शिक्षा के अधिकार अधिनियम यानी (आरटीई) के तहत दाखिला न देना, नोएडा के 9 स्कूलों को भारी पड़ सकता है। गौतमबुद्ध नगर प्रशासन(नोएडा) ने सख्त रुख अपनाते हुए डीएम ऑफिस में बुधवार को सभी स्कूल के प्रिंसिपल्स की मीटिंग बुलाई गई जिसमें RTE के तहत एडमिशन ना देने को लेकर सवाल-जवाब किए गए।
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क्या है पूरा मामला ?
दरअसल डीएम के आदेश के मुताबिक 12 मार्च और 19 अप्रैल को आयोजित पहले और दूसरे लॉटरी राउंड में आरटीई के तहत छात्रों को एडमिशन देना था। लेकिन स्कूल की तरफ एडमिशन नहीं दिए गए। जिसके बाद कई अभिभावकों ने BSA के सामने निजी स्कूलों के खिलाफ अपने बच्चों को एडमिशन देने से इंकार करने की बात सामने रखी।
यही नहीं कई अभिभावकों ने ये भी दावा किया कि कुछ स्कूल आरटीई दिशानिर्देशों में उल्लेखित दस्तावेजों की भी मांग भी नहीं कर रहे हैं। जिसके बाद शिक्षा विभाग हरकत में आया और स्कूल प्रिंसिपल्स की मीटिंग बुलाई गई। जिसमें कहा गया कि “अगर किसी स्कूल को छात्र के माता-पिता के आय संबंधी दस्तावेजों के बारे में संदेह है, तो उन्हें एक सप्ताह के भीतर शिक्षा विभाग से संपर्क करना होगा। बिना किसी प्रामाणिक कारण के, स्कूल किसी भी आरटीई उम्मीदवार के प्रवेश से इंकार नहीं कर सकते हैं।
आपको बता दें नोएडा के प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत 3000 सीटें हैं जिसमें 2000 सीटों पर एडमिशन हो चुका है। बाकी 1000 सीटें पर एडमिशन बाकी है। आरटीई एक्ट 2009 के तहत 25% आरक्षित सीटें निजी स्कूलों के उन गरीब विद्याथियो के लिए रखी गई हैं, जो अभिभावक स्कूल की फीस भरने में सक्षम नहीं हैं।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के मुताबिक 20 अप्रैल से शुरू हुई आरटीई आवेदन प्रक्रिया का तीसरा दौर 12 मई तक चलेगा। 13 मई से 23 जून तक वोटिंग होगी..जिसकी वजह से परिणाम 5 जुलाई को घोषित किए जाएंगे।
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