सूर्यांश सिंह, ख़बरीमीडिया
Delhi News: दिल्ली-एनसीआर वालों को जाम से राहत दिलाने वाला फॉर्मूला (Formula) आ गया है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो जाम की परेशानी से हमेशा के लिए लोगों को मुक्ति मिल जाएगी। महानगर और आसपास के इलाकों में एआई बेस्ड ट्रैफिक सिस्टम (AI Based Traffic System) को लागू करने की तैयारी चल रही है। इस टेक्नोलॉजी (Technology) को इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के तौर पर भी जाना जाता है।
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आपको बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में एआई बेस्ड ट्रैफिक सिस्टम (AI Based Traffic System) को लागू किया जा रहा है। इसे इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम भी कहते हैं। दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर पूरी तरह लागू होने के बाद यह गेम चेंजर साबित होगा। इससे लोगों में ट्रैफिक रूल्स के लिए जिम्मेदार व्यवहार की आदत डालने में मदद मिलेगी। यह सड़कों से जाम की समस्या को भी दूर कर सकता है।
जानिए इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम क्या है?
इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (Intelligent Traffic Management System) ट्रैफिक की समस्या से निपटने का तरीका है। इसके लिए कनेक्टेड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। यह सड़कों पर सेफ्टी लाने में मदद करता है। साथ ही कंजेशन को घटाता है। इसके लिए ऑटोमेटिक आइडेंटिफिकेशन एंड डाटा कलेक्शन टैग, रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग, एयर क्वालिटी सेंसर और टेम्परेचर सेंसर जैसे कई इंटीग्रेटेड सेंसर (Integrated Sensor) का उपयोग किया जाता है। एडवांस वीडियो डिटेक्शन सिस्टम का इस्तेमाल रियल टाइम इनसाइट पाने के लिए होता है। इसके लिए एचडी फुटेज और छवियों उपयोग किया जाता है। ये ट्रैफिक से जुड़ी समस्याओं को हल करते हैं।
आईटीएमएस कैसे करता है काम?
ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (Recognition) सिस्टम का मेन हिस्सा है। यह वाहनों की लाइसेंस प्लेट से नंबरों को पहचानने और निर्धारित करने के लिए ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन तकनीक का उपयोग करता है। सीसीटीवी कैमरों के जरिये ट्रैफिक उल्लंघनों को पकड़ने के लिए स्पीड वॉयलेशन डिटेक्शन सिस्टम और रेड लाइट वॉयलेशन डिटेक्शन सिस्टम का भी इस्तेमाल होता है।
ट्रैफिक के बारे में मिलते है सभी अपडेट
एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम आईटीएमएस (ITMS) का इंटरनल कंपोनेंट है। टेक्नोलॉजी (Technology) से शहर में यातायात के मुक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। यह हरेक सड़क पर ट्रैफिक वॉल्यूम को कैप्चर करता है। फिर अपने इंटेलिजेंस के आधार पर ट्रैफिक सिग्नल का समय तय कर देता है। इससे शहर में ट्रैफिक के बारे में रियल टाइम जानकारी मिलती है। डिजिटल इंफॉर्मेशन बोर्डों के जरिये जनता तक जानकारी पहुंचाती है। एटीसीएस को लागू करने के लिए एडेप्टिव ट्रैफिक कंट्रोलर, वीकल डिटेक्शन कैमरा और सॉफ्टवेयर शामिल होते हैं।
क्या हैं आईटीएमएस के फायदे?
सिस्टम स्मार्ट ट्रैफिक सेंसर (Smart Traffic Sensor) से डेटा जुटाता है। चौराहों पर ट्रैफिक के फ्लो और वाहनों के दैनिक वॉल्यूम को नियंत्रित करने के तरीके के बारे में जानकारी देता है।
इससे शहर की सड़कों पर वाहन चलाने वाले लोगों की सुरक्षा बढ़ती है। दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आती है। यह एक्सीडेंट, मौतें, चोट और संपत्ति की क्षति को सीमित करने और कम करने में मदद करता है। यह नगर पालिकाओं को यातायात प्रवाह की उचित योजना बनाने में समर्थ करता है। साथ ही उल्लंघनकर्ताओं (Violators) के लिए स्वचालित यातायात संकेतों और पारदर्शी दंड प्रणालियों का उपयोग करने में मदद करता है।
यह ट्रैफिक कंजेशन को कम करता है। इससे किसी भी आपात स्थिति में इमरजेंसी रिस्पॉन्स (Emergency Response) में सुधार होता है। यह सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में बेहतर फ्लेक्सिबिलिटी देता है।