उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Noida News: सुपरटेक का ट्विन टावर(Twin Tower) कभी भारत की सबसे ऊंची बिल्डिंगों में जिसकी गिनती होती थी, उसको ज़मीदोज़ हुए एक साल से ज्यादा हो गए। 28 अगस्त 2022 यही वो दिन था सुपरटेक के नोएडा सेक्टर 93A में मौजूद अपेक्स और सियान दोनों विवादित टावरों को 10 सेकेंड के अंदर ध्वस्त कर दिया गया था। एक साल पूरा होने पर सोसाइटी के लोगों ने जमकर खुशी मनाई। लेकिन यह अभी भी लोगों को टेंशन दे रहा है।
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ट्विन टावर के मामले में हाल ही में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) के अफसरों को लेकर बड़ी बात कही है। साथ ही आपको बता दें कि मुआवजा वितरण में हुए फर्जीवाड़े की जांच यूपी सरकार द्वारा न कराए जाने पर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई है।
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ट्विन टावर के मामले के बाद मुआवजा वितरण फर्जीवाड़े में सुप्रीम कोर्ट ने अथॉरिटी पर फिर तीखी टिप्पणी की है। इससे अथॉरिटी के अधिकारियों की भूमिका जांच के घेरे में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नोएडा प्राधिकरण के एक-दो अधिकारी नहीं, पूरा तंत्र ही भ्रष्टाचार में डूबा है। मुआवजा वितरण में हुए फर्जीवाड़े की जांच यूपी सरकार द्वारा न कराए जाने पर भी कोर्ट ने नाराजगी जताई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत
मुआवजा वितरण फर्जीवाड़ा मामले में वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। वरिष्ठ वकील रवींद्र कुमार और एएजी अर्धेंदुमौली कुमार प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित हुए। मामले में याचिकाकर्ता ने आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(ए) के तहत अपराध के लिए अग्रिम जमानत की मांग की। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 जनवरी, 2023 के आक्षेपित आदेश में सीआरपीसी की धारा 438 के तहत आवेदन को खारिज करते हुए कहा था कि उक्त तथ्य को देखते हुए, आरोपी आवेदक ने 7,26,80,427 रुपये के बड़े मुआवजे की सिफारिश की।
आरोपी आवेदक ने गलत आधार पर कहा कि मुआवजा देने की अपील हाईकोर्ट में लंबित थी। इस कोर्ट ने पाया कि आरोपी आवेदक द्वारा किए गए अपराध के लिए उसे अग्रिम जमानत देने की आवश्यकता नहीं है। आरोपी आवेदक ने कथित तौर पर नोएडा प्राधिकरण को गलत तरीके से नुकसान पहुंचाया है और खुद को और उक्त भूमि मालिक को गलत लाभ पहुंचाया है।
हाईकोर्ट ने गहन जांच का दिया था आदेश
हाईकोर्ट की पीठ की राय थी कि मामले में गहन जांच और सच्चाई का पता लगाने के लिए किसी स्वतंत्र एजेंसी को संदर्भित करना आवश्यक है, लेकिन राज्य सरकार द्वारा कोई जांच नहीं करवाने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। इस पर उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता ने राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा है। अब पीठ ने मामले को 5 अक्टूबर, 2023 को आगे की सुनवाई करेगा। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि इस पूरे मामले की जांच किस एजेंसी से करवाई जाए।
सुपरटेक मामले में अधिकारियों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
सुपरटेक के ट्विन टावर मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों को लेकर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्राधिकरण के अधिकारियों के आंख-नाक, कान मुंह तक से भ्रष्टाचार टपकता है। वह बिल्डर के साथ संलिप्त है। इस टिप्पणी के बाद भी प्राधिकरण की खासी किरकिरी हुई थी औ मामले में शासन ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था, लेकिन अब तक इस प्रकरण में प्राधिकरण के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकी है।
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