चुनावी रैली में ‘ मटन’, ‘ मछली’ का क्या काम है….!
चार सौ पार और तीसरी बार के मद्धिम होते सुर के बीच तेज होते चुनाव प्रचार में ‘ मटन’ और ‘ मछली’ की एंट्री कम से कम मोदी की गारंटी का हिस्सा तो नहीं लगती बल्कि उसे मूल मुद्दों की कमी, डगमगाते हुए आत्मविश्वास से जोड़कर ही देखा जाना चाहिए।
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