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Punjab विधानसभा ने सर्वसम्मति से पंजाब वस्तु एवं सेवा कर संशोधन विधेयक, 2024 पारित किया: मंत्री चीमा

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Punjab: कर अनुपालन को बढ़ाने और राज्य वस्तुओं और सेवाओं कर (एस.जी.एस.टी) व्यवस्था को और अधिक सुव्यवस्थित करने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब विधानसभा ने सर्वसम्मति से पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी और कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा द्वारा प्रस्तुत पंजाब गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स संशोधन बिल, 2024 को पास कर दिया।

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बिल को पेश करते हुए, वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने प्रमुख संशोधनों का उल्लेख किया, जिनमें मानव उपभोग के लिए शराब बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ई.एन.ए) को जीएसटी के दायरे से बाहर करना शामिल है। उन्होंने कहा कि अब शराब बनाने के लिए उपयोग की जा रही ई.एन.ए पर केवल मूल्य वर्धित कर (वीएटी) वसूला जाएगा।

करदाताओं को बड़ी राहत की घोषणा करते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि करदाताओं को वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2020-21 के लिए 30 नवंबर, 2021 तक दाखिल रिटर्न के माध्यम से दावा किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ उठाने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, अब मालिक/डीलर की व्यक्तिगत उपस्थिति के बजाय एक अधिकृत प्रतिनिधि सम्मन किए व्यक्ति की तरफ से पेश हो सकता है, जबकि पहले व्यक्तिगत रूप से पेश होना अनिवार्य था। उन्होंने कहा कि कर प्रक्रिया को सरल और कर पालन को बेहतर बनाने के लिए अब करदाताओं के लिए नोटिस की अवधि भी 30 दिनों से बढ़ाकर 60 दिन कर दी गई है।

वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक करदाताओं के लिए छूट की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि यदि कोई करदाता 31 मार्च, 2025 तक वर्ष 2017-18 से 2019-20 से संबंधित कर मांग की पूरी राशि का भुगतान करता है, तो उसे ब्याज और जुर्माने की पूरी छूट दी जाएगी।

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बिल पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने जी.एस.टी मुआवजे के मुद्दे को उठाने के लिए प्रिंसिपल बुध राम का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जब 2017 में जी.एस.टी प्रणाली लागू की गई थी, तो 2022 तक राज्यों के लिए 14% साल दर साल विकास आधारित मुआवजे पर सहमति बनी थी। हालांकि, उन्होंने अफसोस प्रकट किया कि पिछली सरकार ने पांच वर्षों में राज्य की अर्थव्यवस्था को पुनः जीवत् करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया और केवल मुआवजे पर ही निर्भर रही।

उन्होंने कहा कि इसके विपरीत, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई में वर्तमान सरकार ने कर अनुपालन को बढ़ाने के लिए टैक्स इंटेलिजेंस यूनिट की स्थापना, आईआईटी हैदराबाद द्वारा विकसित इंटेलिजेंट मॉड्यूल को नियोजित करने और ‘बिल लायो इनाम पाओ’ जैसी योजनाएं शुरू करने सहित विभिन्न उपाय शुरू किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में जी.एस.टी संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।

वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि जीएसटी प्रणाली के कार्यान्वयन से राज्य द्वारा लगाए गए सभी प्रकार के कर समाहित हो गए। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली से पहले खाद्यान्न की खरीद के लिए राज्य को केंद्र सरकार से लगभग 7,000 करोड़ रुपये प्राप्त होते थे, जो अब बढ़कर लगभग 10,000 करोड़ रुपये हो जाने थे। वित्त मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्यवश पिछली राज्य सरकार इस महत्वपूर्ण नुकसान के लिए मुआवजा प्राप्त करने में असफल रही।

वित्त मंत्री चीमा ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार की भी आलोचना की, जिसने ओटीएस में 40,000 व्यापारियों के कर माफ करने का झूठा दावा किया था। उन्होंने कहा कि वास्तव में एक भी व्यापारी को लाभ नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि पहली बार मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की अगुवाई में पंजाब के 70,000 से अधिक व्यापारियों ने एकमुश्त निपटारा योजना (ओ.टी.एस स्कीम) का लाभ उठाया है और राज्य के खजाने को 164 करोड़ 35 लाख रुपये की आमदनी हुई है।