ख़बर दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद की है जहां एक अंग्रेजी अख़बार में काम करने वाली महिला पत्रकार के साथ गलत व्यवहार की घटना सामने आई है। और ये किसी और ने नहीं बल्कि उस उबर कैब ड्राइवर ने की जिसकी गाड़ी में बैठकर पत्रकार अपने दफ्तर जा रही थी।
क्या है पूरा मामला ?
महिला पत्रकार ने गाज़ियाबाद के अपने घर से ऑफिस के लिए कैब नंबर ‘यू डीटी 8847’ बुक किया। पत्रकार का आरोप है कि कैब ड्राइवर ने उनके बैठते ही सेंटर लॉक कर दिया फिर गाड़ी की गति बढ़ा दी। वह अक्सर गाजीपुर होते हुए दफ्तर जाती थी। ड्राइवर ने कहा कि उस रास्ते में टोल देना होगा। उसने दूसरा रास्ता लिया। पत्रकार ने जब नए रास्ते के बारे में पूछा तो ड्राइवर बोला वह मैप के अनुसार गाड़ी चला रहा है। वह उसी को फॉलो करेगा। पत्रकार ने जब गाड़ी रोकने को कहा तो ड्राइवर ने निर्धारित रूट लेने और गाड़ी रोकने से इनकार कर दिया। पत्रकार को लगा कि वह फंस गई है। गाड़ी सेंटर लॉक थी इसलिए वो दरवाजा नहीं खो पा रही थीं इसलिए उन्होंने गाड़ी का शीशा पीटना शुरू कर दिया। कैब ड्राइवर डर गया और उसने किनारे जाकर गाड़ी रोक दी।
महिला किसी प्रकार कैब का गेट खोलकर बाहर आ गई। मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। पत्रकार ने गाड़ी से उतरकर जो ऑटो लिया, कैब ड्राइवर करीब 10 किलोमीटर तक उसका पीछा करता हुआ उनके ऑफिस तक पहुंच गया। पत्रकार का आरोप है कि इस दौरान उन्होंने 112 नंबर यूपी पुलिस की हेल्पलाइन नंबर पर भी फोन किया लेकिन वह व्यस्त ही रहा।
शिकायत पर भी खामोश रहा उबर
पत्रकार ने कैब कंपनी उबर को भी शिकायत की। उबर की प्रतिक्रिया ने उन्हें निराश किया। उन्होंने कहा कि उबर की ओर से प्रतिक्रिया आई, ‘अप्रिय अनुभव के लिए खेद है’। कंपनी ने यात्रा के पैसे वापस करने की बात कही।
ऐसे में सवाल ये है कि प्राइवेट टैक्सी कंपनियां अपने ग्राहकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने से क्यों कतराती है। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है।