Delhi Air Pollution: दिल्ली-एनसीआर से चौंकाने वाली ख़बर सामने आ रही है। तमाम ऐसे लोग (People) हैं जो अपने परिवार वालों के साथ विदेश (Foreign) या हिल स्टेशन नहीं तो गांव का रुख़ कर रहे हैं ताकि शुद्ध हवा में सांस ले संके। पढ़िए पूरी खबर…
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दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) से बाहर जाने के पीछे की वजह जान लीजिए। दरअसल कुछ हफ़्ते पहले दिल्ली में प्रदूषण चरम पर था। ऐसे में लोगों ने अपनी सेहत की देखते हुए बाहर जाने का फ़ैसला ले लिया। नतीजा ऐसे लोगों की तादाद बढ़ गई गई है जो विदेश, हिल स्टेशन व गांव में शुद्ध हवा में सांस लेने के लिए अपने परिवार के साथ दिल्ली-एनसीआर से जा रहे हैं।
सर्दी के मौसम में विदेश शिफ्ट हो रहे लोग
Noida सेक्टर 93 में रहने वाली एक फ़ैमिली बैंकॉक चली गई। अगले वर्ष भी उनका परिवार गोवा या केरल (Goa or Kerala) में सर्दी के मौसम में शिफ्ट होने की योजना बना रहा है। सेक्टर 120 स्थित सोसायटी में रहने वाले जोगिंदर सिंह कनाडा चले गए हैं। उनको एक महीने में ही सांस व पसलियों में दर्द की समस्या से राहत मिली है।
वहीं सेक्टर 168 स्थित सोसायटी में रहने वाले योगेश सिंह कंपनी सेक्रेटरी हैं। वो भी अपने दो बच्चे व पत्नी के साथ झारखंड के हजारीबाग स्थित सोनपुरा गांव चले गये।
प्रकृति की गोंद में जीवन
भारतीय वायु सेना में एयर वाइस मार्शल (Air Vice Marshall) के पद से सेवानिवृत्त एयर वाइस मार्शल पीसीएस रौतेला सेक्टर 28 में परिवार के साथ रहते थे। लेकिन दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहे पॉल्यूशन के कारण उन्हें आधुनिक शहर को छोड़ना पड़ा है। पीसीएस रौतेला ने बताया है कि भीमताल में काटेज बनाकर रह रहे। यहां से उनका पैतृक निवास करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है। बावजूद प्रकृति की गोद में जंगल में घर बनाया है।
नोएडा में रहने वाले साकेत के बच्चे सिंगापुर (Singapore) व नीदरलैंड (Netherlands) में रह रहे। वहीं औद्योगिक नगरी फरीदाबाद के सेक्टर 37 के रहने 70 वर्षीय सुरेश शर्मा पत्नी पुष्पा शर्मा संग अमेरिका में न्यू जर्सी में पुत्र मनु शर्मा के पास गए हुए हैं। सुरेश शर्मा अस्थमा से पीड़ित हैं। और पॉल्यूशन बढ़ते ही विदेश चले गए थे। सुरेश शर्मा का पिछले 5 वर्ष से पॉल्यूशन बढ़ने पर अमेरिका चले जाते हैं। अब जनवरी माह में जब पॉल्यूशन कम होगा तभी स्वदेश लौटेंगे।
दिल्ली की हवा नहीं आई रास
किताब घर प्रकाशन के मालिक सत्यव्रत शर्मा (Satyavrat Sharma) उनकी पत्नी अमरलता शर्मा प्रीत विहार, दिल्ली में रहते हैं। लेकिन सर्दियों में यहां का पॉल्यूशन स्तर बढ़ते ही उन्हें सांस लेने में परेशानी हो जाती है। खांसी भी रहने लगती है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह पर दोनों ही दीवाली के तुरंत बाद हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में स्थित ठट्ठल गांव चले गए हैं। यहां उनका पैतृक घर है।
अब यहां से वे फरवरी में ही लौटेंगे, जब पॉल्यूशन अपने निचले स्तर पर आ जाएगा। वहीं युवा अविकल सोमवंशी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) में विश्लेषक हैं और प्रोग्राम मैनेजर के पद पर हैं। उन्हें भी पॉल्यूशन का स्तर बढ़ने में दिक्कत हो जाती है। ऐसे में अक्टूबर से ही वह बेंगलुरु में निवास कर रहे हैं।