Punjab की 4 नहीं, 5 सीटों पर उपचुनाव होगें।
Punjab: शिरोमणि अकाली दल (SAD) के बंगा से दो बार विधायक रहे डॉ. सुखविंदर सिंह सुखी के आम आदमी पार्टी (AAP) में शामिल होने का असर पंजाब उपचुनाव पर दिखेगा..जिसके मुताबिक अब 4 नहीं 5 सीटों पर उपचुनाव होंगे।
ये भी पढ़ेः CM Maan कैबिनेट का बड़ा फैसला.. 2 सितंबर से शुरू होगा विधानसभा का मानसून सत्र
ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करें https://whatsapp.com/channel/0029VaBE9cCLNSa3k4cMfg25
मिली जानकारी के मुताबिक सुखविंदर सिंह सुखी दलबदल कानून के तहत विधानसभा से इस्तीफा देंगे। इस्तीफे की प्रक्रिया अगले कुछ समय में हो सकती है। डॉ. सुखी का पार्टी को अलविदा कहना शिअद के लिए किसी झटके से कम नहीं है। एक तो अब दोआबा में पार्टी का कोई विधायक नहीं बचा है। वहीं, उनके इस्तीफे के बाद पार्टी के खिलाफ बगावत का मोर्चा खोलने वाले नेताओं को एक और मौका मिल गया है।
सांसद बनने से सीटें हुई थी खाली
पंजाब में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने थे। क्योंकि इन सीटों के विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं। इन सीटों में बरनाला, गिद्दड़बाहा, डेरा बाबा नानक और चब्बेवाल शामिल हैं।
इन नेताओं ने विधानसभा से इस्तीफा भी दे दिया है। इन नेताओं में गुरमीत सिंह मीत हेयर संगरूर के सांसद बन गए हैं। जबकि अमरिंदर सिंह राजा वडिंग लुधियाना, राज कुमार चब्बेवाल होशियापुर और सुखजिंदर सिंह रंधावा गुरदासपुर के सांसद बन गए हैं।
ये भी पढ़ेः Punjab: जलालाबाद-पातड़ां में बनेगी नई अनाज मंडी..मंत्री खुड्डियां ने अधिकारियों को दिए निर्देश
हरियाणा चुनाव के साथ ही हो सकते हैं उपचुनाव
पंजाब की इन पांच सीटों पर जल्द ही चुनाव होने हैं। अभी तक चुनाव आयोग ने इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया है। माना जा रहा है कि सितंबर या अक्टूबर में जैसे ही हरियाणा में चुनाव की तारीख घोषित होगी, उसके साथ ही इन सीटों पर भी चुनाव हो सकते हैं।
अकाली दल की स्थिति नाजुक
डॉ. सुखविंदर सिंह सुखी के पार्टी छोड़ने से अब दोआबा में पार्टी का कोई विधायक नहीं है। दोआबा में पार्टी के एकमात्र विधायक डॉ. सुखी थे। जहां तक माझा का सवाल है तो मजीठा से गनीव कौर विधायक हैं। वह वरिष्ठ अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की पत्नी हैं।
जबकि 69 सीटों वाले मालवा में पार्टी के विधायक मनप्रीत सिंह अयाली हैं। हालांकि वह भी इन दिनों पार्टी से दूरी बनाए हुए हैं। इस बारे में राजनीतिक विशेषज्ञ कुलदीप सिंह कहते हैं कि अकाली दल के लिए यह समय काफी नाजुक है। 2012 के चुनाव में पार्टी के पास 68 सीटें थीं। लेकिन बेअदबी और अन्य डेरा मुखी विवादों के कारण पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा है। 2017 में पार्टी 18 सीटों पर सिमट गई। वहीं, इसके बाद अकाली दल कमजोर होता चला गया। 2022 में पार्टी तीन सीटों पर पहुंच गई। आम आदमी पार्टी ने उसका सारा वोट बैंक छीन लिया।