Jyoti Shinde,Editor
Punjab: फिऱोज़पुर, 12 सितम्बर: बैटल आफ सारागढ़ी(Battle of Saragarhi) के स्मृति स्वरूप सारागढ़ी वार मेमोरियल फिरोजपुर में बनेगा। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज फिऱोज़पुर में सारागढ़ी की ऐतिहासिक जंग के दौरान शहादत प्राप्त करने वाले 21 सिख शूरवीरों की याद में बनने वाली स्मारक का निर्माण कार्य 6 महीनों में मुकम्मल करने का ऐलान किया।
आपको बता दें कि आज से 126 साल पहले 12 सितम्बर 1897 को सारागढ़ी की लड़ाई लड़ी गई थी। इस युद्ध में ब्रिटिश भारतीय सेना के महज 21 सिख जवानों ने 10000 अफगान कबाइलियों से लोहा लिया था। सारागढ़ी की लड़ाई, विश्व के 5 सबसे महान युद्धों में गिना जाता है।
आज यहाँ सारागढ़ी जंग की स्मारक का नींव पत्थर रखने के बाद संबोधन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस स्मारक के निर्माण के लिए फंडों की कोई कमी नहीं आने दी जायेगी। उन्होंने कहा कि इस स्मारक का काम हर हाल में छह महीनों में पूरा कर लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि सारागढ़ी जंग के दौरान सैनिकों की शौर्यगाथा और बलिदान हमारी आने वाली पीढिय़ों को देश की निस्वार्थ सेवा के लिए प्रेरित करती रहेगी। देश की प्रभुसत्ता की रक्षा के दौरान दुश्मन के साथ टक्कर लेते हुए शहादत प्राप्त करने वाले 21 बहादुर सैनिकों के बेमिसाल बलिदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटना शूरवीरता की बेमिसाल गाथा है, जिसका इतिहास में कोई भी सानी नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह इन शहीदों के महान बलिदान के आगे सजदा करते हैं, जिन्होंने दुश्मन के आगे घुटने टेकने की बजाय मरने को प्राथमिकता दी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि 36 सिख के सैनिकों की बेमिसाल गाथा समाना रिज्ज ( अब पाकिस्तान) में घटी है, जिन्होंने 12 सितम्बर, 1897 को 10,000 अफगानियों के हमले के खि़लाफ़ लड़ाई लड़ते हुए बलिदान दे दिया था।
उन्होंने कहा कि सारागढ़ी की जंग भारतीय फ़ौज के इतिहास में मिसाल बनी रहेगी और यह भी याद करवाती रहेगी कि जब भी पंजाबियों को पीछे धकेलने की कोशिश हुई तो उस समय पर वह अपने सामथ्र्य से अधिक ताकतवार होकर खड़े हो सकते हैं।
जंग के दौरान दिखाए गए साहस के प्रचार की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार फ़ौज के इतिहास में आखिरी साँस तक मर मिटने की महान विरासत को नौजवानों में प्रेरणा के प्रतीक के तौर पर उभारने के लिए वचनबद्ध है। भगवंत सिंह मान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सारागढ़ी जंग की शौर्यगाथा सिख सैनिकों के जज़्बे और दृढ़ निश्चय की मिसाल पेश करती है, जिन्होंने दुश्मन का सामना करते हुए शहादत प्राप्त की। उन्होंने कहा कि मुल्क इन बहादुर सैनिकों के बेमिसाल बलिदान का सदा ऋणी रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जंग की स्मारक के काम की निजी तौर पर निगरानी करेंगे, जिससे इसको छह महीनों में मुकम्मल किये जाने को सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि इस नेक कार्य में किसी भी तरह की अनावश्यक देरी अनुचित होगी। उन्होंने कहा कि इस स्मारक के निर्माण के अवसर पर मापदण्डों के पैमानों की पूरी पालना की जायेगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि निर्माण के दौरान किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को सहन नहीं किया जायेगा और ऐसी हरकत की कोशिश करने वालों के खि़लाफ़ सख़्त कार्यवाही की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने पंजाब के इतिहास में बेहद महत्व रखते इस स्थान को अनदेखा करने के लिए पिछली सरकारों की सख़्त निंदा की। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने यह स्मारक बनाने का ऐलान किया था और साल 2019 में एक करोड़ रुपए जारी किये थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह कितने दुख की बात है कि इस स्मारक का काम कभी भी शुरू नहीं हुआ, क्योंकि इसके लिए 25 लाख रुपए की और ज़रुरत थी जो जारी नहीं किये गए। उन्होंने कहा कि इससे शहीदों के प्रति पिछली सरकार के व्यवहार का पता लगता है।
मुख्यमंत्री ने फिऱोज़पुर जिले को राज्य में पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करने के लिए ठोस प्रयास करने का भी ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सारागढ़ी स्मारक और हुसैनीवाला, जहाँ शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव और शहीद राजगुरू ने शहीदी प्राप्त की थी, इस जिले में आते हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि हुसैनीवाला सरहद के साथ लगते ऐतिहासिक महत्ता वाली इन स्थानों को दुनिया भर के सैलानियों को दिखाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के शहीदों की कोई गिनती नहीं की जा सकती, क्योंकि पंजाब के हरेक गाँव की धरती का सम्बन्ध इन शूरवीरों के साथ है। उन्होंने कहा कि इस पवित्र धरती पर महान गुरूओं, संतों, पीरों- पैगंबरों, कवियों और शहीदों का जन्म हुआ। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाबियों को अपनी सख़्त मेहनत और मेहनती भावना के लिए जाना जाता है, जिसके स्वरूप उन्होंने दुनिया भर में अपनी विशेष जगह बनाई है।
मुख्यमंत्री ने यह भी याद किया कि लोक सभा मैंबर के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान उनकी ओर से समकालीन लोक सभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के समक्ष मुद्दा उठाए जाने के बाद सदन ने श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के छोटे साहिबज़ादों के शहीदी दिवस के मौके पर उनको श्रद्धांजलि भेंट की थी।
उन्होंने कहा कि छोटे साहिबज़ादों के बेमिसाल और महान बलिदान मानवता को ज़ुल्म, अत्याचार और बेइन्साफ़ी के विरुद्ध लडऩे के लिए सदा प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने कहा कि छोटे साहिबज़ादों ने सरहिन्द के मुग़ल सूबेदार के ज़ुल्म और अत्याचार के विरुद्ध डटकर अथाह साहस और निडरता दिखाई। भगवंत सिंह मान ने कहा कि साहिबज़ादों को शूरवीरता और निस्वार्थ सेवा के गुण दसमेश पिता, जिन्होंने मानवता के कल्याण के लिए अथक लड़ाई लड़ी, से विरासत में मिले थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिखों के दसमेश पिता श्री गुरु गोबिन्द सिंह जी के साहिबज़ादे और माता गुजरी जी दिसंबर महीने में शहीद हुए थे, जिस कारण समूची कौम के लिए यह महीना शोक का महीना होता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उन्होंने पहले ही अधिकारियों को हिदायत की हुई है कि भविष्य में इस महीने के दौरान सरकारी स्तर पर कोई भी खुशी का समागम न मनाया जाये। उन्होंने कहा कि यह प्रयास राज्य सरकार और लोगों द्वारा साहिबज़ादों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।