Supertech scam: CBI seeks force from UP DGP

Supertech: सुपरटेक घोटाला, जबरदस्त एक्शन की तैयारी में CBI

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली दिल्ली NCR नोएडा
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सुप्रीम कोर्ट ने 9 हजार करोड़ के फ्रॉड की जांच सौंपी; पुलिसकर्मी डेपुटेशन पर जाएंगे

Supertech: देश की प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर में से एक सुपरटेक लिमिटेड के लगभग 9 हजार करोड़ रुपए के घोटाले की जांच के लिए CBI ने यूपी और हरियाणा के डीजीपी से पुलिस फोर्स की मांग की है। जानकारी के अनुसार, जांच करने के लिए CBI उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्य पुलिस के कर्मियों से मिलकर विशेष जांच दल बनाएगी। ऐसा इसलिए है, क्योंकि एजेंसी के रडार पर आने वाली ज्यादातर परियोजनाएं NCR में स्थित हैं।

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CBI सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूरे मामले की जांच कर रही है। इसके लिए सीबीआई पहले ही 7 अलग अलग प्रारंभिक जांच शुरू कर चुकी है। हजारों करोड़ के इस घोटाले की तह तक जाने के लिए सीबीआई को बड़ी संख्या में पुलिस अफसरों की जरूरत है। ऐसे में सीबीआई ने यूपी के डीजीपी को पत्र भेजकर 12 डिप्टी एसपी, 20 इंस्पेक्टर और 10 महिला कॉन्स्टेबल व हेड कॉन्स्टेबल और 10 पुरुष कॉन्स्टेबल व हेड कॉन्स्टेबल की मांग की है।

सीबीआई की मांग पर पुलिस मुख्यालय के स्थापना बोर्ड ने सभी जोन व रेंज स्तर पर पत्र भेजकर प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए इच्छुक पुलिस अफसरों व कर्मचारियों के आवेदन मांगे हैं। इसके लिए मानक भी तय किये गए हैं। बताया जा रहा है कि जो पुलिस अफसर व पुलिस कर्मी वर्ष 2018 तक के भर्ती हों, पुलिस कर्मी की उम्र 54 वर्ष से अधिक न हो, कर्मी को पिछले 5 साल में कोई दंड न दिया गया हो, कर्मी के खिलाफ कोई जांच या मुकदमा न चल रहा हो और कर्मी की सत्यनिष्ठा प्रमाणित हो।

सुपरटेक घोटाला क्या था?

सुपरटेक घोटाला भारत के प्रमुख रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक लिमिटेड से जुड़ा एक बड़ा वित्तीय धोखाधड़ी का मामला है। यह मुख्य रूप से होम बायर्स को धोखा देने, प्रोजेक्ट्स समय पर पूरा न करने, सबवेंशन स्कीम्स के तहत बैंकों और बिल्डर्स के बीच सांठ-गांठ कर फंड्स के गलत इस्तेमाल से संबंधित है। कंपनी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम और एनसीआर के दूसरे क्षेत्रों में कई रिहायशी और कॉमर्शियल प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए थे, लेकिन ग्राहकों से एडवांस पैसे वसूलने के बाद प्रोजेक्ट्स अधर में लटका दिए।

इसके अलावा, बैंकों से लिए गए लोन को दूसरे स्थानों पर जमीन खरीदने के लिए डायवर्ट किया गया। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला माना, जबकि पुलिस FIRs में चोरी, फोर्जरी और क्रिमिनल ब्रेक ऑफ ट्रस्ट के मामलों में एफआईआर दर्ज की।

कुल कितने करोड़ रुपए का घोटाला था?

सुपरटेक घोटाले काे लेकर कई एफआईआर दर्ज की गई है। 17 प्रोजेक्ट्स में 36,000 से ज्यादा होम बायर्स को हुए नुकसान करीब 9,000 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले का अनुमान है।

इसमें प्रमुख रूप से होम बायर्स को धोखा देने, बैंक लोन फ्रॉड, फंड डायवर्जन के मामले और 1500 करोड़ रुपए से अधिक की राशि लोन डिफाल्टर के तौर पर शामिल हैं। सबसे ज्यादा पैसों की हेरा फेरी सब्सिडी स्कीम स्कैम के तहत 5,000 करोड़ से अधिक के लोन के जरिए की गई।

कब से हो रही है जांच

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल अप्रैल महीने में सुपरटेक प्रोजेक्ट्स और बिल्डर-बैंक नेक्सस की जांच के लिए सीबीआई को प्रारंभिक जांच (प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज करने का आदेश दिया। यह आदेश सबवेंशन स्कीम्स के दुरुपयोग पर आधारित था, जहां बैंकों ने 60-70% लोन अमाउंट बिना प्रोजेक्ट्स पूरे हुए बिल्डर्स को दे दिया। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में अनहोली नेक्सस का जिक्र किया और सीबीआई को स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाने को कहा।(सौ. भास्कर)