उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Nodia News: नोएडा का चर्चित ‘निठारी कांड’ (Nithari Incident) एक बार फिर से चर्चा में हैं। आपको बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने एक बड़ा फैसला देते हुए निठारी कांड के आरोपियों मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली (Surendra Koli) को बरी कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद निठारी कांड से जुड़े कई पहलुओं का जिक्र हो रहा है। कई लोग इस कांड में दोषी लोगों की मानसिकता पर सवाल भी उठा रहे हैं, जिसका कारण है एक बीमारी। दरअसल, ये ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान बच्चों को खाने लगता है और लाश के साथ रेप करने लगता है।
कौन सी है ये बीमारी
आपको बता दें कि इस केस में सुरिंदर कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को रेप और कत्ल के मामलों में दोषी माना गया था। पुलिस जांच में सामने आया था कि 19 महिलाओं के साथ रेप किया गया था और उनकी हत्या की गई थी। साथ ही शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए गए थे। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस जांच में कोली ने नरभक्षण और नेक्रोफिलिया की बात कबूल की थी। इसका मतलब है कि कोली नेक्रोफिलिया जैसी बीमारी से ग्रस्त था और कई रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी। लेकिन, बाद में वो इस बयान से पटला भी था।
क्या होता है इस बीमारी में
नेक्रोफिलिया एक ग्रीक शब्द है और ये नेक्रो-फिलिया का मेल है। जिसमें नेक्रो का अर्थ मरे हुए से है और फिलिया का मतलब दोस्त या आकर्षण से है। ऐसे में इसे शव के प्रति आकर्षण के लिए यूज किया जाता है। मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, नेक्रोफिलिया एक दिमागी बीमारी है और इस बीमारी में मरीज कई तरह की विकृतियों का आदी होता है। वैसे ये काफी रेयर डिसीज है और कई रिपोर्ट में तो ये भी कहा गया है कि ये बीमारी 10 लाख में से एक शख्स को होती है।
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आइए अब जानते हैं पूरा मामला विस्तार से
2004 के जून महीने में, निठारी में 4 साल का बच्चा लापता हुआ। परिवार के लोग खोजते रहे, पुलिस के पास गए। पुलिस के सामने सवाल तो था लेकिन वह जवाब नहीं तलाश पाई कि आखिर बच्चा कहां गायब हो गया। काफी समय बीतने के बाद गुमशुदगी निठारी में होने लगी। दिसंबर-2006 में एक कॉल गर्ल की गुमशुदगी की जांच में पुलिस डी-5 कोठी तक पहुंची। बताया जाता है कि उसी दिन पुलिस सुरेंद्र कोली को अल्मोड़ा में उसके घर से लेकर नोएडा आई। सूत्रों का कहना है कि कोली ने पहली बार 28 दिसंबर को मुंह खोला था। इसके बाद पुलिस उसे लेकर डी-5 कोठी पर गई। कॉल गर्ल की हत्या की जांच चल रही थी। उसी दिन देर शाम को उस युवती की एक सैंडल और कुछ कंकाल के टुकड़े भी वहां से मिले।
रात होने के कारण नोएडा पुलिस वापस लौट गई और कहा कि सुबह जांच पूरी तरह करेंगे। पुलिस उसी रात वहां पर सर्च करती तो शायद तस्वीर कुछ और होती और नोएडा पुलिस पर इस केस में नाकामी का दाग न लगता। इसके बाद केस भी सीबीआई के पास नहीं जाता। बात सीबीआई की करें तो 2007 में जांच शुरू करने के साथ 8 फरवरी 2007 को कोली और पंढेर को 14 दिन की सीबीआई ने हिरासत में लिया। एक-एक कर कुल 16 केस गुमशुदगी व हत्या के सामने थे। मई में सीबीआई ने चार्जशीट पेश की, जिसमें अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के मामले में मनिंदर सिंह पंढेर को आरोपमुक्त कर दिया था। दो माह बाद अदालत की फटकार के बाद सीबीआई ने उसे मामले में सहअभियुक्त बनाया।
दोबारा जांच शुरू हुई। अलग-अलग केस में फैसले आए, जिनमें फांसी की सजा भी शामिल थी। अब हाई कोर्ट का फैसला सोमवार को आया है जिसमें मनिंदर और कोली को निर्दोष करार दिया गया है। इसके बाद सीबीआई पर भी एक नाकामी का दाग निठारी कांड में लग गया है। हाईकोर्ट ने यहां तक कहा है कि जांच बहुत ही खराब तरीके से की गई, यह जनता के भरोसे को धोखा है।
हाई कोर्ट में कहां पर कमजोर पड़ा केस
