Noida-ग्रेटर नोएडा..15 साल से फ़्लैट के इंतज़ार में 2.7 लाख खरीदार..इमोशनल कर देगी स्टोरी

ग्रेटर नोएडा- वेस्ट दिल्ली NCR नोएडा
Spread the love

Noida News: राजधानी दिल्ली से सटे हुए नोएडा (Noida) और ग्रेटर नोएडा (Greater Noida) में लोग अपनी मेहनत की कमाई लगाकर फ्लैट तो खरीद लेते हैं लेकिन फ्लैट पर उनका मालिकाना हक मिलना बहुत मुश्किल की बात हो जाती है। आपको बता दें कि पिछले 15 साल से जिले के 2.7 लाख फ्लैट खरीदार न्याय की आस लगाकर इधर उधर भटक रहे हैं।

ख़बरीमीडिया के Whatsapp ग्रुप को फौलो करने के लिए tau.id/2iy6f लिंक पर क्लिक करें

ये भी पढ़ेंः Elvish Yadav Case: सांपों के ज़हर सप्लाई पर एल्विश यादव का सनसनीखेज़ कुबूलनामा

Pic Social Media

इस दौरान कई सरकारें आईं और चली भी गईं। कई बार लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी हुए। साल 2009 से 2024 तक प्रदेश में भाजपा, बसपा और सपा की सरकार भी रही, लेकिन फिर भी कोई भी फ्लैट खरीदारों को उनका हक नहीं दिला पाया। एक बार फिर लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) का ऐलान हो गया है। ऐसे में इस बार भी खरीदारों का मुद्दा बड़ा मुद्दा होगा। चुनाव में फ्लैट खरीदारों के बाबत राजनैतिक पार्टियों के अपने-अपने दावे करेंगे, लेकिन इन दावों को पूरा कराने की चुनौती भी होगी।

खरीदारों पर घर का किराया का है बोझ

गौतमबुद्ध नगर (Gautam Buddha Nagar) जिले के हजारों घर खरीदार हैं, जिन पर फ्लैट में निवेश करने के बाद भी दोतरफा मार पड़ी है। एक ओर उनको घर का किराया देना पड़ रहा है और दूसरी तरफ बैंक से लिए गए लोन की ईएमआई भी देनी पड़ रही है। ग्रेनो वेस्ट निवासी श्वेता भारती ने इसको लेकर बताया कि उनको अब तक आम्रपाली सेंचुरियन पार्क में घर नहीं मिल सका है। अभी किराये पर घर लेकर रहती हैं और ईएमआई भी भर रही हैं। खास बात यह कि इनमें से कई निवेशक अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनके परिवार का कहना है कि उनके लिए सबसे बड़ा सपना खुद का घर होना था, जो उनके जीवन काल में नहीं मिल पाया।

ये भी पढ़ेंः ग्रेटर नोएडा की यूनिवर्सिटी में बवाल..सीनियरर्स ने जूनियर डॉक्टर्स की पिटाई की

Pic Social Media

ईएमआई भरने के लिए टैक्सी चलाने को हुए मजबूर

फ्लैट में निवेश करने वालों की कहानी हैरान कर देगी। इनमें कुछ ऐसे भी नाम हैं जो बुकिंग तो करा दी, लेकिन कोरोना के कारण उनकी नौकरी छूट गई। इसके बाद उन पर दुखों का पहाड़ आ गिरा। ऐसे निवेशक नाम न लिखने की शर्त पर बताए कि वह घर चलाने और ईएमआई भरने के लिए टैक्सी चला रहे हैं। वहीं, कुछ लोग छोटे-मोटे काम कर कर रहे हैं। उनका मानना है कि फ्लैट में निवेश करना उनकी जीवन की सबसे बड़ी भूल थी। कई लोगों ने अपने पैसे रिफंड के लिए भी आवेदन किया है। उनका कहना है कि जीवन भर की कमाई ऐसे ही नहीं गंवाई जा सकती है।

