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किसी यूरोपियन विश्वविद्यालय में पहली बार आर्षग्रंथों की हुई स्थापना

एक मुलाकात एजुकेशन
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देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ पण्ड्या व भारतीय राजदूत श्री उत्तम रहे मौजूद

हरिद्वार 7 अगस्त। अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं०श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा अनुवादित आर्ष ग्रंथ यूरोप के प्रतिष्ठित विल्यिनस विश्वविद्यालय, लिथुआनिया में स्थापित किया गया। यह पहला मौका है जब किसी यूरोपियन विवि में आर्षग्रंथों की स्थापना हुई। आर्ष ग्रंथों की स्थापना होने से विवि के युवाओं में एक नई ऊर्जा का संचार होगा और अध्ययन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय संस्कृति एवं जीवन मूल्यों को समझने में आसानी होगी।

इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि आर्ष ग्रंथों के अध्ययन से युवाओं को सही राह चुनने में सहायता मिलेगी और यह सकारात्मक जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभायेगा। उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर है जब किसी यूरोपियन विवि में भारतीय आर्षग्रंथों की स्थापना हुई हो। उन्होंने कहा कि विल्नियस विश्वविद्यालय में युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्यश्री द्वारा अनुदित आर्ष ग्रंथ युवाओं को एक नई दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। उल्लेखनीय है कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार में एशिया का पहला बाल्टिक सांस्कृतिक अध्ययन केंद्र स्थापित है, जो बाल्टिक समुद्र के निकट बसे देश-लातविया, एस्टोनिया, लिथुआनिया में भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु काम करता है।

लिथुआनिया में भारतीय राजदूत श्री देवेश उत्तम ने कहा कि भारत एवं बाल्टिक देशों की संस्कृति में समानताओं को देखते हुए यूरोप के विश्वविद्यालय में परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के साहित्य की स्थापना एक अविस्मरणीय पल है।

विल्नियस विवि के कुलपति प्रो. वालदास जसकुनास ने विल्नियस विवि में युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्य श्री के साहित्य की स्थापना को एक बहुमूल्य उपहार बताया। इस कार्यक्रम में भारतीय दूतावास के वरिष्ठ अधिकारियों सहित विल्नियस विश्वविद्यालय के प्रोफसर्स आदि मौजूद रहे।