सन् 1528 को अयोध्या में सिर्फ एक मंदिर नहीं तोड़ा गया था। भारत के मस्तक पर आक्रांता ने ताल रखी थी… राष्ट्र की अस्मिता कुचली थी… देश के आत्म-तत्व बंधक बनाने की कोशिश हुई थी। हमारी सांस्कृतिक चेतना को कुंद किया गया था। हमारी पहचान छीनने का दुस्साहस हुआ था। और राष्ट्र का मन घायल किया गया था। मंदिर के अवशेषों पर जो इमारत बनाई गई थी वह भारतीय राष्ट्र- राज्य के घायल और अपमानित मन का शिला लेख भर थी।
सन 2024, 22 जनवरी को अयोध्या में हमारी इन्ही सब पराजयों / अपमानों / पीड़ाओं / विवशताओं के विरुद्ध स्मारा जयघोष हो रहा है। हमारे आत्म- तत्व का और भव्य शिला- लेख है। यह दिव्य भव्य राम मंदिर… भारत के माथे पर रोली- चंदन है यह मंदिर.. भारत मे राम है, यह सत्य है।किंतू 1528 के अपमान के विरुद्ध यह जय घोष भी अनिवार्य था, अपरिहार्य था, जो भव्य मंदिर के रूप में अब सदियों तक गुंजायमान रहेगा। इसलिए 22 जनवरी की तारीख भारत के सांस्कृतिक जय घोष की तारीख है। आइए हम सब इसका स्वागत करें … सियावर रामचंद्र की जय…