उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Akasa Airlines: देश में एविएशन सेक्टर का संकट गहरा गया है। हाल में लॉन्च हुई एयरलाइन आकासा एयर (Akasa Air) पर भी बंद होने का खतरा मंडराने लगा है। दिवंगत इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) के निवेश वाली इस कंपनी के 43 पायलटों (43 Pilots) ने अचानक इस्तीफा दे दिया है। इस कारण कंपनी को रोजाना 24 फ्लाइट्स कैंसल करना पड़ रहा है। जिसको लेकर अकासा एयर (Akasa Air) एयरलाइन ने खुद हाईकोर्ट को बड़ी बात बताई है। एयरलाइन ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) को बताया कि अकासा एयर संकट की स्थिति में है और 43 पायलटों के इस्तीफे के बाद इसे बंद करना पड़ सकता है। पायलटों के अचानक इस्तीफे के चलते कंपनी को सितंबर में हर रोज 24 फ्लाइट्स कैंसिल (24 Flights Canceled) करनी पड़ीं।
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कॉम्पिटीटर एयरलाइन कर लिया है ज्वाइन
खबर के अनुसार पायलटों ने छह महीने या एक साल की जरूरी नोटिस अवधि पूरी नहीं की और छोड़कर चले गए। ऐसे में एयरलाइन को हर रोज फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ रही है। कहा जा रहा है कि ये सभी पायलट ने अकासा एयर (Akasa Air) की कॉम्पिटीटर एयरलाइन को ज्वाइन कर लिया है। बिजनेस टुडे की खबर के मुताबिक, एक बड़े अधिकारी ने एक कॉम्पिटीटर एयरलाइन को पत्र लिखकर पायलटों के बाहर निकलने पर एयरलाइन की चिंता व्यक्त की और इसे अनैतिक बताया।
600-700 फ्लाइट्स कैंसिल होने की है सम्भावना
अकासा एयर (Akasa Air) हर रोज करीब 120 फ्लाइट्स (Akasa Air flights) ऑपरेट करती है। माना जा रहा है कि अगर स्थिति नहीं संभली और इस्तीफे जारी रहे तो एयरलाइन को सिर्फ सितंबर में ही 600-700 फ्लाइट्स को कैंसिल करना पड़ सकता है। पिछले महीने एयरलाइन को 700 फ्लाइट्स को कैंसिल करना पड़ा था। एयरलाइन ने हाई कोर्ट से नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को जरूरी नोटिस अवधि नियमों को लागू करने का अधिकार देने का रिक्वेस्ट किया है।
एक मीडिया एजेंसी के मुताबिक अकासा एयर ने उन 43 पायलट के खिलाफ मुकदमा कर दिया है जिन्होंने बिना नोटिस पीरियड को सर्व किए कंपनी छोड़कर चले गए हैं। एयरलाइन का कहना है कि कोर्ट में आने से पहले 3 अगस्त को डीजीसीए को भी पत्र लिखा गया था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है।
अकासा के एक अधिकारी का कहना है कि कोई भी इस बात से इन्कार नहीं कर रहा है कि आज संकट की स्थिति है और इसका समाधान निकालने की जरूरत है। डीजीसीए भी इस बात से सहमत है कि यह संकट की स्थिति है और अगर कोर्ट कोई फैसला देता है तो वह इसका पालन करेगा। पायलट को पायलटों को प्रशिक्षण देने में सात से आठ महीने लगते हैं। पायलटों को आसानी से रिप्लेस नहीं किया जा सकता है।’ देश में एविएशन सेक्टर संकट से जूझ रहा है। मई में गो फर्स्ट इनसॉल्वेंसी में चली गई जबकि स्पाइसजेट भी नकदी संकट से जूझ रही है।
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