अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मेला-2024
हाथ के हुनर से सजा मिट्टी के बर्तनो का बाजार, दिनभर रहती खरीददारों की भीड़
स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे लोग, मिट्टी के बर्तनों को दे रहे तव्जजो, कढ़ाई, कुकर और तवा पहली पसंद
Haryana News: मिट्टी के बर्तनों के प्रति बढ़ती जागरूकता का ही परिणाम है कि लोगों का आकर्षण मिट्टी के बर्तनों की ओर बढ़ा है। जहां ये बर्तन सेहत के लिए वरदान साबित हो रहे है वहीं लोगों को अपनी समृद्ध विरासत से जोड़ने का काम भी कर रहे है।
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बात अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के हरियाणा मंडप की हो रही है जहां फरीदाबाद के मोहना निवासी दयाराम, धर्मावती तथा फरीदाबाद की निशा के मिट्टी के बर्तनों के स्टाल पर भीड़ उमड़ रही है। दयाराम पिछले 33 वर्षो से मिट्टी के बर्तनों को तैयार कर लोगों के जीवन को शुद्ध पकाओ शुद्ध खाओ-पीओ के लक्ष्य के साथ लाभ पहुंचा रहें है। हरियाणा मंडप में दयाराम के अलावा दो अन्य स्टॉल भी मिट्टी के बर्तन की है। दाल, सब्जी व अन्य खाद्य वस्तुएं पकाने के लिए हांडी, कढ़ाई, बॉल, कुल्हड, गिलास व मिट्टी के तवे अच्छी खासी बिक्री में है।
14 से 27 नवंबर तक नई दिल्ली के भारत मंडपम में चल रहा 43वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के हरियाणा मंडप में 36 स्टॉले लगी है जिनमें हरियाणा के लघु और कुटीर उद्योग की झलक दिखाई गई है।
लाइव दिखाएं जा रहे बनते मिट्टी के बर्तन, धर्मावती का चल रहा चाक
हरियाणा पवेलियन में एक स्टॉल धर्मावती का भी है जहां मिट्टी के बर्तन बनाने का लाईव डेमो दिया जा रहा है, यहां धर्मावती देवी दिनभर आंगतुओं को मिट्टी के बर्तन बनाती नजर आती है। विशेषकर गिलास और कुल्हड़ बनाएं जा रहे है और महिलाएं धर्मावती के साथ लाइव डेमो में ही सेल्फी लेते है।
मेले से मिली अंतर्राष्ट्रीय पहचान
धर्मावती ने बताया कि पिछले कई वर्षो से वह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में अपनी स्टॉल लगाती है, यहां से न केवल उनका व्यापार बढ़ा है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनको पहचान भी मिली है। उन्होंने बताया कि उनका परिवार पिछले तीन दशक से मिट्टी के बर्तन बना रहा था जबसे सूरजकुण्ड और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में स्टॉल लगाई है तब से उनके पास आर्डर अधिक आएं है। इन्हीं मेलों से उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है और उनके पास फोन पर भी आर्डर आने लगे है, जिस कारण उनका व्यापार तरक्की के नये आयामों को छुआ है।
हाथों के हुनर से मिट्टी में फूंक रहे जान
फरीदाबाद के मोहना निवासी दयाराम द्वारा बनाएं गए मिट्टी के बर्तन आधुनिक लुक लिए हुए है विशेषकर मिट्टी का कुकर ऐसा बना है जो गृहणियों के पंसद बना हुआ है। दयाराम बताते है कि मिट्टी को तरासना एक कला है। पीढ़ी दर पीढ़ी यहीं काम कर रहे है इसलिए हर तरह के बर्तन को डिमांड पर तैयार करके देते है। उन्होंने बताया कि लोगों की सोच में बदलाव आया है और यही वजह है कि मिट्टी के बर्तनों की डिमांड बढ़ी है।
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ससुराल में आकर सिखा मिट्टी के बर्तन बनाना, अब यही आजीविका का साधन
निशा ने बताया कि कुछ सालों पहले मिट्टी के बर्तनों की बिक्री बहुत कम थी, लेकिन अब लोग स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हुए है जिससे मिट्टी के बर्तनों की बिक्री बढ़ गई है। निशा ने बताया कि उनके ससुराल के लोगों का पारंपरिक व्यवसाय मिट्टी के बर्तन बनाने का था शादी के बाद भी उसने मिट्टी के बर्तन बनाने सीखे और अब तो अंतराष्ट्रीय व्यापार मेले में उनकी स्टॉले लगती है। खाने में पौष्टिकता तभी रह पाएंगी जब खाद्य वस्तुओं को मिट्टी के बर्तन में पकाया जाएं, पकाने में थोडा ज्यादा समय लगे लेकिन खाना हमेशा अच्छा ही बनेगा।