Supertech के फ्लैट खरीदारों को जल्द मिलेगा घर, जानिए NBCC को देना होगा कितना पैसा
Supertech: उत्तर प्रदेश के नोएडा (Noida) में सुपरटेक के 25 हजार से ज्यादा फ्लैट खरीदारों के लिए राहत भरी खबर सामने आ रही है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय कंपनी अधिनियम अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने सुपरटेक की 16 रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी एनबीसीसी (NBCC) को सौंप दी है। ये निर्माण कार्य एनबीसीसी को 12 से 36 महीनों के अन्दर पूरा करना होगा। फ्लैट खरीदारों (Flat Buyers) के लिए राहत की बात यह है कि इसके लिए फ्लैट बायर्स को सिर्फ वही पैसा देना है, जो बिल्डर पर उसका पेंडिंग है।

इन प्रोजेक्ट में बनने वाले फ्लैट का ज्यादातर पैसा फ्लैट बायर्स (Flat Buyers) पहले ही दे चुके हैं। यह निर्णय नोएडा, ग्रेटर नोएडा, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, गुरुग्राम, देहरादून, मेरठ के प्रोजेक्ट के लिए है। इन प्रोजेक्ट्स में से काफी समय से काम रुका हुआ है। इन प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए लगभग 9,945 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सुपरटेक के टोटल 17 प्रोजेक्ट हैं, जिसमें एक प्रोजेक्ट दिवालियापन की प्रक्रिया में जा पहुंचा है। इन प्रोजेक्ट्स के तहत कुल 49,000 से ज्यादा फ्लैट्स का निर्माण होना है। इसमें नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट (Greater Noida West) के लगभग 20 से 25 हजार फ्लैट बायर्स को लाभ होगा और उन्हें अपना घर मिल सकेगा।
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इन प्रोजेक्ट में निर्माण कार्य 2025 के मई से शुरू किया जा सकता है। इससे पहले कंपनी को एक एस्क्रो खाता खोलना होगा। यह खाता एनबीसीसी और आईआरपी दोनों की देखरेख में रहेगा। इसी खाते से पैसा निर्माण में खर्च किया जाएगा।
एनसीएलएटी ने सुपरटेक की इन रुकी हुई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एनबीसीसी को व्यापक योजना बनाने का अधिकार दिया है। एनबीसीसी के आने से रुके हुए प्रोजेक्ट्स में निर्माण को रफ्तार मिलेगी और फ्लैट खरीदारों के हितों की भी रक्षा होगी। यह फैसला रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के मानदंडों के अनुरूप ही लिया गया है।

जानकारों के अनुसार, एनसीएलएटी के निर्णय से रियल ऐस्टेट के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आएगा। इससे घर निवेशकों और खरीदारों का भरोसा भी बढ़ेगा। इस आदेश के बाद अब इकोविलेज-3, मेरठ स्पोर्टस सिटी, स्पोर्टस विलेज, इकोसिटी, नॉर्थ-आई, अपकंट्री, इकोविलेज-1, ग्रीन विलेज, हिलटाउन, अरावली, रिवर फ्रंट, इकोविलेज, केपटाउन आदि प्रोजेक्ट शामिल हैं। जिन्हें पूरा करने की जिम्मेदारी एनबीसीसी की ही होगी।