निठारी कांड बड़ी संख्या में नर कंकाल मिले। इसके बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से निठारी कांड को लेकर मानव अंगों के व्यापार होने के एंगल से जांच करने की सिफारिश भी की गई। हाई कोर्ट के अनुसार, इस एंगल पर जांच आगे नहीं बढ़ पाई। निठारी में अब भी इस बात की चर्चा होती है कि कहीं ऐसा तो नहीं ये हत्याएं मानव अंग निकलवाने के लिए की गई थीं।
कोठी में हत्या होने के सबूत नहीं मिले
हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में यह बात सामने आई है कि निठारी की चर्चित डी-5 कोठी में एक भी हत्या होने का सबूत नहीं मिला। दूसरी तरफ केस में चार्जशीट में यह तथ्य थे कि इस कोठी में ही सुरेंद्र कोली हत्या करता था, शव के कई टुकड़े करता था। खुलासा होने पर एफएसएल आगरा की एक टीम कोठी में आई थी। इसके बाद सीबीआई की फरेंसिक टीम भी पहुंची थी।
कोर्ट ने सबूत पर लगाए प्रश्न चिन्ह
प्राप्त सूचना के मुताबिक केस में सीबीआई ने सुरेंद्र कोली के कबूलनामे को भी बड़ा आधार बनाया था। इसमें उसके कोठी में कॉल गर्ल का कपड़ा से गला घोंट कर मारने की बात कही गई थी। वह कपड़ा कहां है ये सबूत को लेकर सवाल कोर्ट में उठा। कोर्ट ने केस में आखिर बार किसने देखा, मंशा, घटना के बाद का सीन, खून से सना हथियार, कपड़े, फरेंसिक-डीएनए, सीमेन, पीड़ित के कपड़े व सबूत से जुड़े अन्य तथ्यों के न होने पर भी प्रश्न चिन्ह लगाए।
ये कारण से कमजोर हुआ केस
सुरेंद्र कोली के बाथरूम में खून का कोई दाग न मिलना, ऑडियो कबूलनामा को बगैर ओरिजनल चिप में कोर्ट में पेश किया जाना व उस पर कोली के साइन न होना समेत अन्य तकनीकी तथ्य भी केस कमजोर होने के कारण बताए जा रहे हैं। कोठी के पीछे मिले कंकाल को लेकर कोली के कबूलनामे में यह था कि उसने 4 शव बगैर काटे ही पीछे फेंके थे, लेकिन मौके पर मिले कंकाल कई टुकड़ों में थे। साथ ही कोली ने कहा था कि उसने पॉलिथीन बैग में भरकर शव कोठी के पीछे फेंके, लेकिन कंकाल खुदाई कर निकाले गए। जिसका मतलब जमीन के नीचे दबे हुए थे।
सीबीआई ने पूछा कि तुम ऐसा कैसे कह सकते हो
हाई कोर्ट की तरफ से सीबीआई की जांच पर सवाल उठाए जाने के बाद निठारी कांड के पीड़ित के भी सवाल हैं। डी-5 कोठी से कुछ दूरी पर कपड़ा प्रेस करने की दुकान चलाने वाले झब्बूलाल की बेटी लापता हुई थी उसका केस भी 16 केस की सूची में था। पत्नी सुनीता का कहना है कि बेटी का कंकाल मिला था। पुलिस और सीबीआई जांच को लेकर झब्बूलाल का कहना है कि शुरुआत में पुलिस केस दबाती रही। अधिकतर बच्चे गांव और सड़क के बीच करीब 200 मीटर की दूरी में गायब हो रहे थे। दारोगा विनोद कुमार आए तो वह केस को लेकर खुलासे के करीब थे। तब पुलिस अधिकारी जो ऊपर थे वह चुप थे। इसके बाद सीबीआई ने जांच शुरू की।
बकौल झब्बूलाल सीबीआई ने 10 बार उनसे इस हत्याकांड में पूछताछ की। हर बार यही सवाल उठाया गया कि तुम ऐसा कैसे कह सकते हो कि मनिंदर हत्याओं में शामिल था। इस पर झब्बूलाल ने कहा कि हमने भी पूछा था कि आप कैसे कह सकते हैं कि अकेले सुरेंद्र कोली ने यह सब किया है और उसकी जानकारी मनिंदर को नहीं थी। झब्बूलाल की पत्नी सुनीता का कहना है कि खून के धब्बों की बात जो कही जा रही है। मेरे पास मनिंदर के कुर्ते-पायजामे प्रेस होने के लिए आते थे। कई बार उन पर खून के धब्बे मैंने देखे थे। सवाल करने पर सुरेंद्र बताता था कि साहब मीट लेने गए थे वहां पड़ गए होंगे।
17 बच्चों को बनाया शिकार
अदालत ने सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर को भले ही कई मामलों में बरी कर दिया हो, लेकिन आज भी निठारी कांड की बात आते ही हर उस शख्स की आंखों में वह मंजर तैर जाते हैं, जब एक-एक कर नाले से नर कंकाल निकल रहे थे। आपको बता दें कि कोली को 17 में से 12 केस में मिली थी कोली को फांसी की सजा मिली थी।
करोड़पति मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी डी-5 पर आज फिर मीडिया का जमावड़ा लगा है। हालांकि अब कोठी की हालत ऐसी हो चुकी है जिसे देखकर कोई नहीं कह सकता कि 17 साल पहले यहां पर कोई कोठी थी।