नित्यानन्द राय के सम्पर्क में चिराग
चिराग पासवान ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि किसके साथ गठबंधन करेंगे, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय से लगातार उनकी सार्थक बातचीत हो रही है। चिराग ने नित्यानन्द को लेकर मीडिया में कहा था कि कि मैं उनके संपर्क में रहता हूं और आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में वह गठबंधन के साथ ही चुनाव लड़ेंगे। अब सवाल उठता है कि चिराग पासवान किसके साथ गठबंधन करेंगे? माना जा रहा है कि चिराग महागठबंधन में नहीं जाने वाले हैं, वह एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं।
तेजस्वी यादव से टक्कर
बिहार के राजनीति के जानकारों की माने तो चिराग का एनडीए के साथ गठबंधन करना नजबूरी और फायदेमंद है। इसका कारण यह है कि चिराग महागठबंधन के साथ इसलिए नहीं जा सकते हैं कि वहां पहले से ही तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में हैं। ऐसे में चिराग पासवान की दाल महागठबंधन में नहीं गलने वाली है। एनडीए में युवा चेहरा अभी तक नहीं है। एनडीए तेजस्वी के विकल्प के रूप में और पढ़े-लिखे दलित चेहरा को देखते हुए चिराग पासवान के चेहरे पर विधानसभा का चुनाव लड़ सकती है।
हालांकि यह जरूरी भी नहीं है क्योंकि बीजेपी सम्राट चौधरी को आगे कर चुकी है और बिहार में पिछड़ा बनाम पिछड़ा की लड़ाई 2025 में हुई तो सम्राट चौधरी परफेक्ट उम्मीदवार बीजेपी की ओर से होंगे। 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान की भी मजबूरी है, उन्होंने कहा कि बिहार में पासवान समुदाय लगभग 7 फीसदी है। इसके अलावा दलित वर्ग के कई लोग रामविलास पासवान की पार्टी की पकड़ हैं और वह वोट चिराग पासवान की ओर झुक चुका है।