लाल खून का काला धंधा, सच जानकर उड़ जाएंगे होश 

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क्या आपने कभी सोचा है कि अगर किसी को एकदम से खून की जरुरत पड़े। और उस मरीज को चढ़ाया गया खून नकली हो। जाहिर है पांव तले जमीन खिसक जाएगी। लेकिन ये सब आपकी नाक के नीचे चल रहा है। खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन यानी FSDA की सनसनीखेज रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लखनऊ के ब्लड बैंकों में जो खून स्टोर किया गया है, वह ह्यूमन बॉडी के लिए फिट नहीं है, बल्कि जानलेवा है।

FSDA की टीम ने जब छापेमारी की तो चौंकाने वाले खुलासे सामने आए। लखनऊ के ब्लड बैंकों से कुल 7 सैंपल लिए गए। इन सभी सैंपलों का खून मिलावटी है।”

ये है पूरा मामला

29 जून को नौशाद और असद नाम के खून तस्कर जयपुर से लखनऊ के लिए निकलते हैं। उनकी कार में अवैध खून से भरे 302 थैले थे। ये खून के थैले गत्ते के अंदर भरे हुए थे। इसी बीच मुखबिर एसटीएफ के एसपी प्रमेश कुमार शुक्ला को ये जानकारी दे देता है। शाम तक दोनों अपने अड्डे पर पहुंच जाते हैं। SP डीटेल्ड जानकारी जुटाकर उसी समय ठाकुरगंज के मेडलाइफ ब्लड बैंक पर छापा मारते हैं। उन्हें गत्ते में कई ऐसे खून से भरे बैग मिलते हैं, जिन पर ना ही एक्सपायरी डेट लिखी थी और ना तो डोनर का नाम। खून के कई थैलों में तो ब्लड-ग्रुप तक नहीं लिखा था। एसटीएफ ने जांच को आगे बढ़ाया और एक दिन के भीतर लखनऊ समेत यूपी के 5 जिलों से 7 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

ऐसे होती है खून की तस्करी
पकड़े गए एक अपराधी नौशाद ने बताया कि मैं जोधपुर के अंबिका ब्लड बैंक में लैब टेक्नीशियन की जॉब करता था। इसी बीच राजस्थान के कई डॉक्टरों से जान पहचान हुई। हम चैरिटेबल ब्लड बैंकों के जरिए कैंप लगाकर खून जुटाने लगे। हम ज्यादातर खून के थैलों की एंट्री दस्तावेजों में नहीं करते थे। फर्जी डॉक्यूमेंट बनाते थे। लखनऊ के ब्लड बैंको की डिमांड पर खून के बैग्स को 700-800 रुपए की कीमत पर सप्लाई कर देते थे। लखनऊ में उस खून में मिलावट की जाती है।

खून में मिलाया जाता है लाइन वाटर 

सूत्रों के मुताबिक तस्करी किए गए खून के थैलों में किसी भी ब्लड बैंक का लेबल नहीं होता है और ना ही टेम्परेचर का ध्यान रखा जाता है। लखनऊ के मेड लाइफ ब्लड बैंक, नारायणी ब्लड बैंक और मानव ब्लड बैंक में खून में से-लाइन वाटर मिलकर दोगुना कर दिया जाता था। मिलावट के बाद इस खून को महंगे दामों पर लखनऊ के चैरिटेबल ब्लड बैंक, हरदोई के यूनिवर्सल ब्लड बैंक, फतेहपुर के आभा ब्लड बैंक, कानपुर के मां अंजली ब्लड बैंक, बहराइच के हसन ब्लड सेंटर और उन्नाव के सिटी चैरिटेबल ब्लड बैंक में सप्लाई कर दिया जाता था। तस्कर नौशाद के फोन से 1150 ऐसे नंबर मिले हैं, जिनके साथ वो हमेशा कांट्रैक्ट में रहता था। अभी हमारे निशाने पर UP के 137 ब्लड बैंक हैं, जांच जारी है। 

खून चढ़ाने से पहले सैंपल की जांच करना जरूरी
‘ओ ब्लड ग्रुप’ यूनिवर्सल डोनर होता है वो किसी को भी ब्लड दे सकता है। बाकी सेम ब्लड ग्रुप वाले लोग सेम ब्लड ग्रुप को डोनेट कर सकते हैं। बल्ड का  टेम्परेचर मेंटेन करना जरूरी है। पीआरबीसी, प्लासमा, प्लेटलेट इनका एक स्पेसिफिक टेम्परेचर होता है उस टेम्परेचर से अगर कम होगा तो या ज्यादा हो जाएगा तो वह ब्लड खराब हो जाएगा। फिर वो किसी को चढ़ाने लायक नहीं रहते है। लेकिन अगर खून ही नकली तो मरीज की जान खतरे में आना लाजिमी है।

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