ज्योति शिंदे, एडिटर, खबरीमीडिया
बच्चों के लिए हर त्योहार बेहद ही खास और उत्साह से भरा होता है। त्योहार के नजदीक आते ही बच्चे अपनी-अपनी तैयारियों में जुट जाते हैं। होली के त्योहार में पूरा दिन अपने दोस्तों के साथ अबीर गुलाल लगाना बच्चों को खूब भाता है। लेकिन आज के समय में बाजार में आने वाले कैमिकल युक्त रंग बच्चों को कई तरह की परेशानी में डाल सकते हैं। इसके साथ ही होली खेलते समय माता-पिता को भी कई तरह की सावधानियां बरतनी होती है। यदि आप भी छोटे बच्चों के माता-पिता है तो आपको होली से पहले की कुछ तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए। साथ ही होली की खुशियों में बच्चों को किसी भी तरह की समस्या न हो इसलिए बच्चों को पहले से ही कुछ सुझाव देने होते हैं। इस लेख में आपको बच्चों को होली में दौरान बरतने वाली सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस तरह के उपायों से बच्चों का होली खेलने का मजा कम भी नहीं होता और वह किसी भी तरह की समस्या से भी दूर रहेंगे।
गुब्बारों से पहुंचता है नुकसान
डॉक्टर रजनी मिश्रा ने बताया कि जो बच्चे गुब्बारा फेंकते हैं, वे कभी-कभी खतरनाक भी साबित हो सकता है। क्योंकि, उसमें जो रंग होता है वो कान-आंख को तेजी से नुकसान पहुंचाता है। इसलिए आंखों में चश्मा पहनना चाहिए और कान को भी कवर रखना चाहिए। अगर रंग आंख, कान या नाक में चला जाए तो तुरंत इसको क्लीन करना चाहिए।
बच्चे को फूल स्लीव के कपड़े पहनाएं
होली में बच्चों की स्किन को कवर करना बेहद आवश्यक होता है। इसलिए होली खेलने से पूर्व बच्चे को फूल स्लीव्स के ही कपड़े पहनाएं। इससे उनकी स्किन को रंगों से एलर्जी या रैशेज होने की संभावना कम हो जाएगी।
बच्चे के सिर और आंखों को करें कवर
होली में बच्चों के बालों और आंखों को बचाने के लिए बाजार में कई तरह की टोपियां और चश्में मिल रहे हैं। कई बार होली में बच्चों की आंखों में रंग चले जाता है। जिसकी वजह से उनको कई तरह की समस्याएं हो सकती है। इसलिए बेहद आवश्यक है कि बच्चों के सिर और आंखों को कवर किया जाए।
होली खेलने से पूर्व बच्चों को प्यार से समझाएं कि वह ज्यादा पानी में न रहें। इससे उनके बीमार होने या बुखार आने की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि इस तरह मौसम बदल रहा होता है। ऐसे में संक्रमण की संभावना अधिक होती है। बच्चों को समझाएं कि वह जानवरों पर रंग न डालें।
आंखों में रंग जाए तो कभी नहीं रगड़ें
आंखों में रंग जाने पर कभी भी आंखों को रगड़ें नहीं। ऐसा करने से कार्निया खराब हो सकती है और आंखों की रोशनी जा सकती है। डाॅॅ. राजीव गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि गीरा रंग में सिंथेटिक रंग होता है, अबीर या गुलाल में छोटे-छोटे दाने होते हैं। इनमें से कोई भी रंग अगर आंख में चला जाता है, तो उसे ठंडे पानी से धोना चाहिए। कभी भी रगड़ना नहीं चाहिए, इससे आंख की ऊपरी परत खराब हो जाती है, साथ ही कार्निया डैमेज होता है, जिससे आंखों की रोशनी जा सकती है। इनसे कार्नियल अल्सर, कंजेक्टिवाइटिस और एलर्जी होने का खतरा भी होता है।
अस्थमा के मरीज रहें गुलाल से दूर
गुलाल से अस्थमा के मरीजों को दूर रहना चाहिए। इससे अस्थमा अटैक का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जिन्हें फेफड़े से संबंधित बीमारी है उन्हें ठंडे पानी से बचकर रहना चाहिए। अधिक देर तक गीली होली नहीं खेलनी चाहिए। गुलाल से अस्थमा अटैक के साथ-साथ एलर्जी का खतरा भी बढ़ जाता है। साथ ही मधुमेह रोगियों को मीठा का सेवन नहीं करना चाहिए।
ऐसे करें खुद को क्लीन
अक्सर देखा जाता है की लोग अलग-अलग क्लीनर का इस्तेमाल करते हैं। ये क्लीनर कई बार त्वचा को नुकसान पहुंचा देते हैं, इसलिए घर में पानी को गुनगुना करके उसमें थोड़ा सा नमक मिलाना चाहिए। फिर इसके बाद किसी सॉफ्ट कपड़े द्वारा उन रंगों को साफ करना चाहिए। क्योंकि ज्यादा दिनों तक रंग रहने से वो इन्फेक्शन का रूप भी ले सकता है।
ऐसे खेलें सेफ और सुरक्षित होली
आपको ये ध्यान रखना है कि आप प्राकृतिक रंगों और गुलालों का ही प्रयोग करें। केमिकल युक्त रंग, कीचड, पेंट आदि चीजों से बिल्कुल ना खेलें। होली खेलने से पहले अपने हाथ-पैर और मुंह पर अच्छी तरह तेल लगा लें। होली खेलने वक़्त आंख, नाक और कान का बचाव करें। इस दौरान अपने हाथों से अपने चेहरे या आंखों को ना छुएं।
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