Uttar Pradesh: अगर आप भी आम खाने के शौकीन हैं तो यह खबर आपको परेशान कर देने वाली है। आपको बता दें कि UP के कई इलाक़ों में आम के पेड़ों में भी शीशम के पेड़ों के जैसी ही कोई बीमारी लगी है जिससे हरे भरे आम के पेड़ सूखते जा रहे हैं। जानकारों के मुताबिक ऐसा ही रहा तो अगले पांच-दस साल में बाग उजड़ जाएंगे। फलों के राजा पर नई आफत से बाग़बान परेशान हैं। उन्हें लग रहा है कि उद्यान विभाग समय रहते न सतर्क हुआ तो बाग उजड़ जाएंगे। गोसाईगंज (Gosaiganj) के दाउदपुर, टिकनियामऊ, अमेठी (Amethi) और खजुहा सहित अन्य स्थानों पर आम के बाग सूख रहे हैं।
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बागबान करुणेश कुमार ने बताया कि उनके बाग में आम के कई पेड़ सूख चुके हैं। पुराने और नए दोनो ही तरह के पेड़ सूखने लगे हैं। उन्होंने आगे कहा कि आम के पेड़ में गोंद जैसा कुछ निकलता है और इसके बाद वे पेड़ सूखने लगता है। करुणेश ने बताया कि पांच छह पेड़ सूख चुके हैं। सूखे पेड़ दशहरी, चौसा और लखनौवा के थे। उनके मुताबिक पेड़ में बौर आए थे और उससे आम भी लगे लेकिन पेड़ की डाल से लेकर पेड़ तक गोंद जैसा निकलने लगा और हरे भरे पेड़ सूख गए। ऐसा केवल करुणेश की ही बाग में नही हुआ है। करुणेश की ही बाग की तरह से और बागों में भी आम के पेड़ सूख रहे हैं।
अमेठी (Amethi) के बागबान रिजवान राईन (Rizwan Raine) की बाग में लगभग 16 पेड़ आम के सूख गए है। रिजवान ने कहा कि यहां अमेठी की बागों में बहुत पेड़ सूख रहे हैं। अबू अहमद अब्बासी की बाग में भी 5 आम के पेड़ सूख गए। उन्होंने बताया कि अमेठी में हर बाग में पेड़ सूख रहे हैं। अकील खान ने बताया की हर बाग में पेड़ सूखने की बीमारी लगी है। अमेठी के ही बागबान कुलदीप यादव ने बताया की उनके चाचा की बाग में दशहरी और फजली के कई पेड़ सूख गए। उनका कहना था की पुराने पेड़ों के साथ ही नए पेड़ भी सूख रहे हैं।
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टिकनियामऊ (Tikniamau) के मोहम्मद कवि ने बताया कि जड़ और पेड़ से बुरादा निकलता है और पेड़ सूख जाते हैं। कवि की पुरानी बाग में 25 प्रतिशत आम के पेड़ सूख गए हैं। उन्होंने बताया की बाबू शाह की बाग 50 प्रतिशत समाप्त हो गई है। शमशाद की बाग खत्म हो गई है। वह कहते हैं की पता नही ऐसा क्यों हो रहा है लेकिन लगता है की बाग खतम हो जायेंगे।
उत्तर प्रदेश की राजधानी में आम पर खतरा दिखाई दे रहा है। गोसाईगंज क्षेत्र में बड़ी संख्या में आम के पेड़ सूख रहे हैं। बागबान कहते हैं की इस हालत में तो आने वाले पांच से दस साल में क्षेत्र में बाग ही नही रह जाएंगे सब उजड़ जाएंगे। समय रहते उद्यान विभाग न सावधान हुआ तो मिनी मलिहाबाद कहा जाने वाला गोसाईगंज आम विहीन हो जायेगा।