ज्योति शिंदे, एडिटर, खबरी मीडिया
कैंसर से पीड़ित पत्रकार वैभव वर्धन दुबे के असामयिक निधन से मीडिया जगत के साथी सदमे में हैं। महज़ 48 साल की उम्र में एक युवा साथी की मौत ने पत्रकारों को हिला कर रख दिया है। वैभव वर्धन दुबे की स्मृति में रविवार, 9 अक्टूबर को दोपहर 12 से 2 बजे के बीच एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जा रहा है। रजनीकांत सिंह और श्यामलाल यादव और उनके तमाम साथियों ने प्रेस क्लब, 1 रायसीना रोड, नई दिल्ली के सभागार में लोगों से पहुँचने की अपील की है।
वैभव वर्धन दुबे क़रीब दो दशक से ज़्यादा वक़्त तक पत्रकारिता में सक्रिय रहे। उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत भोपाल से की, लेकिन बाद के दिनों में दिल्ली में डट गए। आजतक और इंडिया न्यूज़ दो संस्थानों में उन्होंने लंबी पारी खेली। आज तक में जब वो थे तब कमर वाहिद नकवी और सुप्रिय प्रसाद के प्लानिंग को ज़मीन पर उतारा। इंडिया न्यूज़ में दीपक चौरसिया और राणा यशवंत की कोर टीम का हिस्सा रहे। वैभव वर्धन दुबे में हमेशा अपनी तरफ़ से कुछ नया करने की ललक रही।
आख़िरी दिनों में वैभव वर्धन दुबे का पीजीआई चंडीगढ़ में इलाज चल रहा था। 27 सितंबर को उनका निधन चंडीगढ़ में हुआ। यूपी के ग़ाज़ीपुर के मूल निवासी वैभव वर्धन दुबे नेमाखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई की।स्वभाव से फक्कड़ और मिज़ाज से बादशाह वैभव वर्धन दुबे के न होने से सबसे बड़ी क्षति परिवार को पहुँची है। ऐसे वक़्त में पत्रकार, समाज और सरकार कैसे परिवार का संबल बढ़ा सकते हैं, ये एक बड़ी चिंता है।