उद्भव त्रिपाठी, ख़बरीमीडिया
Noida News: नोएडा सेक्टर 51-52 मेट्रो स्टेशन जाने वाले यात्रियों की मुश्किलें बढ़ सकती है..ब्लू लाइन (Blue Line) के सेक्टर-52 और एक्वा लाइन (Aqua Line) के सेक्टर-51 मेट्रो स्टेशन के बीच की दूरी यात्रियों के लिए काफी समय से समस्या का कारण बनी हुई है। इस समस्या के हल के लिए लोग बेसब्री से स्काईवॉक (SkyWalk) बनने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन प्लानिंग और डिजाइन में फॉल्ट होने से काम की रफ्तार बेहद धीमी हो गई है। अब अधिकारियों का दावा है कि अगले साल मार्च तक यह प्रॉजेक्ट पूरा होगा। मजबूरी में लोगों को अस्थायी पाथवे और ट्रैफिक के बीच से आना जाना पड़ रहा है।
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आपको बता दें कि स्काईवॉक के डिजाइन में बदलाव किया गया है। इस बदलाव के कारण से स्काईवॉक के स्ट्रक्चर को खड़े करने वाले पिलर बढ़ेंगे। बदलाव का कारण एक्वा लाइन से ब्लू लाइन की तरफ करीब 125 मीटर दूरी पर नीचे मेट्रो के केबल व सीएनजी लाइन का पड़ना रहा। समस्या का हल तलाशने के लिए अथॉरिटी ने निर्णय लिया कि एक पिलर बीच में बनाए जाने की जगह किनारे पर दो पिलर बनाकर सपोर्ट दिया जाए। यह स्ट्रक्चर अप्रूव भी हो चुका है और इस पर काम भी शुरू हो गया है। बदलाव के कारण प्रॉजेक्ट में सिविल काम में 1 करोड़ रुपये की और लागत लगेगी। साथ ही, तीन महीने प्रॉजेक्ट पूरा होने में और लगेगा। अब काम पूरा होने की प्रस्तावित तारीख 31 मार्च 2024 रखी गई है।
दो हिस्से में हो रहा काम
स्काईवॉक का काम नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) ने मार्च में शुरू किया था। अथॉरिटी काम दो हिस्सों में करवा रही है। अभी सिविल के काम शुरू हुए हैं। वहीं, बिजली से जुड़े काम जिनमें एसी और ट्रैवेलेटर शामिल हैं। सिविल के काम में ही लोहे का स्ट्रक्चर व उसको रोकने के लिए लोहे के कॉलमनुमा पिलर खड़े किए जा रहे हैं। स्काईवॉक का स्ट्रक्चर करीब 430 मीटर का है। प्रति 10 मीटर पर एक पिलर बनाया जा रहा है। सेक्टर-51 मेट्रो स्टेशन की तरफ से 12 पिलर तो बन गए, लेकिन इसके बाद केबल और फिर सीएनजी लाइन बीच में आ गई। प्रॉजेक्ट से जुड़े इंजीनियरों का कहना है कि इस वजह से कई पिलर बीच से हटाकर किनारे पर एक की जगह दो-दो बनाए जा रहे हैं। सिविल का काम मौके पर करीब 45 प्रतिशत पूरा हो गया है।
साल के आखिरी महीने में होगा बिजली का काम
नोएडा अथॉरिटी स्काईवॉक के निर्माण में करीब 26 करोड़ रुपये लागत लगा रही है। इसमें सिविल से जुड़े काम करीब 11 करोड़ और बिजली से जुड़े काम 15 करोड़ रुपये की लागत से होने थे। बिजली के काम के लिए अथॉरिटी ने टेंडर कर एजेंसी का चयन कर लिया है। चुनी गई एजेंसी ने ट्रैवेलेटर लगाने के लिए पैमाइश का काम पूरा कर लिया है।
अब दिसंबर से मौके पर ट्रैवेलेटर व एसी लगाने का काम शुरू हो जाएगा। स्काईवॉक 430 मीटर लंबा और 6 मीटर चौड़ा होगा। ऐसे में बेहद कम दूरी के लिए लोगों को पैदल चलना होगा, बाकी खड़े-खड़े ट्रैवलेटर के जरिए गंतव्य तक पहुंच सकेंगे। अधिकारियों ने बताया कि यह स्काईवॉक सीधे दोनों मेट्रो स्टेशन के अंदर कॉरिडोर में उतरेगा।
स्काईवॉक बनने से यात्रियों को होगी आसानी
स्काईवॉक के बन जाने पर दोनों स्टेशन के बीच आने-जाने के लिए लोगों को बार-बार चढ़ना उतरना नहीं पड़ेगा। इससे समय की बचत भी होगी। नोएडा से ग्रेटर नोएडा के बीच चलने वाली एक्वा लाइन का सेक्टर-51 स्टेशन है जबकि नोएडा से द्वारका के बीच चलने वाली ब्लू लाइन का सेक्टर-52 मेट्रो स्टेशन है। दोनों के बीच आने-जाने के लिए लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
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