Delhi Airport: राजधानी दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट (Indira Gandhi International Airport) पर इन दिनों तहलका मचा हुआ है। एयरपोर्ट पर हो रही समस्या का कारण सिर्फ कोहरा ही नहीं बल्कि इसके इतर पांच बातें ऐसी भी हैं, जिन्होंने मुसाफिरों की परेशानियों में बदल दिया है। यात्रियों के इन परेशानियों का कारण कोई एक एजेंसी नहीं, बल्कि एयरपोर्ट ऑपरेटर से लेकर एयरलाइंस तक सभी शामिल हैं।
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दिल्ली एयरपोर्ट (Delhi Airport) पर इन दिनों की हालत यह है कि फ्लाइट्स 13-13 घंटे डिले से चल रही हैं। सीटों की कमी के कारण यात्री कहीं सीढ़ियों पर, तो कहीं फ्लोर पर बैठे नजर आ रहे हैं। यात्रियों को सही समय पर फ्लाइट का स्टेटस नहीं दिख पा रहा है। एयरपोर्ट पर लगे डिस्प्ले बोर्ड पर जानकारी गलत है। एयरलाइंस स्टाफ (Airlines Staff) जानकारी देना तो दूर, यात्रियों के जबाव भी नहीं दे रहे हैं। एयरलाइंस यात्रियों को एक फूड पैकेट पकड़ा अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री मान रही हैं। इस सब के बीच आइए बात करते हैं उन चार कारणों की जिन्होंने यात्रियों की परेशानियां और बढ़ा दी है।
कैट थ्री ऑपरेशन के लिए सिर्फ एक ही रन-वे उपलब्ध
कोहरे के मौसम में सबसे ज्यादा लैंडिंग और टेक-ऑफ कराने वाला रन-वे 28/10 रिकार्पेटिंग की वजह से बंद हो गया है। पिछले सालों में यह काम जुलाई में शुरू होकर सितंबर तक समाप्त हो जाता था, लेकिन इस बार जी-20 सम्मेलन के कारण से इस रन-वे को बंद नहीं किया जा सका। उम्मीद है कि इस रनवे की रिकार्पेटिंग का काम अलगे सप्ताह तक पूरा हो जाएगा। फिलहाल, एयरपोर्ट के पास कैट थ्री ऑपरेशन के लिए सिर्फ 29/11 रन-वे ही उपलब्ध है। नवनिर्मित रन-वे का अभी तक कैट-थ्री सर्टिफिकेशन नहीं हुआ है और रन-वे 27/09 रनवे सिर्फ कैट-वन तकनीक से लैस है।
क्रेन की वजह से नहीं हो पा रहा रनवे के एक छोर का इस्तेमाल
द्वारका एक्सप्रेस-वे पर एक फ्लाईआवर का निर्माण हो रहा है। इस निर्माण के लिए एनएचएआई ने एक क्रेन लगाई है, जो एयरक्राफ्ट और इंट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) के बीच में आ रही है। इस क्रेन के कारण से आईएलएस कैट-थ्री से डाउनग्रेड होकर कैट-वन हो गया है। इस क्रेन के कारण से अब रन-वे 29/11 पर 29L की तरफ से कैट थ्री विमानों का परिचालन नहीं किया जा रहा है। इस बाबत डायल ने एनएचएआई को एक पत्र भी लिखा है।
एयरलाइंस ड्यूटी रोस्टर से कैट-थ्री ट्रेंड पायलट हैं नदारद
डॉक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने 10 दिसंबर 2023 से 10 फरवरी 2024 के बीच के समयांतराल को फॉग पीरियड घोषित कर दिया है। डीजीसीए का स्पष्ट निर्देश है कि इस समयावधि में रात्रि 9 बजे से सुबह 10 के बीच रोस्टर किए जा रहे पायलट अनिवार्य रूप से कैट थ्री प्रशिक्षित होने चाहिए। लेकिन इसके बाद भी एयरलाइंस ऐसा नहीं कर रही हैं।
24 से 28 दिसंबर के बीच 50 से ज्यादा फ्लाइट डाइवर्ट होने के बाद डीजीसीए ने पाया कि कई एयरलाइंस ने रात्रि 9 बजे से सुबह 10 के बीच ऐसे पायलट को रोस्टर किया था, जो कैट थ्री तकनीक में प्रशिक्षित नहीं थे। इस बाबत, डीजीसीए ने एयर इंडिया और स्पाइस जेट को नोटिस भी जारी किया था। आपको बता दें कि वर्तमान समय में देश में कुल 4,804 पायलट हैं, जो कैट थ्री तकनीक में विमान लैंड कराने में सक्षम हैं। इनमें 2,979 कैप्टन और 1,825 को पायलट हैं।
दिल्ली एयरपोर्ट पर पार्किंग-वे की कमी
दिल्ली एयरपोर्ट पर कुल 191 पार्किंग-वे है, इनमें से 70 पार्किग वे पर गो एयरवेज के विमान खड़े हैं। इस एयरलाइन का परिचालन पिछले साल मई से ही बंद हो गया है। इसके साथ ही कई एयरलाइंस ऐसी हैं, जिनके खराब एयरक्राफ्ट पार्किंग-वे पर खड़े हुए हैं। ऐसे हालत में दिल्ली एयरपोर्ट पार्किंग वे की भारी कमी से जूझ रहा है। एटीसी के सूत्रों के मुताबिक बीते तीन से चार दिनों में कई बार यह स्थिति खड़ी हुई, जब विमान को लैंड कराने के बाद टैक्सी वे पर दो से तीन घंटे सिर्फ इसलिए खड़ा रखा गया, क्योंकि एयरसाइड पर कोई पार्किंग वे खाली नहीं था।
इसके साथ ही कैट थ्री-बी की स्थिति में कोई भी विमान 50 मीटर रन-वे विजबिलिटी रेंज (आरवीआर) पर लैंड हो सकता है, लेकिन टेकऑफ करने के लिए 125 मीटर आरवीआर चाहिए ही चाहिए। एयरपोर्ट पर आरवीआर 125 से कम होने पर विमानों की लैंडिंग तो चलती रहती है, लेकिन टेकऑफ न होने की वजह से पार्किंग-वे की कमी हो जाती है।