आम्रपाली के कार्यालय के 2 महीने लगातार किए थे प्रदर्शन

आम्रपाली (Amrapali) के खरीदारों ने सेक्टर-62 में लगातार दो महीने तक प्रदर्शन किए थे। उस दौरान सरकार के मंत्री से लेकर विधायक-सांसद और प्राधिकरण (Authority) के अधिकारी तक धरनास्थल पर आए। उन्होंने धरनारत खरीदारों को मनाने की कोशिश भी की, लेकिन बात नहीं बन सकी। आम्रपाली (Amrapali) के कार्यालय के बाहर गेट पर तंबू लगाकर जमे रहे। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने मंत्रियों की एक उच्चस्तरीय समिति बनाने की घोषणा की। समिति ने काम भी शुरू किया, लेकिन परिणाम देने में सफल न हुई, हालांकि कई माह तक प्राधिकरण के अधिकारी लखनऊ का चक्कर लगाते रहे।

लाखों में खरीदार, रजिस्ट्री हो रही सैकड़ों में

जिले में लगभग 2.7 लाख फ्लैट खरीदारों को अपने घरों पर मालिकाना हक मिलने का इंतजार है, लेकिन प्राधिकरण की तरफ से लाख प्रयास करने के बावजूद भी रजिस्ट्री का आंकड़ा नहीं बढ़ पा रहा है। सरकार के अमिताभ कांत समिति की सिफारिशों को लागू करने के बाद भी बड़े बिल्डरों की तरफ से रजिस्ट्री और घरों के अधूरे निर्माण पूरे करने को लेकर किसी तरह की संजीदगी नहीं दिखाई जा रही है। हालत यह है कि लाखों की रजिस्ट्री होनी है और सैकड़ों में रजिस्ट्री की योजना बनाई जा रही है।

सपा-बसपा की सरकार में भी नहीं निकला हल

आपको बता दें कि सपा-बसपा सरकार के समय की यह परेशानी अब तक बनी हुई है। साल 2007 से लेकर 2017 तक दोनों पार्टियों की सरकारें सत्ता में रहीं। इसी दौरान बिल्डरों की ओर से खरीदारों के पैसे लेकर फंड के डायवर्जन का फर्जीवाड़ा किया गया। इनको पकड़ने के लिए अधिकारियों ने कुछ भी नहीं किया। धरना-प्रदर्शन के दौरान फ्लैट खरीदारों की एक नहीं सुनी गई। किसी की भी निगरानी नहीं हुई। ऐसे में पूरा मामला फंसता ही चला गया।

प्राधिकरणों ने भी की लापरवाही

बिल्डर-खरीदार मामले में प्राधिकरणों ने भी लापरवाही की। प्राधिकरणों ने बिल्डरों को बिना परखे जमीन की कुल कीमत की 10 प्रतिशत राशि लेकर आवंटन तो कर दिया। बिल्डरों को समय के साथ किस्तें जमा करनी थीं और निर्माण कार्य पूरे कराने थे, लेकिन बिल्डरों ने खरीदारों के पैसे दूसरी परियोजनाओं में लगा दिए और मामला फंसा दिया।

जान लीजिए बिल्डर-खरीदार आंकड़ा

नोएडा में अब तक नहीं मिला घर – 1,03,973 खरीदार
ग्रेटर नोएडा में अब तक नहीं मिले घर – 1,65,404 खरीदार
यमुना में अब तक नहीं मिले घर – 4,500 खरीदार

जिले की डिफॉल्टर परियोजनाएं

नोएडा प्राधिकरण – 87 परियोजनाएं
ग्रेनो प्राधिकरण – 96 परियोजनाएं

यमुना प्राधिकरण – 14 परियोजनाएं

सासंद डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश में पहले की सरकारों की लापरवाही का खामियाजा फ्लैट खरीदारों को भुगतना पड़ा है। भाजपा की सरकार आने के बाद उनकी उम्मीदों को पूरा करने के लिए पूरे प्रयास किए गए हैं। आने वाले समय में सभी की रजिस्ट्री कराने का रोडमैप तैयार हो गया है। इस कड़ी में काम भी शुरू हो चुका है। –

अन्नू खान, अध्यक्ष, नेफोमा ने कहा कि लोग कई वर्षों से रजिस्ट्री के लिए चक्कर लगा रहे हैं। कई सोसाइटियों में रजिस्ट्री नहीं हुई है। जहां लोग रहे हैं वहां भी सुविधाओं का अभाव है।

अभिषेक कुमार, अध्यक्ष, नेफोवा ने कहा कि यहां रजिस्ट्री बहुत बड़ा मुद्दा है। योगी सरकार ने सहूलियत तो दी, लेकिन अधिकांश बिल्डर रजिस्ट्री के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। सरकार को इन पर सख्ती करनी चाहिए।